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आरबीआई बुलेटिन - अगस्त 2022

18 अगस्त 2022

आरबीआई बुलेटिन - अगस्त 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का अगस्त 2022 का अंक जारी किया। बुलेटिन में, मौद्रिक नीति वक्तव्य- 2022-23, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प 3-5 अगस्त 2022, दो भाषण, छ: आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं।

छ: आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण: एक वैकल्पिक परिप्रेक्ष्य; III. अस्थिर समुद्र में स्थिर जहाज: हाल के समय में एनबीएफसी क्षेत्र का विश्लेषण; IV. भारतीय अर्थव्यवस्था की तत्काल निगरानी; V. निजी कॉरपोरेट निवेश: 2021-22 में वृद्धि और 2022-23 के लिए संभावना; और VI. उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विनिमय दर अस्थिरता।

I. अर्थव्यवस्था की स्थिति

इस महीने वैश्विक वृद्धि की संभावनाएं कुछ धूमिल हुई हैं। आपूर्ति शृंखला में दबावों की कमी और जिंसों की कीमतों में हालिया गिरावट, रिकॉर्ड उच्च मुद्रास्फीति से कुछ राहत प्रदान कर रहे हैं। भारत में, हाल में मानसून में तेजी, विनिर्माण क्षेत्र में मजबूत गति और सेवाओं में सुधार के कारण आपूर्ति की स्थिति सुधर रही है। त्यौहारी मौसम की शुरुआत और बुवाई गतिविधि में तेजी से उपभोक्ता मांग, जिसमें ग्रामीण उपभोक्ता भी शामिल हैं, बढ़ने की उम्मीद है। केंद्र सरकार के मजबूत पूंजीगत परिव्ययों से निवेश गतिविधि को बल मिल रहा है। मुद्रास्फीति में कमी आई है, लेकिन इसका ऊँचे स्तरों पर बने रहना, आगे चलकर प्रत्याशाओं को नियंत्रित करने हेतु, समुचित नीतिगत कार्रवाई की मांग करता है।

II. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण: एक वैकल्पिक परिप्रेक्ष्य

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण भारत में एक व्यापक रूप से चर्चित विषय है। यह लेख पीएसबी के निजीकरण के पक्ष और विपक्ष के कुछ तर्कों का अनुभवजन्य मूल्यांकन करता है।

प्रमुख बिन्दु :

  • डेटा एनवेलपमेंट अनैलिसिस (डीईए) के प्रयोग के आधार पर इस आलेख में पाया गया है कि जहाँ निजी क्षेत्र के बैंक (पीवीबी) लाभ इष्टतमीकरण में अधिक कुशल हैं, वहीं उनके सार्वजनिक क्षेत्र के समकक्षों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में बेहतर प्रदर्शन किया है।

  • पीवीबी की तुलना में पीएसबी में श्रम लागत दक्षता अधिक है।

  • अनुभवजन्य साक्ष्य बताते हैं कि पीएसबी द्वारा ऋण दिया जाना पीवीबी की तुलना में कम प्रचक्रीय है। इस प्रकार, पीएसबी, ट्रैकसन प्राप्त करने हेतु प्रति-चक्रीय नीतिगत कार्रवाइयों में मदद करते हैं।

  • निजीकरण के लिए सरकार द्वारा अपनाया गया क्रमिक दृष्टिकोण यह सुनिश्चित कर सकता है कि वित्तीय समावेशन के सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने में कोई रिक्तता उत्पन्न न हो।

III. अस्थिर समुद्र में स्थिर जहाज: हाल के समय में एनबीएफसी क्षेत्र का एक विश्लेषण

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने खुद को वित्तीय परिदृश्य के एक अभिन्न अंग के रूप में स्थापित किया है। पर्यवेक्षी डेटा का उपयोग करके इस आलेख में कई मापदंडों पर महामारी की दूसरी लहर के बाद वर्ष 2021-22 (2021-22 की तीसरी तिमाही तक) में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र के कार्यनिष्पादन का मूल्यांकन किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • एनबीएफसी क्षेत्र के समेकित तुलन-पत्र ने दिसंबर 2021 को समाप्त तिमाही में दोहरे अंकों की वृद्धि प्रदर्शित की।

  • एएए/एए-रेटेड एनबीएफसी बॉण्डों के स्प्रेड के बीच का अंतर जनवरी 2021 से कम होना शुरू हुआ और दिसंबर 2021 में कोविड से पहले के स्तर तक पहुंच गया, जो इस क्षेत्र में बाजार में बढ़ते विश्वास का संकेत है।

  • एनबीएफसी ने औद्योगिक क्षेत्र को अधिकतम ऋण और इसके बाद खुदरा, सेवाओं और कृषि क्षेत्र को ज़्यादातर ऋण देना जारी रखा। दिसंबर 2020 के अंत की तुलना में वर्ष 2021-22 (दिसंबर 2021 के अंत तक) में क्षेत्रवार ऋण वितरण काफी हद तक अपरिवर्तित रहा। आधार प्रभाव और आर्थिक गतिविधियों के फिर से शुरू हो जाने के कारण सभी क्षेत्रों में उच्च ऋण वृद्धि देखने को मिली।

  • एनबीएफसी क्षेत्र की लाभप्रदता में वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में वर्ष 2020-21 की तत्संबंधी तिमाही की तुलना में सुधार हुआ। एनबीएफसी पर्याप्त प्रावधान बनाए रखना जारी रखे हुए हैं और उनकी पूंजी की स्थिति मजबूत बनी हुई है।

IV. भारतीय अर्थव्यवस्था की तत्काल निगरानी

  • यह आलेख यथासंभव न्यूनतम अंतराल के साथ अर्थव्यवस्था में नवीनतम घटनाक्रम पर नज़र रखने के लिए साप्ताहिक गतिविधि सूचकांक बनाने का प्रयास करता है। दो अलग-अलग सूचकांक विकसित किए गए हैं –डायनेमिक फैक्टर मॉडल का उपयोग करते हुए एक 7-संकेतकों वाला साप्ताहिक गतिविधि सूचकांक (डब्ल्यूएआई), जो वर्ष-दर-वर्ष आधार पर आर्थिक गतिविधि में परिवर्तन को दर्शाता है और एक 15-संकेतकों का साप्ताहिक प्रसार सूचकांक (डब्ल्यूडीआई), जो क्रमिक आधार पर दिशात्मक गतिविधि को दर्शाता है।

प्रमुख बिंदु:

  • डब्ल्यूएआई समय पर अपनी उपलब्धता के कारण मासिक उच्च आवृत्ति संकेतकों में सूचना अंतर को पाटने के लिए नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में कार्य करने की संभाव्यता रखता है, विशेष रूप से आर्थिक परिस्थितियों में भारी परिवर्तन की अवधि के दौरान।

  • डब्ल्यूएआई का 4-सप्ताह और 13-सप्ताह का गतिमान औसत (एमए) आईआईपी और जीडीपी वृद्धि का प्रारंभिक तात्कालिक अनुमान प्रदान करता है।

  • स्तर संदर्भों में प्रस्तुत किए गए साप्ताहिक रिकवरी सूचकांक (डब्ल्यूआरआई) में दिसंबर 2021 और जनवरी 2022 में गिरावट आने के बाद उसमें वृद्धि हुई, जो कि कोविड-19 की पहली दो लहरों की तुलना में ओमीक्रॉन लहर के मंद प्रभाव को दर्शाता है।

V. निजी कॉरपोरेट निवेश: 2021-22 में वृद्धि और 2022-23 के लिए संभावना

निजी कॉरपोरेट क्षेत्र का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) अर्थव्यवस्था में समग्र निवेश के माहौल के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। निजी कॉरपोरेट क्षेत्र द्वारा इंगित पूंजीगत व्यय की चरणबद्ध योजनाओं से संबंधित डेटा का उपयोग करते हुए, यह आलेख नई परियोजनाओं में प्रगति और साथ-साथ सन्निकट निजी निवेश संभावना का आकलन प्रदान करता है।

प्रमुख बिन्दु:

  • व्यावसायिक गतिविधियों के फिर से शुरू होने और कोविड-19 महामारी में कमी आने के बाद मांग की स्थिति में सुधार के साथ 2021-22 के दौरान नई परियोजनाओं की घोषणा में काफी वृद्धि हुई।

  • अवसंरचना क्षेत्र ने अधिकतम पूंजीगत व्यय को आकर्षित करना जारी रखा जिसमें 'विद्युत' तथा 'सड़क और पुल' क्षेत्र आगे रहे।

  • 2021-22 में निजी कॉरपोरेट क्षेत्र की कुल पूंजीगत व्यय योजना में पिछले वर्ष की तुलना में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इस वृद्धि का अधिकतम भाग बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) मार्ग के माध्यम से जुटाए गए संसाधनों का है।

  • 2021-22 के दौरान परिकल्पित कुल पूंजीगत व्यय निवेश में से एक तिहाई से अधिक के व्यय किए जाने की संभावना 2022-23 में है।

VI. उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विनिमय दर अस्थिरता

इस आलेख में 2007 से अमेरिकी डॉलर की तुलना में चुनिंदा उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में विनिमय दर की अस्थिरता का विश्लेषण किया गया है, जिसमें वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी), यूरोज़ोन राष्ट्रिक (सॉवरिन) ऋण संकट, टेपर टैंट्रम, कोविड-19 प्रकोप और हाल ही में रूस-यूक्रेन संघर्ष और फेडरल रिज़र्व द्वारा मौद्रिक नीति सख्ती जैसी उच्च अस्थिरता की प्रमुख घटनाएँ शामिल हैं।

प्रमुख बिन्दु :

  • जीएफसी के बाद उच्च अस्थिरता वाली स्थितियों में चुनिंदा ईएमई मुद्राओं का एक समान भारित निहित अस्थिरता सूचकांक नीचे रहा है। इसके अलावा, बाद की प्रत्येक स्थिति के दौरान उच्च अस्थिरता के दिनों की संख्या में भी गिरावट आई है।

  • किसी भी स्पष्ट/अंतर्निहित पूर्व निर्धारित लक्ष्य/बैंड के संदर्भ के बिना भारतीय रुपया (आईएनआर) के विनिमय दर अस्थिरता को नियंत्रित करने के उद्देश्य को पूरा किया गया है जैसा कि विभिन्न मापदंडों जैसे कि रीयलाइज्ड अस्थिरता, अस्थिरता शंकु और अंतर्दिवसीय दायरे (इंट्राडे रेंज) में परिलक्षित होता है। इसके अलावा, 2007-2021 के दौरान आईएनआर की अस्थिरता प्रत्याशाएं भी कम हो गई हैं।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/726

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