विदेशी मुद्रा प्रवाह का उदारीकरण (संशोधित) - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रवाह का उदारीकरण (संशोधित)
6 जुलाई 2022 विदेशी मुद्रा प्रवाह का उदारीकरण (संशोधित) वैश्विक दृष्टिकोण पर मंदी के जोखिम के बादल छाए हुए हैं। परिणामस्वरूप, उच्च जोखिम विमुखता ने वित्तीय बाजारों को जकड़ लिया है जिसमें अमेरिकी डॉलर के लिए सुरक्षा और सुरक्षित आश्रय की मांग की ओर पलायन सहित अस्थिरता की बढ़ोत्तरी, जोखिम आस्तियों का सेल-ऑफ और बड़े प्रभाव विस्तार शामिल हैं। परिणामस्वरूप, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) को पोर्टफोलियो प्रवाह में कटौती और उनकी मुद्राओं को निरंतर अधोगामी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। भारत की संवृद्धि संभावनाएं मजबूत और आघात सहनीय बनी हुई हैं। भू-राजनीतिक गतिविधियों, कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतों और सख्त बाह्य वित्तीय परिस्थितियों के विपरीत हालातों के बावजूद, उच्च आवृत्ति संकेतक कई क्षेत्रों में लागू बहाली की ओर संकेत देते हैं। उदाहरण के तौर पर, सेवाओं से संबंधित क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) जून 2022 में अप्रैल 2011 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। जून 2022 में वाणिज्य वस्तु व्यापार घाटे का विस्तार घरेलू मांग की मजबूती को रेखांकित करता है। भारत के बाह्य क्षेत्र ने वस्तुओं और सेवाओं के मजबूत निर्यात और बढ़ते विप्रेषण के कारण आघात सहनीयता और व्यवहार्यता प्रदर्शित की है। चालू खाता घाटा (सीएडी) न्यूनतर है। पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बने हुए हैं और पर्याप्त भंडार बाह्य आघातों से निपटने के लिए एक बफर प्रदान करता है। इन मजबूत बुनियादी बातों को दर्शाते हुए, भारतीय रुपये में चालू वित्त वर्ष (5 जुलाई तक) के दौरान अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4.1 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो अन्य ईएमई और यहां तक कि प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) के सापेक्ष न्यूनतर है। 24 जून 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 593.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो निवल वायदा आस्तियों के पर्याप्त स्टॉक द्वारा पूरक है। रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में चलनिधि की स्थिति की बारीकी से और निरंतर निगरानी कर रहा है और बाजार के व्यवस्थित कामकाज को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से डॉलर की मजबूती को कम करने के लिए अपने सभी क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार कदम उठा रहा है। विदेशी मुद्रा वित्त पोषण के स्रोतों में और विविधता लाने तथा विस्तार करने के लिए ताकि अस्थिरता और वैश्विक प्रभाव विस्तार को कम किया जा सके, समग्र समष्टि आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए विदेशी मुद्रा अंतर्वाह बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपायों को लागू करने का निर्णय लिया गया है। 1. वृद्धिशील एफसीएनआर (बी) और एनआरई मीयादी जमाराशियों पर आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) से छूट वर्तमान में, बैंकों को सीआरआर और एसएलआर के रख-रखाव हेतु सभी विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) [एफसीएनआर (बी)] और अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमा देयताओं को निवल मांग और मियादी देयताओं (एनडीटीएल) की गणना के लिए शामिल करने की आवश्यकता है। यह निर्णय लिया गया है कि 30 जुलाई 2022 से शुरू होने वाले रिपोर्टिंग पखवाड़े से वृद्धिशील एफसीएनआर (बी) और 1 जुलाई 2022 की संदर्भ आधार तिथि से एनआरई जमाराशियों को सीआरआर और एसएलआर के रख-रखाव से छूट दी जाएगी। यह छूट 4 नवंबर 2022 तक जमा की गई जमाराशियों के लिए उपलब्ध होगी। अनिवासी (साधारण) (एनआरओ) खाते से एनआरई खातों में अंतरण छूट हेतु योग्य नहीं होगा। 2. एफसीएनआर(बी) और एनआरई जमाराशियों पर ब्याज दरें वर्तमान में, विदेशी मुद्रा अनिवासी बैंक [एफसीएनआर (बी)] जमाराशियों पर ब्याज दरें 1 वर्ष से 3 वर्ष से कम की परिपक्वता अवधि की जमाराशियों के लिए संबंधित मुद्रा/स्वैप प्लस 250 आधार अंकों के लिए ओवरनाइट वैकल्पिक संदर्भ दर (एआरआर) की उच्चतम सीमा और 3 वर्ष से अधिक व 5 वर्ष तक की परिपक्वता अवधि की जमाराशियों के लिए ओवरनाइट एआरआर प्लस 350 आधार अंक के अधीन हैं। एनआरई जमाराशियों के मामले में, वर्तमान निर्देशों के अनुसार, ब्याज दरें तुलनीय घरेलू रुपया मियादी जमाराशियों पर बैंकों द्वारा दी जाने वाली ब्याज दरों से अधिक नहीं होगी। यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को 7 जुलाई 2022 से ब्याज दरों पर मौजूदा नियमों के संदर्भ के बिना नई एफसीएनआर (बी) और एनआरई जमाराशि जुटाने की अनुमति प्रदान की जाए। यह छूट 31 अक्तूबर 2022 तक की अवधि के लिए उपलब्ध होगी। 3. ऋण में एफपीआई निवेश विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफ़पीआई) तीन चैनलों के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं: (ए) अक्तूबर 2015 में शुरू किया गया मध्यावधि ढांचा (एमटीएफ); (बी) मार्च 2019 में शुरू किया गया स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर); और (सी) अप्रैल 2020 में शुरू किया गया पूर्णतया सुलभ मार्ग (एफएआर)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए, ऋण प्रवाह में एफपीआई निवेश से संबंधित विनियामक व्यवस्था में निम्नलिखित परिवर्तन किए जा रहे हैं:
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (एडी श्रेणी-I) बैंकों द्वारा विदेशी मुद्रा उधार वर्तमान में, एडी श्रेणी-I बैंक अपनी अप्रभावित टियर 1 पूंजी के 100 प्रतिशत या 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर, जो भी अधिक हो, की सीमा तक समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा उधार (ओएफसीबी) ले सकते हैं। इस प्रकार उधार ली गई धनराशि का उपयोग निर्यात वित्त के उद्देश्य को छोड़कर विदेशी मुद्रा में उधार देने के लिए नहीं किया जा सकता है। अब यह निर्णय लिया गया है कि एडी श्रेणी-I बैंक, बाह्य वाणिज्यिक उधारों (ईसीबी) के लिए निर्धारित नकारात्मक सूची के अधीन, अंत-उपयोग उद्देश्यों की व्यापकता के लिए संस्थाओं को विदेशी मुद्रा में उधार देने के लिए ओएफसीबी का उपयोग कर सकते हैं। इस उपाय से उधारकर्ताओं के एक बड़े समूह, जिनके लिए सीधे विदेशी बाजारों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है, को विदेशी मुद्रा उधार लेने की सुविधा मिलने की आशा है। इस तरह के उधार लेने की यह छूट 31 अक्टूबर 2022 तक उपलब्ध है। 5. बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) स्वचालित ईसीबी मार्ग के तहत, पात्र उधारकर्ताओं को आरबीआई से संपर्क किए बिना अपने एडी बैंकों के माध्यम से धन जुटाने की अनुमति है, जब तक कि उधार, ईसीबी ढांचे के विवेकपूर्ण मापदंडों जैसे कि समग्र लागत सीमा, न्यूनतम परिपक्वता अपेक्षाओं और समग्र गतिशील सीमा के अनुरूप है। अब स्वचालित मार्ग के अंतर्गत सीमा को अस्थायी रूप से प्रति वित्तीय वर्ष 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर या उसके समांतर से बढ़ाकर 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने का निर्णय लिया गया है। ईसीबी ढांचे के अंतर्गत समग्र लागत सीमा को भी 100 आधार अंक बढ़ाया जा रहा है, बशर्ते उधारकर्ता निवेश ग्रेड रेटिंग का हो। उपरोक्त छूट 31 दिसंबर 2022 तक उपलब्ध हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/481 |