विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
08 जून 2023 विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाजारों; (ii) विनियमन; और (iii) भुगतान प्रणालियों से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है। I. वित्तीय बाजार 1. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा मांग और सूचना मुद्रा बाज़ार में उधार लेना मांग, सूचना और मीयादी मुद्रा बाजारों पर मौजूदा दिशानिर्देश अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए मांग और सूचना मुद्रा बाजारों में बकाया उधारी के लिए विवेकपूर्ण सीमाएं निर्धारित करते हैं। मुद्रा बाजार उधारों के प्रबंधन के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंकों को छोड़कर) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अंतर-बैंक देयताओं के लिए विवेकपूर्ण सीमाओं के भीतर मांग और सूचना मुद्रा बाज़ार में उधार लेने की अपनी सीमा निर्धारित कर सकते हैं। आवश्यक दिशा-निर्देश आज जारी किए जा रहे हैं। II. विनियमन 2. दबावग्रस्त आस्तियों के लिए विवेकपूर्ण ढांचे के दायरे का विस्तार दिनांक 7 जून 2019 का दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा एक व्यापक सिद्धांत-आधारित ढांचा प्रदान करता है। इसे और गति प्रदान करने के साथ-साथ सभी विनियमित संस्थाओं हेतु निर्देशों को सुसंगत बनाने के लिए, यह प्रस्तावित है कि (i) सभी विनियमित संस्थाओं को शामिल करते हुए समझौता निपटान और तकनीकी राइट-ऑफ को नियंत्रित करने वाला एक व्यापक विनियामक ढांचा जारी किया जाए; और (ii) कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किए गए संकल्प ढांचे से सबक लेते हुए प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित एक्सपोज़र के संबंध में समाधान योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंडों को युक्तिसंगत बनाया जाए। उपरोक्त पर विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। 3. डिजिटल उधार में चूक हानि गारंटी (डिफॉल्ट लॉस गारंटी) व्यवस्था डिजिटल उधार पर कार्य दल ग्रुप की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर दिनांक 10 अगस्त 2022 की प्रेस प्रकाशनी जारी करते हुए कहा गया था कि प्रथम चूक हानि गारंटी (एफएलडीजी) से संबंधित सिफारिश की भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जांच की जा रही है। विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के आधार पर, तथा नवोन्मेष और विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंधन के बीच संतुलन बनाए रखने के हमारे उद्देश्य के अनुरूप, यह निर्णय लिया गया है कि डिजिटल उधार में चूक हानि गारंटी व्यवस्था की अनुमति देने के लिए एक विनियामक ढांचा तैयार किया जाए। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। 4. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण (पीएसएल) के लक्ष्य यूसीबी के लिए पीएसएल लक्ष्यों को 2020 में संशोधित किया गया था। एक गैर-विघटनकारी परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए, संशोधित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 31 मार्च 2024 तक एक ग्लाइड पथ प्रदान किया गया था। यूसीबी के समक्ष आने वाली कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियों को कम करने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि उक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए चरणबद्ध समय को दो वर्ष, अर्थात 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया जाए। इसके अलावा, 31 मार्च 2023 तक लक्ष्यों को पूरा करने वाले यूसीबी को उचित प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस संबंध में विस्तृत परिपत्र अलग से जारी किया जाएगा। 5. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों (एपी) के लिए लाइसेंसिंग ढांचे का युक्तिकरण फेमा, 1999 के अंतर्गत जारी प्राधिकृत व्यक्तियों (एपी) के लिए लाइसेंसिंग ढांचे की पिछली समीक्षा मार्च 2006 में की गई थी। पिछले दो दशकों में फेमा के अंतर्गत प्रगतिशील उदारीकरण, वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था का बढ़ता एकीकरण, भुगतान प्रणालियों का डिजिटलीकरण, संस्थागत संरचना विकसित करना, आदि को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था की उभरती आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए एपी के लिए लाइसेंसिंग ढांचे को युक्तिसंगत और सरल बनाया जाए। इसका उद्देश्य उचित सुरक्षा उपायों को बनाए रखते हुए आम लोगों, पर्यटकों और व्यवसायों को विदेशी मुद्रा सुविधाओं के वितरण में परिचालन दक्षता हासिल करना है। सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए संशोधित प्राधिकरण ढांचे का एक मसौदा जारी किया जाएगा। III. भुगतान प्रणाली 6. ई-रुपी वाउचर के दायरे और पहुंच का विस्तार करना अगस्त 2021 में लॉन्च किया गया डिजिटल वाउचर ई-रूपी, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) सिस्टम पर चलता है। वर्तमान में बैंकों द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से एवं कुछ हद तक कॉर्पोरेट्स की ओर से उद्देश्य-विशिष्ट वाउचर जारी किए जाते हैं। उपयोगकर्ताओं और लाभार्थियों के लिए समान रूप से लाभ को ध्यान में रखते हुए, (ए) गैर-बैंक प्रीपेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) जारीकर्ताओं को ई-रूपी वाउचर जारी करने की अनुमति देकर और (बी) व्यक्तियों की ओर से ई-रूपी वाउचर जारी करने को सक्षम बनाकर ई-रूपी वाउचर के दायरे और पहुंच का विस्तार करने का प्रस्ताव है। ई-रुपी वाउचर के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए वाउचर को फिर से लोड करने, प्रमाणीकरण प्रक्रिया, जारी करने की सीमा आदि जैसे अन्य पहलुओं को भी संशोधित किया जाएगा। शीघ्र ही अलग से अनुदेश जारी किए जाएंगे। 7. भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) प्रक्रियाओं और सदस्यता मानदंड को सुव्यवस्थित करना भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) एक 'कभी भी कहीं भी' बिल भुगतान प्लेटफॉर्म है जो अगस्त 2017 से परिचालित है। वर्तमान में, बीबीपीएस ने 20,500 से अधिक बिलर्स को शामिल किया है और हर महीने 9.8 करोड़ से अधिक लेनदेन प्रसंस्कृत करता है। बीबीपीएस के दायरे को दिसंबर 2022 में और अधिक विस्तारित किया गया था ताकि दोनों आवर्ती और गैर-आवर्ती प्रकृति के भुगतान और संग्रह की सभी श्रेणियों को शामिल किया जा सके, साथ ही साथ अंतर्गामी सीमा-पारीय (इन-बाउंड क्रॉस-बॉर्डर) बिल भुगतान की सुविधा प्रदान की जा सके। प्रणाली की दक्षता बढ़ाने और अधिक से अधिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने के लिए, लेनदेन की प्रक्रिया प्रवाह और बीबीपीएस में परिचालन इकाइयों को शामिल करने के लिए सदस्यता मानदंड को सुव्यवस्थित किया जाएगा। जल्द ही संशोधित दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। 8. रुपे कार्ड जारी करने और स्वीकार करने का अंतरराष्ट्रीयकरण भारत में बैंकों द्वारा जारी किए गए रूपे डेबिट और क्रेडिट कार्डों को अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ द्विपक्षीय व्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय कार्ड योजनाओं के साथ सह-बैजिंग व्यवस्थाओं के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति प्राप्त हुई है। विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए भुगतान विकल्पों का विस्तार करने हेतु, यह निर्णय लिया गया है कि विदेशों में एटीएम, पीओएस मशीनों और ऑनलाइन व्यापारियों के पास उपयोग के लिए भारत में बैंकों द्वारा रुपे प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड जारी करने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा, रुपे डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड विदेशी अधिकार-क्षेत्रों में जारी करने के लिए सक्षम होंगे, जिनका भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग किया जा सकता है। ये उपाय विश्व स्तर पर रूपे कार्ड की पहुंच और स्वीकार्यता का विस्तार करेंगे। आवश्यक निर्देश अलग से जारी किये जाएंगे। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/365 |