मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24 मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प 6–8 दिसंबर 2023 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24 मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प 6–8 दिसंबर 2023
8 दिसंबर 2023 मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24 वर्तमान और उभरती समष्टिआर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (8 दिसंबर 2023) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:
स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।
ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य प्राप्त करने के अनुरूप है। आकलन और संभावना 2. वैश्विक संवृद्धि विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में अलग-अलग गति से मंद हो रही है। मुद्रास्फीति में गिरावट जारी है, तथपि यह लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है और अंतर्निहित मुद्रास्फीति दबाव अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है। पिछली एमपीसी बैठक के बाद से बाज़ार के रुख में सुधार हुआ है - सॉवरेन बॉण्ड प्रतिफल में गिरावट आई है, अमेरिकी डॉलर का मूल्यह्रास हुआ है, और वैश्विक इक्विटी बाज़ार मजबूत हुए हैं। उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) को लगातार अस्थिर पूंजी प्रवाह का सामना करना पड़ रहा है। 3. घरेलू आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीयता प्रदर्शित कर रही है। 2023-24 की दूसरी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वर्ष-दर-वर्ष 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो कि मजबूत निवेश और सरकारी खपत पर आधारित है, जिसने निवल बाह्य मांग के दबाव को कम किया। आपूर्ति पक्ष पर, विनिर्माण और निर्माण गतिविधियों में भारी वृद्धि के कारण दूसरी तिमाही में योजित सकल मूल्य (जीवीए) 7.4 प्रतिशत बढ़ गया। 4. विनिर्माण गतिविधि की निरंतर मजबूती, निर्माण में भारी वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्र में धीरे-धीरे सुधार से घरेलू खपत की संभावनाएं उज्ज्वल होने की आशा है। बैंकों और कॉरपोरेट्स के मजबूत तुलन-पत्र, आपूर्ति श्रृंखला सामान्यीकरण, कारोबारी आशावाद में सुधार तथा सार्वजनिक और निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि से आगे चलकर निवेश को बढ़ावा मिलना चाहिए। निर्यात में सुधार के साथ, बाह्य मांग का दबाव कम होने की आशा है। भू-राजनीतिक उथल-पुथल, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता और भू-आर्थिक विखंडन से प्रतिकूल परिस्थितियां संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि तीसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 6.0 प्रतिशत के साथ 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.7 प्रतिशत; दूसरी तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत; और तीसरी तिमाही के लिए 6.4 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 5. कतिपय सब्जियों की कीमतों में तेज कमी, ईंधन में अवस्फीति और मूल मुद्रास्फीति (भोजन और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति) में व्यापक आधार पर कमी के कारण अक्तूबर 2023 में एमपीसी की पिछली बैठक के बाद से सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति लगभग 2 प्रतिशत अंक गिरकर 4.9 प्रतिशत हो गई। 6. प्रतिकूल आधार प्रभावों के साथ-साथ खाद्य कीमतों में अनिश्चितताओं से नवंबर-दिसंबर में हेडलाइन मुद्रास्फीति में वृद्धि होने की संभावना है। अल नीनो मौसम की स्थिति के साथ-साथ खरीफ फसल की आवक और रबी की बुआई में प्रगति पर नजर रखने की आवश्यकता है। अनाज के लिए पर्याप्त बफर भंडार और अंतरराष्ट्रीय खाद्य कीमतों में तेज कमी के साथ-साथ सरकार द्वारा सक्रिय आपूर्ति पक्ष के मध्यक्षेप से इन खाद्य कीमतों के दबाव को नियंत्रण में रखा जा सकता है। कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता बनी रह सकती है। भारतीय रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षणों में सर्वेक्षण की गई फर्मों के शुरुआती परिणाम, पिछली तिमाही की तुलना में चौथी तिमाही में विनिर्माण फर्मों के लिए निविष्टि लागत और बिक्री कीमतों में अल्प संवृद्धि का संकेत देते हैं, जबकि सेवाओं और बुनियादी ढांचा फर्मों के लिए मूल्य दबाव बना हुआ है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत के साथ 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वर्ष सामान्य मानसून की पूर्वधारणा के साथ, 2024-25 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत; दूसरी तिमाही के लिए 4.0 प्रतिशत; और तीसरी तिमाही के लिए 4.7 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 7. एमपीसी ने पाया कि खाद्य कीमतों के आवर्ती आघात जारी अवस्फीति प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं। मूल अवस्फीति स्थिर रही है, जो पिछली मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के प्रभाव का संकेत है। तथापि, हेडलाइन मुद्रास्फीति, प्रत्याशाओं के नियंत्रण पर संभावित प्रभाव के साथ, अस्थिर बनी हुई है। घरेलू खाद्य मुद्रास्फीति की अप्रत्याशितता, और अनिश्चित अंतरराष्ट्रीय वातावरण में कच्चे तेल की कीमतों और वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता मुद्रास्फीति की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती है। अवस्फीति का मार्ग अविरत रखने की आवश्यकता है। एमपीसी खाद्य मूल्य दबावों के सामान्यीकरण के किसी भी संकेत की सावधानीपूर्वक निगरानी करेगी जो मूल मुद्रास्फीति में कमी के लाभ को समाप्त कर सकता है। संवृद्दि के संबंध में, कारोबार और उपभोक्ता आशावाद के साथ-साथ निवेश की मांग में सुधार से घरेलू आर्थिक गतिविधि को समर्थन मिलेगा और आपूर्ति की बाधाएं कम होंगी। चूंकि नीतिगत रेपो दर में संचयी वृद्धि अभी भी अर्थव्यवस्था के माध्यम से अपना काम कर रही है, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने का निर्णय लिया है, लेकिन यदि परस्थिति के लिए आवश्यक हो तो उचित और सामयिक नीतिगत कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं के नियंत्रण और पूर्ण संचरण को सुनिश्चित करने के लिए मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बने रहना चाहिए। एमपीसी मुद्रास्फीति को लक्ष्य से संरेखित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। 8. एमपीसी के सभी सदस्य - डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया। 9. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस भाग पर आपत्ति जताई। 10. एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 22 दिसंबर 2023 को प्रकाशित किया जाएगा। 11. एमपीसी की अगली बैठक 6-8 फरवरी 2024 के दौरान निर्धारित है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1438 |