भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन – जुलाई 2025 - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन – जुलाई 2025
आज, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का जुलाई 2025 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में चार भाषण, चार आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। चार आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. भारत में तेल की कीमत और मुद्रास्फीति के संबंध का पुनरावलोकन; III. एक दिवसीय संपार्श्विक रहित मुद्रा बाज़ार मात्रा के निर्धारक - एक अनुभवजन्य मूल्यांकन; और IV. भारत में परिवारों की मुद्रास्फीति संबंधी प्रत्याशाएँ: उभरती प्रवृत्तियाँ, निर्धारक और मौद्रिक नीति का प्रभाव। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति भू-राजनीतिक तनावों और प्रशुल्क (टैरिफ) नीति की अनिश्चितताओं के बीच, जून और जुलाई में अब तक वैश्विक समष्टि आर्थिक परिवेश अस्थिर बना हुआ है। खरीफ कृषि सीजन की बेहतर संभावनाओं, सेवा क्षेत्र में मज़बूत गति जारी रहने और औद्योगिक गतिविधियों में मामूली वृद्धि के साथ, घरेलू आर्थिक गतिविधियाँ स्थिर रहीं। खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण जून में लगातार पाँचवें महीने हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से नीचे रही। ऋण बाजारों में, नीतिगत दरों की कटौती तेजी से पहुंचाने के लिए प्रणालीगत चलनिधि, अधिशेष में बनी रही। पर्याप्त विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि और मामूली जीडीपी से बाह्य ऋण के अनुपात के कारण, बाह्य क्षेत्र आघात-सह बना रहा। II. भारत में तेल की कीमत और मुद्रास्फीति के संबंध का पुनरावलोकन सुजाता कुंडू, सौमश्री तिवारी और इंद्रनील भट्टाचार्य द्वारा अस्थिर वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों और अल्प विनियमित पेट्रोल और डीजल मूल्य व्यवस्था की पृष्ठभूमि में, यह आलेख भारतीय संदर्भ में हेडलाइन मुद्रास्फीति पर अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के प्रभाव का पुनर्मूल्यांकन करता है। मुख्य बातें:
III. एक दिवसीय संपार्श्विक रहित मुद्रा बाज़ार मात्रा के निर्धारक - एक अनुभवजन्य मूल्यांकन श्रीजश्री सरदार और अलकम परवेज़ द्वारा संपार्श्विक रहित मुद्रा बाजार, भारत के मौद्रिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि के आदान-प्रदान के लिए प्रमुख मार्ग के रूप में कार्य करता है। इसका महत्व इस तथ्य से और भी स्पष्ट होता है कि भारित औसत मांग दर (डबल्यूएसीआर), भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति के परिचालन लक्ष्य के रूप में कार्य करती है। इस पृष्ठभूमि में, यह आलेख भारतीय मुद्रा बाज़ार के असुरक्षित अंतर-बैंक खंड में व्यापार की मात्रा को प्रभावित करने वाले कारकों की अनुभवजन्य जाँच करने का प्रयास करता है। मुख्य बातें:
IV. भारत में परिवारों की मुद्रास्फीति संबंधी प्रत्याशाएँ: उभरती प्रवृत्तियाँ, निर्धारक और मौद्रिक नीति का प्रभाव अंकित रूही, कनुप्रिया शर्मा और सुभद्रा संकरन द्वारा कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक तनावों के बाद परिवारों की मुद्रास्फीति संबंधी प्रत्याशाएँ बढ़ीं और तब से काफी हद तक उच्च बनी हुई हैं। इन घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, यह आलेख परिवारों की मुद्रास्फीति संबंधी प्रत्याशाओं में उभरती प्रवृत्तियों का विश्लेषण करता है। यह परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वेक्षण में दर्ज प्रत्याशाओं के उच्च मूल्यों को समायोजित करने के वैकल्पिक तरीकों का प्रस्ताव रखती है और इन प्रत्याशाओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख समष्टि-आर्थिक कारकों की पहचान करती है। अंत में, विशेष रूप से लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (एफ़आईटी) व्यवस्था को अपनाने के बाद से, नीतिगत हस्तक्षेपों के प्रभाव की भी जाँच की गई है। मुख्य बातें:
बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/769 |