आरबीआई बुलेटिन – मई 2024 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन – मई 2024
रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का मई 2024 अंक प्रकाशित किया। बुलेटिन में तीन भाषण, चार आलेख और वर्तमान आंकड़े शामिल हैं। चार लेख हैंः I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. विकेन्द्रीकृत वित्त: वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव; III. भारतीय रिज़र्व बैंक का मुद्रा स्वैप: जीएफएसएन में भूमिका और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना; IV. भारत में उपभोक्ता विश्वास: एक क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य।
I. अर्थव्यवस्था की स्थिति
वैश्विक अर्थव्यवस्था की संभावना कमजोर हो रही है क्योंकि मुद्रास्फीति की गिरावट बाधित हो रही है,जिससे वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम फिर से बढ़ रहा है। पूंजी प्रवाह अस्थिर हो गया है क्योंकि धैर्यहीन निवेशक जोखिम से विमुख हो रहे हैं। एक बढ़ता आशावाद यह है कि भारत लंबे समय से प्रतीक्षित आर्थिक टेक-ऑफ के मार्ग पर है। हाल ही के संकेतक सकल मांग की गति में तेजी की ओर इशारा कर रहे हैं। खाद्येतर व्यय को ग्रामीण व्यय की बहाली में तेजी द्वारा बढ़ाया जा रहा है। अप्रैल 2024 के रीडिंग में देखी गई हेडलाइन मुद्रास्फीति में मामूली कमी, इस आशा की पुष्टि करती है कि लक्ष्य के साथ संरेखण की असमान और मध्यम गति चल रही है।
II. विकेन्द्रीकृत वित्त: वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव
श्रीजश्री सरदार, दीपक आर. चौधरी और संगीता दास द्वारा
विकेन्द्रीकृत वित्त (डिफ़ी) पारंपरिक वित्तीय प्रणाली में मध्यस्थहीनता लाना चाहता है। तथापि, एफटीएक्स क्रिप्टो एक्सचेंज का पतन, बिनेंस में गिरावट और स्थिर कॉइन में अस्थिरता की घटनाओं जैसे गतिविधियों ने पूरे क्रिप्टो प्रणाली में विश्वास की कमी उत्पन्न कर दी है। यह आलेख एक एक्सपोनेंशियल जनरल ऑटोरेग्रेस्सिव कंडीशनल हेटेरोस्केडस्टिक (ईजीएआरसीएच) मॉडल का प्रयोग करके डिफी और पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों के साथ उसके अंतरसंबद्धता का मूल्यांकन करता है।
मुख्य बातें:
III. भारतीय रिज़र्व बैंक का मुद्रा स्वैप: जीएफएसएन में भूमिका और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देना अजेश पलायी द्वारा
केंद्रीय बैंक मुद्रा स्वैप, वैश्विक वित्तीय सुरक्षा नेट (जीएफएसएन) का एक अभिन्न अंग हैं और इनके द्वारा वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से वैश्विक वित्तीय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है। यह आलेख भारतीय रिज़र्व बैंक की विभिन्न केंद्रीय बैंक के साथ मुद्रा स्वैप व्यवस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देने में इनकी भूमिका का परीक्षण करता है। मुख्य बातें:
IV. भारत में उपभोक्ता विश्वास: एक क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य सौरज्योति सरदार, आदित्य मिश्रा, मनु स्वर्णकार और तुषार बी. दास द्वारा यह आलेख भारत में उपभोक्ता मनोभावों से संबंधित क्षेत्रीय प्रवृत्तियों का अध्ययन करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (सीसीएस) की गुणात्मक आंकड़ों का उपयोग करता है। इसने "क्षेत्रीय मनोभाव सूचकांक" (आरएसआई) की शुरुआत की और यह विभिन्न क्षेत्रों में सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं में भिन्नताओं की जांच करने के लिए कोहेरेन्स विश्लेषण और ओर्ड़र्ड लॉजिस्टिक रिग्रेशन जैसी गुणात्मक डेटा विश्लेषण तकनीकों का प्रयोग करता है। मुख्य बातें:
बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और यह भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
(पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/341
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