RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

104658160

गवर्नर का वक्तव्य: 6 अक्तूबर 2023

6 अक्तूबर 2023

गवर्नर का वक्तव्य: 6 अक्तूबर 2023

कौटिल्य ने दो हजार वर्षों से भी पूर्व अपने अर्थशास्त्र में कहा था: "स्थिरता किसी राष्ट्र को न केवल अपने धन को समान रूप से साझा करने में सक्षम बनाती है बल्कि उसे बढ़ाने में भी सक्षम बनाती है"।1 ये शब्द आज भी प्रासंगिक हैं। वस्तुतः उनकी शाश्वत वैधता है। समष्टि आर्थिक स्थिरता और समावेशी संवृद्धि किसी देश की प्रगति के मूल सिद्धांत हैं। हाल के वर्षों में कई और अद्वितीय आघातों के दौरान हमने जो नीतिगत मिश्रण अपनाया है, उससे समष्टि आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा मिला है। बाह्य क्षेत्र भी उत्कृष्ट रूप से प्रबंधनीय बना हुआ है। एक दशक पहले जिस दोहरे तुलन-पत्र दबाव का सामना करना पड़ा था, उसका स्थान अब बैंकों और कॉरपोरेट्स दोनों के स्वस्थ तुलन-पत्र के साथ दोहरे तुलन-पत्र लाभ ने ले लिया है। भारत विश्व का नया संवृद्धि इंजन बनने की ओर अग्रसर है।

2. समय की मांग है, सतर्क रहने की और आत्मसंतुष्टि को स्थान न देने की। पिछले डेढ़ दशकों से मिले सबक और वैश्विक वित्तीय संकट से गुजरते हुए तथा टेंपर टैंट्रम से हमें पता चलता है कि जोखिम और असुरक्षतिताएं अच्छे समय में भी बढ़ सकती हैं। अर्थव्यवस्था में सभी हितधारकों, चाहे वे ऋणदाता, कॉर्पोरेट, व्यवसाय - छोटे और बड़े हों - और यहां तक कि नीति निर्माताओं को भी, जिस तेजी से बदलते विश्व में हम रहते हैं, उन्हें अपने बफर और बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करना जारी रखना चाहिए। जहां तक भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रश्न है, हमने उच्च मुद्रास्फीति को समष्टि आर्थिक स्थिरता और धारणीय संवृद्धि के लिए एक बड़े जोखिम के रूप में पहचाना है। तदनुसार, हमारी मौद्रिक नीति, मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने पर दृढ़तापूर्वक केंद्रित है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय और विचार-विमर्श

3. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4, 5 और 6 अक्तूबर 2023 को हुई। उभरती समष्टि आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों तथा संभावना के विस्तृत मूल्यांकन के बाद, इसने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। एमपीसी ने 6 में से 5 सदस्यों के बहुमत से निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उत्तरोत्तर लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

4. अब मैं नीतिगत दर और रुख पर इन निर्णयों के लिए एमपीसी के तर्क को संक्षेप में बताऊंगा। टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों के कारण जुलाई में हेडलाइन मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई थी। अगस्त में इसमें आंशिक रूप से सुधार हुआ और आशा है कि सितंबर में इन कीमतों में गिरावट के कारण इसमें और कमी देखने को मिलेगी। इन सबके बीच मूल मुद्रास्फीति (अर्थात, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) में गिरावट एक आशा की किरण है। तथापि, समग्र मुद्रास्फीति संभावना दलहन और तिलहन जैसी प्रमुख फसलों के लिए ख़रीफ़ बुआई में गिरावट, कम जलाशय स्तर और अस्थिर वैश्विक खाद्य और ऊर्जा कीमतों में अनिश्चितताओं से घिरी हुई है। एमपीसी ने पाया कि बड़े और अतिव्यापी खाद्य मूल्य आघातों की आवर्ती घटनाएं, हेडलाइन मुद्रास्फीति को सामान्यीकरण और दृढ़ता प्रदान कर सकती हैं। दूसरी ओर, आर्थिक गतिविधि आघात-सह बनी हुई है। उभरती मुद्रास्फीति-संवृद्धि गतिकी और संचयी नीतिगत रेपो दर में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी, जो अभी भी अर्थव्यवस्था में काम कर रही है, को ध्यान में रखते हुए, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। नीतिगत रेपो दर में 250 आधार अंक (बीपीएस) की वृद्धि का बैंक ऋण और जमा दरों में संचरण अभी भी अधूरा है और इसलिए एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है।2 मुद्रास्फीति को लक्ष्य से संरेखित करने और मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को नियंत्रित करने हेतु, एमपीसी समय पर नीतिगत उपाय करने के लिए, यदि आवश्यक हो, अत्यधिक सतर्क और तैयार रहती है।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति का आकलन

वैश्विक संवृद्धि

5. मैं बाह्य वातावरण से शुरू करते हुए संवृद्धि और मुद्रास्फीति की गतिकी के विस्तृत आकलन की ओर आता हूं। सख्त वित्तीय स्थितियों, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ते भू-आर्थिक विखंडन के प्रभाव के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है। वैश्विक व्यापार में संकुचन आ रहा है।3 हेडलाइन मुद्रास्फीति कम हो रही है लेकिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में यह लक्ष्य से ऊपर है। जबकि प्रमुख केंद्रीय बैंक अपने दर वृद्धि चक्र के चरम स्तर पर पहुंचने का संकेत दे रहे हैं, ऐसे संकेत हैं कि सख्त मौद्रिक नीति रुख, पूर्व प्रत्याशा से अधिक समय तक जारी रह सकता है। सॉवरेन बॉण्ड प्रतिफल मजबूत हुआ है, अमेरिकी डॉलर में मजबूती आई है और वैश्विक इक्विटी बाज़ारों में गिरावट आई है।

घरेलू संवृद्धि

6. वैश्विक रुझानों के विपरीत, घरेलू आर्थिक गतिविधि मजबूत घरेलू मांग के कारण आघात-सहनीयता प्रदर्शित कर रही है।4

7. 2023-24 की दूसरी तिमाही में कृषि गतिविधियों में गति बरकरार रही, यद्यपि मानसून असमान रहा।5 29 सितंबर 2023 को खरीफ फसलों का क्षेत्र फल पिछले वर्ष के स्तर से 0.2 प्रतिशत अधिक था।

8. औद्योगिक क्षेत्र में दूसरी तिमाही में बहाली हुई।6 फार्मास्यूटिकल्स, बुनियादी धातु, सीमेंट, मोटर वाहन तथा खाद्य उत्पादों और पेय पदार्थों जैसे प्रमुख क्षेत्रों द्वारा समर्थित, विनिर्माण क्षेत्र में जुलाई-अगस्त 2023 में वृद्धि हुई। विनिर्माण के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) सितंबर में मजबूत रहा।

9. जैसा कि अगस्त-सितंबर में उच्च आवृत्ति संकेतकों में मजबूत वृद्धि से संकेत मिलता है कि सेवा क्षेत्र की गतिविधि में उछाल बना हुआ है।7 पीएमआई सेवाओं ने सितंबर में मजबूत वृद्धि दर्ज की। सन्निर्माण गतिविधि मजबूत बनी हुई है।8

10. सरकारी पूंजीगत व्यय के मजबूत समर्थन से निवेश गतिविधि ने अपनी गति बनाए रखी। जैसा कि पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और आयात में विस्तार तथा बैंकों द्वारा स्वीकृत नई परियोजनाओं से पता चलता है, निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय बढ़ रहा है।9 मौसमी रूप से समायोजित आधार पर विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग (सीयू) में वृद्धि जारी रही, जो निवेश गतिविधि के लिए अच्छा संकेत है।10 चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक बैंकों और अन्य स्रोतों से वाणिज्यिक क्षेत्र में संसाधनों का कुल प्रवाह 10.6 लाख करोड़ है, जो पिछले वर्ष (10.4 लाख करोड़) से अधिक है। तथापि, व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात और गैर-तेल और गैर-स्वर्ण के आयात में अगस्त में थोड़ी गिरावट आई। सेवा निर्यात अच्छी गति से बढ़ा।

11. मांग के संबंध में, शहरी खपत में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है जबकि ग्रामीण मांग में बहाली के संकेत दिख रहे हैं।11 आगे देखते हुए, सेवाओं में निरंतर उछाल, उपभोक्ता और व्यापार आशावाद, पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर, बैंकों और कॉरपोरेट्स के स्वस्थ तुलन-पत्र और आपूर्ति श्रृंखला सामान्यीकरण से घरेलू मांग की स्थिति को लाभ होने की संभावना है। तथापि, भू-राजनीतिक तनाव और भू-आर्थिक विखंडन, वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता, वैश्विक आर्थिक मंदी और असमान मानसून से प्रतिकूल परिस्थितियाँ, संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत के साथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.6 प्रतिशत अनुमानित है।

मुद्रास्फ़ीति

12. जुलाई और अगस्त में मुद्रास्फीति का बढ़ा हुआ स्तर क्रमशः 7.4 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत था, जो मुख्य रूप से खाद्य कीमतों के दबाव से प्रेरित था।12 सीपीआई समूह में लगभग 6 प्रतिशत भार वाली सब्जियों ने जुलाई में सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति में लगभग एक तिहाई और अगस्त में समग्र मुद्रास्फीति में लगभग एक चौथाई का योगदान दिया। अनाज, दालों और मसालों में निरंतर मुद्रास्फीति के दबाव ने समग्र खाद्य मुद्रास्फीति को और बढ़ा दिया।

13. सकारात्मक पक्ष पर, जुलाई-अगस्त 2023 के दौरान मूल मुद्रास्फीति कम होकर 4.9 प्रतिशत हो गई।13 जनवरी 2023 में अपने हालिया चरम-स्तर से यह लगभग 140 आधार अंक कम हो गई है। मूल्य स्थिरता के लिए मूल घटक की और अधिक अवस्फीति महत्वपूर्ण है। जैसा कि हमारे सर्वेक्षण से स्पष्ट है, मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को नियंत्रित करने में और प्रगति हुई है, जो कि कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार एकल अंक क्षेत्र में प्रवेश कर गई है।14

14. जबकि सब्जियों की कीमतों में गिरावट, विशेष रूप से टमाटर की कीमतों में कमी और एलपीजी की कीमतों में कमी के कारण निकट अवधि में मुद्रास्फीति में कमी की आशा है, भविष्य का प्रक्षेपवक्र कई कारकों द्वारा निर्धारित होगा। ख़रीफ़ फ़सलों के लिए, दालों का बुआई क्षेत्रफल एक वर्ष पहले के स्तर से कम है। खरीफ प्याज के उत्पादन पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है। मसालों में मांग और आपूर्ति में असमानता के कारण कीमतें ऊंचे स्तर पर रहने की संभावना है। मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र अल नीनो स्थितियों तथा वैश्विक खाद्य और ऊर्जा कीमतों से भी प्रभावित होगा। वैश्विक वित्तीय बाज़ार की अस्थिरता के साथ, ये कारक संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत के साथ 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत अनुमानित है।

मौद्रिक नीति के लिए इन मुद्रास्फीति और संवृद्धि स्थितियों का क्या अर्थ है?

15. पिछले डेढ़ वर्षों में, मौद्रिक नीति कार्रवाइयों में बड़े पैमाने पर प्रणाली में अतिरिक्त चलनिधि को कम करना, नीतिगत रेपो दर में 250 आधार अंकों की वृद्धि तथा मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को नियंत्रित रखने और मुख्य मुद्रास्फीति की दृढ़ता को समाप्त करने के लिए निभाव को वापस लेने संबंधी नीतिगत रुख में बदलाव शामिल है। प्रमुख खाद्य पदार्थों की घरेलू उपलब्धता में सुधार और निविष्टि लागतों को कम करने हेतु सरकार द्वारा सक्रिय आपूर्ति पक्ष के मध्यक्षेप ने इन उपायों का पूरकीकरण किया।15 परिणामस्वरूप, हेडलाइन मुद्रास्फीति 2022-23 की पहली तिमाही में 7.3 प्रतिशत की तुलना में 2023-24 की पहली तिमाही में कम होकर 4.6 प्रतिशत हो गई। जुलाई और अगस्त में अपने असाधारण उच्च स्तर से मुद्रास्फीति के दबाव में उल्लेखनीय कमी, सितंबर में और कम होने की आशा है क्योंकि अस्थायी खाद्य मूल्य आघातों का प्रभाव कम हुआ है। इसके अलावा, अंतर्निहित मुद्रास्फीति दबाव16 कम हो रहा है जबकि पिछली मौद्रिक नीति कार्रवाइयों का प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है। फिर भी, संकेत यह हैं कि 2023-24 की तीसरी तिमाही के दौरान, खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव में धारणीय कमी नहीं देखी जा सकती है। ऊर्जा की कीमतें और वित्तीय बाज़ार की स्थिति जैसे बाहरी कारक अस्थिर बने हुए हैं। इन सभी कारणों से मूल्य आघातों के टिकाऊ घटकों को इसके अस्थायी तत्वों से स्पष्ट रूप से चित्रित करने के लिए आने वाले आंकड़ों और संभावना की सावधानीपूर्वक निगरानी की आवश्यकता है। मौद्रिक नीति को खाद्य और ईंधन की कीमतों के आघातों से अंतर्निहित मुद्रास्फीति की प्रवृत्तियों में प्रभाव-विस्तार और मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं के स्थिरीकरण के जोखिमों को रोकने के लिए समय पर और उचित कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा। ये गैर-परक्राम्य आवश्यकताएं हैं।

चलनिधि और वित्तीय बाज़ार की स्थितियाँ

16. जैसा कि मैंने अपने पिछले नीति वक्तव्यों में कई बार दोहराया है, अत्यधिक चलनिधि17 कीमत और वित्तीय स्थिरता दोनों के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मौद्रिक नीति रुख के साथ चलनिधि की स्थिति विकसित हो, भारतीय रिज़र्व बैंक ने - एक अस्थायी उपाय के रूप में - 10 प्रतिशत का वृद्धिशील आरक्षित नकदी निधि अनुपात (आई-सीआरआर) लागू किया था, जिसने बैंकिंग प्रणाली से लगभग 1.1 लाख करोड़ अवरुद्ध किया था। आई-सीआरआर की समीक्षा 8 सितंबर को की गई थी और इसे चरणबद्ध तरीके से 7 अक्तूबर 2023 को समाप्त किया जा रहा है।

17. सितंबर में आई-सीआरआर और अग्रिम कर बहिर्प्रवाह के संयुक्त प्रभाव के परिणामस्वरूप अतिरिक्त चलनिधि की स्थिति में कमी के कारण बैंकों द्वारा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) का अधिक सहारा लिया गया है।18 स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ)19 के अंतर्गत जमा पर्याप्त निधि के बीच एमएसएफ उधार का ऊंचा स्तर, बैंकिंग प्रणाली में विषम चलनिधि वितरण का लक्षण है। यह मौद्रिक नीति के परिचालन लक्ष्य - भारित औसत मांग दर (डब्ल्यूएसीआर) के सुदृढ़ीकरण में परिलक्षित हुआ।20 अवधि संरचना के अल्प-अंत में इस तरह के सख्त होने के बावजूद, जी-सेक बाजार में औसत अवधि का प्रसार (10-वर्ष माइनस 91-दिवसीय खज़ाना बिल) अगस्त-सितंबर में लगभग 40 आधार अंक पर रहा, जो स्थिर वित्तीय स्थितियों का संकेत देता है।

18. हाल के महीनों में, बैंकों ने मुख्य 14-दिवसीय परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) परिचालन में निधि की रखने के बजाय उसे एक दिवसीय एसडीएफ के अंतर्गत रखना पसंद किया है। यह जरूरी है कि बैंक आरक्षित निधि रखरखाव चक्र के दौरान अपनी वास्तविक चलनिधि आवश्यकताओं का आकलन करें और मुख्य 14-दिवसीय वीआरआरआर परिचालन के अंतर्गत नीलामी में तदनुसार बोली लगाएं। यह वांछनीय है कि अधिशेष निधि वाले बैंक, अपेक्षाकृत कम आकर्षक दरों पर एसडीएफ में निष्क्रिय रूप से निधि जमा करने के बजाय अंतर-बैंक मांग बाजार में ऋण देने के अवसर तलाशें। मांग मुद्रा लेनदेन की अधिक मात्रा न केवल अंतर-बैंक मुद्रा बाजार को गहरा करने में मदद करेगी, बल्कि घाटे वाले बैंकों का एमएसएफ के प्रति सहारा भी कम करेगी।

19. कल शेष अवरुद्ध आई-सीआरआर निधि जारी होने के साथ-साथ सरकारी खर्च में बढ़ोत्तरी से चलनिधि की स्थिति में आसानी होने की उम्मीद है। त्यौहार के समय मुद्रा की मांग में वृद्धि, निश्चित रूप से, एक प्रतिसंतुलन कारक के रूप में कार्य कर सकती है। यह टर्निंग पिच है और हम अपने शॉट सावधानी से खेलेंगे। आगे बढ़ते हुए, फुर्तीला रहते हुए, हमें मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप, चलनिधि का प्रबंधन करने के लिए ओएमओ-बिक्री (खुला बाज़ार परिचालन बिक्री) पर विचार करना पड़ सकता है। ऐसे परिचालनों का समय और मात्रा उभरती तरलता स्थितियों पर निर्भर करेगी।

वित्तीय स्थिरता

20. बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता, स्थिर ऋण संवृद्धि और मजबूत आय संवृद्धि द्वारा समर्थित भारतीय बैंकिंग प्रणाली लचीली बनी हुई है।21 ऋण संवृद्धि व्यापक आधारित है और वित्तीय संस्थानों के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों द्वारा समर्थित है। जून 2023 के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के वित्तीय संकेतक भी बैंकिंग प्रणाली के अनुरूप हैं। हालाँकि, व्यक्तिगत ऋण के कुछ घटक बहुत अधिक संवृद्धि दर्ज कर रहे हैं। शुरुआती तनाव के किसी भी संकेत के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा इन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बैंकों और एनबीएफसी को अपने आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करने, जोखिमों के बढ़ने, यदि कोई हो, को समाधान करने और अपने हित में उपयुक्त सुरक्षा उपाय करने की सूचना दी जाएगी। समय की मांग है मजबूत जोखिम प्रबंधन और मजबूत हामीदारी मानक हैं।

21. वैश्विक वित्तीय परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और संभावित तनाव अप्रत्याशित कोनों से उभर सकता है। रिज़र्व बैंक उभरती स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहा है और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करेगा।

बाह्य क्षेत्र

22. भारत का व्यापारिक निर्यात और आयात 2023-24 के दौरान अब तक संकुचन क्षेत्र में बना हुआ है, हालांकि यह जुलाई और अगस्त के दौरान धीमी गति से रहा। 2023-24 की पहली तिमाही में सेवा निर्यात अच्छी गति से बढ़ा और जुलाई और अगस्त 2023 के दौरान सॉफ्टवेयर और व्यावसायिक सेवाओं के कारण मजबूत रहा।22 आवक प्रेषण में 5.8 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई है। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए चालू खाता घाटा (सीएडी) एक वर्ष पहले की तुलना में घटकर सकल घरेलू उत्पाद का 1.1 प्रतिशत हो गया।23 2023-24 की पहली तिमाही के दौरान भुगतान संतुलन (बीओपी) के आधार पर विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में 24.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई थी।

23. बाहरी वित्तपोषण पर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह में 2023-24 में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है, जिसमें सितंबर 2023 तक शुद्ध एफपीआई प्रवाह 20.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि पिछले दो वर्षों में शुद्ध बहिर्वाह था।24 दूसरी ओर, शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) एक वर्ष पहले के 17.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर अप्रैल-जुलाई 2023 में 5.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के अंतर्गत प्रवाह में बदलाव देखा गया, अप्रैल-अगस्त 2023 के दौरान 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का शुद्ध प्रवाह हुआ, जबकि एक वर्ष पहले 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का शुद्ध बहिर्वाह हुआ था। अप्रैल-अगस्त 2023 के दौरान ईसीबी समझौतों की संख्या और कुल राशि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, कुल राशि का लगभग 60 प्रतिशत पूंजीगत व्यय के लिए जुटाया गया। बाहरी भेद्यता संकेतक25 भी ईएमई पीयर की तुलना में कम भेद्यता का संकेत देते हैं। 29 सितंबर 2023 को भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 586.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। हम अपनी बाहरी वित्तपोषण आवश्यकताओं को आराम से पूरा करने के प्रति आश्वस्त हैं।

अतिरिक्त उपाय

24. अब मैं कुछ अतिरिक्त उपायों की घोषणा करूंगा।

अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण के लिए विवेकपूर्ण ढांचा - कार्यान्वयन के अंतर्गत परियोजनाएं

25. परियोजना वित्त को नियंत्रित करने वाले मौजूदा नियामक ढांचे को मजबूत करने और सभी विनियमित संस्थाओं में निर्देशों को सुसंगत बनाने की दृष्टि से, कार्यान्वयन के अंतर्गत परियोजनाओं के लिए मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा की गई है। अब सभी विनियमित संस्थाओं के लिए लागू एक व्यापक नियामक ढांचा जारी करने का प्रस्ताव है। विस्तृत मसौदा दिशानिर्देश सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किए जाएंगे।

ऋण एकाग्रता मानदंड – ऋण जोखिम अंतरण

26. वर्तमान में, बड़े एक्सपोजर ढांचे के अंतर्गत, ऊपरी लेयर के एनबीएफसी को प्रतिपक्ष के प्रति अपने एक्सपोजर को कम करने के लिए ऋण जोखिम शमन (सीआरएम) लिखतों का उपयोग करने की अनुमति है। एनबीएफसी के बीच ऋण एकाग्रता मानदंडों को सुसंगत बनाने की दृष्टि से, मध्य और बेस लेयर में एनबीएफसी को ऋण एकाग्रता मानदंडों के अंतर्गत अपने प्रतिपक्ष जोखिम को कम करने के लिए सीआरएम लिखतों का उपयोग करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।

गोल्ड लोन - बुलेट पुनर्भुगतान योजना - यूसीबी

27. वे शहरी सहकारी बैंक(यूसीबी) जिन्होंने 31 मार्च 2023 तक प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) के अंतर्गत समग्र लक्ष्य और उप-लक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं, के संबंध में बुलेट पुनर्भुगतान योजना के अंतर्गत स्वर्ण ऋण की मौजूदा सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 4 लाख करने का निर्णय लिया गया है। यह उपाय हमारी पिछली घोषणा के अनुसरण में है कि 31 मार्च 2023 तक निर्धारित पीएसएल लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले यूसीबी को उपयुक्त प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।

रिज़र्व बैंक की विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए एसआरओ की मान्यता के लिए रूपरेखा

28. स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) अपने सदस्यों के बीच अनुपालन शिष्टता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और नीति निर्माण के लिए रिज़र्व बैंक के साथ एक परामर्शी मंच भी प्रदान कर सकते हैं। अतः, हितधारकों की टिप्पणियों हेतु रिज़र्व बैंक की विनियमित संस्थाओं (आरई) की विभिन्न श्रेणियों के लिए एसआरओ को मान्यता देने के लिए एक मसौदा सर्वव्यापी ढांचा जारी करने का निर्णय लिया गया है। आवेदन मंगाते समय अतिरिक्त क्षेत्र विशिष्ट शर्तें भी निर्धारित की जा सकती हैं।

भुगतान अवसंरचना विकास निधि - योजना का विस्तार और पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को शामिल करना

29. भुगतान अवसंरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना ने जनवरी 2021 में शुरुआत के बाद से, देश भर में 2.66 करोड़ से अधिक नए भुगतान टच पॉइंट सक्षम किए हैं। इस योजना को अगले दो वर्ष, अर्थात 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। पीआईडीएफ योजना के दायरे का (i) पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को इसमें शामिल करने; और (ii) साउंडबॉक्स और आधार-सक्षम बायोमेट्रिक भुगतान स्वीकृति उपकरणों जैसे भुगतान स्वीकृति के उभरते तरीकों की तैनाती हेतु विस्तार किया जा रहा है। इन उपायों से जमीनी स्तर पर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रयासों में और तेजी आएगी।

कार्ड-ऑन-फ़ाइल टोकनाइजेशन (सीओएफ़टी) के लिए नए चैनलों का शुभारंभ करना

30. कार्ड डेटा के टोकनाइजेशन की बढ़ती स्वीकार्यता और लाभों को देखते हुए, अब सीधे जारीकर्ता बैंक स्तर पर कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन (सीओएफटी) निर्माण सुविधाएं शुरू करने का प्रस्ताव है। यह उपाय कार्डधारकों के लिए टोकन बनाने और विभिन्न ई-कॉमर्स अनुप्रयोगों पर उनके मौजूदा खातों से लिंक करने की सुविधा बढ़ाएगा।

विनियमित संस्थाओं में आंतरिक लोकपाल व्यवस्था संबंधी मास्टर निदेश

31. वर्तमान में, विनियमित संस्थाओं में आंतरिक लोकपाल (आईओ) ढांचे में चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी), पूर्वदत्त भुगतान लिखतों (पीपीआई) के गैर-बैंक जारीकर्ताओं, एनबीएफसी; और सभी साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश शामिल हैं। इन दिशानिर्देशों में समान डिज़ाइन विशेषताएं हैं लेकिन कतिपय परिचालन पहलुओं में भिन्नता है। कतिपय बदलाव करने और आईओ दिशानिर्देशों को एक ही मास्टर निदेश में समेकित और सुसंगत बनाने का निर्णय लिया गया है। इससे विनियमित संस्थाओं की ग्राहक शिकायत निवारण प्रणाली और अधिक मजबूत होगी।

निष्कर्ष

32. भारतीय अर्थव्यवस्था एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण में अपने अंतर्निहित समष्टि आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों और बफ़र्स से शक्ति प्रात करते हुए आगे बढ़ रही है। जबकि संवृद्धि अपने पथ पर बनी हुई है, कुछ खाद्य पदार्थों में कीमतों के आघातों के कारण जुलाई-अगस्त 2023 में मुद्रास्फीति में गिरावट की प्रवृत्ति बाधित हुई। भू-राजनीतिक तनाव और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के मद्देनजर ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की अस्थिर कीमतें मुद्रास्फीति की संभावना को अनिश्चितता प्रदान करती हैं। हम मुद्रास्फीति की उभरती गतिकी के प्रति सतर्क हैं। मैं दृढ़तापूर्वक दोहराना चाहूंगा कि हमारा मुद्रास्फीति लक्ष्य 4 प्रतिशत है, न कि 2 से 6 प्रतिशत। हमारा उद्देश्य संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर लक्ष्य से संरेखित करना है। वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता मूल्य स्थिरता और मुद्रास्फीति की प्रत्याशा को स्थिर करने पर हमारे जोर को मजबूत करती है। इससे मुद्रास्फीति जोखिम प्रीमियम कम रहेगा और हमारी प्रतिस्पर्धात्मकता, उत्पादकता और संवृद्धि क्षमता में सुधार होगा। जैसे-जैसे हम अपनी आगे की यात्रा जारी रखते हैं, हम महात्मा गांधी के प्रगाढ़ शब्दों से प्रेरणा लेते हैं, “यदि हम इसे अपना लक्ष्य रखते हैं, तो हम कभी निराश नहीं होंगे, हम कभी कमजोर नहीं होंगे; हम सदैव आगे बढ़ेंगे…”26

धन्यवाद। नमस्कार।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1051


1 स्रोत: कौटिल्य – दि अर्थशास्त्र, एल.एन. रंगराजन द्वारा, पेंगुइन, 1992
यद्यपि कौटिल्य ने यह बात एक अलग संदर्भ में कही थी, यहाँ इसे समष्टि आर्थिक संदर्भ में बताने हेतु एक उपमान के रूप में उपयोग किया गया है।

2 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की नई जमाराशिओं पर भारित औसत घरेलू मियादी जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) और नए ऋणों पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में वर्तमान सख्ती चक्र में क्रमशः 233 आधार अंक और 196 आधार अंक की वृद्धि हुई है। बकाया मियादी जमा दरों और बकाया उधार दरों में तदनुरूपी वृद्धि क्रमशः 157 आधार अंक और 112 आधार अंक पर और भी कम है।

3 सीपीबी नीदरलैंड ब्यूरो फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एनालिसिस के अनुसार जुलाई 2023 में वैश्विक वाणिज्यिक वस्तु व्यापार की मात्रा में 3.2 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की गिरावट आई।

4 2023-24 की पहली तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वर्ष-दर-वर्ष 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। पहली तिमाही में सकल स्थिर पूंजी निर्माण 8.0 प्रतिशत और निजी खपत 6.0 प्रतिशत बढ़ी। आपूर्ति पक्ष पर, वास्तविक योजित सकल मूल्य (जीवीए) भी 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत बढ़ गया, जो सेवा क्षेत्र में 10.0 प्रतिशत की वृद्धि से प्रेरित है।

5 भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, संचयी दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 94 प्रतिशत थी। देश के अधिकांश वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों वाले मानसून मूल क्षेत्र में वर्षा एलपीए के 101 प्रतिशत के साथ सामान्य थी।

6 जुलाई में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 5.7 प्रतिशत बढ़ा और अगस्त में मूल उद्योगों का उत्पादन 12.1 प्रतिशत बढ़ा।

7 सितंबर 2023 में, ई-वे बिल, टोल संग्रह और रेलवे माल यातायात में (वर्ष-दर-वर्ष) क्रमशः 9.5 प्रतिशत, 15.4 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अगस्त में बंदरगाह यातायात और डीजल की खपत में क्रमशः 4.4 प्रतिशत और 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

8 अगस्त 2023 में सीमेंट उत्पादन और स्टील की खपत जैसे संकेतकों में क्रमशः 18.9 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) और 21.5 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई।

9 जुलाई में पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 4.6 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़ा, जबकि अगस्त 2023 में पूंजीगत वस्तुओं का आयात 13.3 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़ा। नवीनतम उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बैंकों ने सड़कों, पुलों, अंतर्देशीय जलमार्गों, रेलवे, बिजली, बंदरगाह, हवाई अड्डे, रसायन और उर्वरक में नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

10 मौसमी रूप से समायोजित आधार पर, सीयू 2022-23 की चौथी तिमाही में 74.1 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 की पहली तिमाही में 75.4 प्रतिशत हो गया। असमायोजित सीयू में 2022-23 की चौथी तिमाही में 76.3 प्रतिशत से 2023-24 की पहली तिमाही में 73.6 प्रतिशत की मौसमी गिरावट दर्ज की गई। दीर्घकालिक औसत 73.7 प्रतिशत है जो 2020-21 की पहली तिमाही को छोड़कर 2008-09 की पहली तिमाही से 2023-24 की पहली तिमाही तक की अवधि से संबंधित है।

11 शहरी मांग में विस्तार अगस्त-सितंबर 2023 में मजबूत घरेलू हवाई यात्री यातायात, यात्री वाहन बिक्री और घरेलू ऋण में परिलक्षित होता है। ग्रामीण मांग के संकेतकों में, अगस्त में दोपहिया वाहनों की बिक्री सकारात्मक रही, ट्रैक्टर की बिक्री में विस्तार जारी रहा जबकि जुलाई में उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।

12 खाद्य मुद्रास्फीति जून में 4.7 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई में 10.6 प्रतिशत और अगस्त में 9.2 प्रतिशत हो गई क्योंकि सब्जियों की कीमतें जून में अपस्फीति (-0.7 प्रतिशत, वर्ष-दर-वर्ष) से बाहर आ गईं और जुलाई में 37.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) और अगस्त में 26.1 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष)बढ़ गईं।

13 कपड़े और जूते, आवास, घरेलू सामान और सेवाओं, शिक्षा और व्यक्तिगत देखभाल और प्रभावों के उप-समूहों में मुद्रास्फीति के दबाव में कमी के साथ मूल मुद्रास्फीति में कमी आई।

14 सितंबर 2022 से घरेलू मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को नियंत्रित करना जारी है। तीन महीने आगे के लिए मुद्रास्फीति की प्रत्याशाएं 10.0 प्रतिशत (जुलाई 2023 दौर) से 90 आधार अंक गिरकर 9.1 प्रतिशत (सितंबर 2023 दौर) हो गईं और एक वर्ष आगे के लिए 40 आधार अंक गिरकर 10.3 प्रतिशत (जुलाई 2023 दौर) से 9.9 प्रतिशत (सितंबर 2023 दौर) हो गईं।

15 इनमें गेहूं और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध; दालों (अरहर और उड़द) के आयात को आयात शुल्क से छूट देना; राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को रियायत पर दालें (चना दाल) प्रदान करना; गेहूं और दालों के लिए स्टॉक सीमा; विभिन्न खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कमी; टमाटर और प्याज की अतिरिक्त खरीद और रियायत पर बिक्री; चीनी निर्यात को प्रतिबंधित करना; और पेट्रोल और डीजल के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती शामिल थे।

16 मूल मुद्रास्फीति के संदर्भ में; अन्य अपवर्जन आधारित और ट्रिम्ड माध्य उपाय।

17 चलनिधि प्रचुरता (i) बैंकिंग प्रणाली में 2000 के बैंक नोटों की वापसी; (ii) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सरकार को अधिशेष अंतरित करने; (iii) सरकारी व्यय में बढ़ोत्तरी; और (iv) पूंजी प्रवाह से उत्पन्न हुई।

18 एमएसएफ के अंतर्गत औसत उधार, जो जुलाई में 6,702 करोड़ था, बढ़कर अगस्त में 34,735 करोड़ और सितंबर में 94,605 करोड़ हो गया। 21 सितंबर 2023 को दैनिक एमएसएफ उधार 1.99 लाख करोड़ के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया।

19 जुलाई, अगस्त और सितंबर में एसडीएफ के अंतर्गत रखी गई औसत निधि क्रमशः 1.06 लाख करोड़, 1.10 लाख करोड़ और 0.76 लाख करोड़ थी।

20 औसतन, डब्ल्यूएसीआर जुलाई में 6.48 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 6.58 प्रतिशत और सितंबर में 6.65 प्रतिशत हो गया।

21 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की आस्ति गुणवत्ता के सभी प्रमुख संकेतकों में निरंतर आधार पर सुधार जारी है। जून 2023 तक के अनंतिम आंकड़ों से संकेत मिलता है कि सकल अनर्जक आस्ति (जीएनपीए) और निवल अनर्जक आस्ति (एनएनपीए) अनुपात घटकर क्रमश: 3.6 प्रतिशत और 0.9 प्रतिशत के दशक के निचले स्तर पर आ गया। एससीबी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीआरएआर) जून 2022 में 16.2 प्रतिशत से बढ़कर जून 2023 में 16.9 प्रतिशत हो गया। स्लिपेज अनुपात, एनपीए में बदलने वाली मानक आस्तियों के लिए एक प्राथमिक संकेतक तिमाही के दौरान 1.6 प्रतिशत तक गिर गया, जो कि कोविड-19 महामारी ​​के बाद सबसे कम है। एससीबी की आस्तियों पर प्रतिलाभ (आरओए) जून 2022 में 0.9 प्रतिशत से बढ़कर जून 2023 तक 1.3 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि में एससीबी का निवल ब्याज मार्जिन (एनआईएम) 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 3.8 प्रतिशत हो गया। एससीबी के पास पर्याप्त उच्च गुणवत्ता वाली तरल आस्तियां हैं क्योंकि जून 2023 के अंत में एससीबी का चलनिधि व्याप्ति अनुपात (एलसीआर) 141.9 प्रतिशत था।

22 पहली तिमाही में सेवा निर्यात में 5.9 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई। अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, जुलाई और अगस्त 2023 में सेवा निर्यात में क्रमशः 8.1 प्रतिशत और 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

23 2022-23 की पहली तिमाही में सीएडी सकल घरेलू उत्पाद का 2.1 प्रतिशत था। तथापि, क्रमिक आधार पर, व्यापार घाटा बढ़ने के कारण 2022-23 की चौथी तिमाही में सीएडी सकल घरेलू उत्पाद के 0.2 प्रतिशत बढ़ गया।

24 2021-22 में 14.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2022-23 में 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्प्रवाह।

25 जून 2023 के अंत में जीडीपी से बाह्य ऋण का 18.6 प्रतिशत रहा और बाह्य ऋण के अनुपात से आरक्षित निधि का अनुपात 94.6 प्रतिशत था। आयात के लिए आरक्षित निधि 10 महीने से अधिक का है।

26 महात्मा गांधी, संकलित कार्य, खंड 12

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?