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वर्ष 2012-13 के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंपनियों की हल्की वृद्धि : भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आंकड़े जारी

26 दिसंबर 2014

वर्ष 2012-13 के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंपनियों की हल्की वृद्धि
: भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आंकड़े जारी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंपनियों के वित्त, 2012-13’ से संबंधित आंकड़े जारी किए। उक्त आंकड़े अप्रैल 2012 से मार्च 2013 की अवधि के दौरान अपने खातों की लेखाबंदी करने वाली 917 चयनित गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंपनियों के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखों के आधार पर संकलित किए गए हैं। ये आंकड़े एक समान स्वरूप वाली कंपनियों के आधार पर वर्ष 2010-11 से 2012-13 की तीन वर्षों की अवधि की तुलनात्मक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। विवरणों से संबंधित ‘व्याख्यात्मक टिप्पणियां’ अंत में दी गई हैं।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • उत्पादन मूल्य और परिचालन व्यय के साथ चयनित एफडीआई कंपनियों की बिक्री वृद्धि वर्ष 2012-13 में हल्की रही। वर्ष 2011-12 में 17.7 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि की तुलना में वर्ष 2012-13 में यह 14.2 प्रतिशत रही।

  • ब्याज, कर, अवमूल्यन और परिशोधन पूर्व अर्जन (ईबीआईटीडीए) और निवल लाभ (पीएटी) में वर्ष 2012-13 में सुधार हुआ जो मुख्य रूप से क्रमशः विनिर्माण व्यय और ब्याज व्यय में हल्की वृद्धि के कारण हुआ।

  • एफडीआई कंपनियों के लिए व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में वर्ष 2011-12 में दर्ज की गई 27.3 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में वर्ष 2012-13 में 13.4 प्रतिशत पर तीव्र कमी देखी गई। तथापि, आयात वृद्धि वर्ष 2011-12 में 14.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2012-13 में 18.0 प्रतिशत हो गई।

  • चयनित एफडीआई कंपनियों के अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) व्यय में वर्ष 2011-12 में दर्ज की गई 24.7 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में वर्ष 2012-13 में 35.8 प्रतिशत की उच्चतर वृद्धि हुई।

  • इस वर्ष चयनित एफडीआई कंपनियों की कुल निवल आस्तियों की वृद्धि में कमी आई जबकि वर्ष 2012-13 में कुल आस्तियों में सकल स्थायी आस्ति निर्माण की हिस्सेदारी पिछले वर्ष में दर्ज 13.4 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2012-13 में 11.1 प्रतिशत की धीमी दर से बढ़ी।

  • चयनित एफडीआई कंपनियों के बिक्री अनुपात में माल-सूची में पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2012-13 में गिरावट आई।

  • कुल देयताओं में दीर्घावधि और अल्पावधि उधार की हिस्सेदारी वर्ष 2012-13 में बढ़ गई जिसके कारण इस वर्ष चयनित एफडीआई कंपनियों के लीवरेज़ अनुपात में वृद्धि हुई।

  • वर्ष 2012-13 में ईबीआईटीडीए मार्जिन और इक्विटी पर प्रतिफल (आरओई) जैसे लाभप्रदता अनुपात में कमी आई जो मुख्य रूप से बढ़े हुए लीवरेज़ अनुपात के कारण हुआ।

  • चयनित एफडीआई कंपनियां अपने कारोबार के विस्तार के लिए निधियों के बाह्य स्रोतों पर निर्भर रही और इन निधियों का उपयोग प्रमुख रूप से सकल आस्ति निर्माण और दीर्घावधि निवेश के लिए किया गया।

समग्र स्तर और एफडीआई की हिस्सेदारी, एफडीआई और उद्योग की उत्पत्ति वाले देश के आधार पर चयनित गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंपनियों के वित्त का विश्लेषण करने वाला एक आलेख भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन के जनवरी 2015 अंक में प्रकाशित किया जा रहा है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1332

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