भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यापार प्राप्यराशि भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस) स्थापित करने के लिए तीन आवेदकों को सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यापार प्राप्यराशि भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस) स्थापित करने के लिए तीन आवेदकों को सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया
24 नवंबर 2015 भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यापार प्राप्यराशि भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस) वर्ष 2015-16 के केंद्रीय बजट में माननीय केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्राप्यराशि के वसूली चक्र को कम करके एमएसएमई क्षेत्र में निधियों के प्रवाह में सुधार करने के लिए टीआरईडीएस की आवश्यकता और इसके उपयोग पर प्रकाश डाला था। टीआरईडीएस एसएमई को अपनी प्राप्यराशि प्रणाली मे डालने और उसका वित्तपोषण करने की अनुमति देगी। इससे न केवल उनकी वित्त के लिए पहुंच अधिक होगी बल्कि कंपनियों पर अपने देय का समय पर भुगतान करने के लिए अधिक अनुशासन भी लगेगा। इसके अनुरूप भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज निर्णय लिया है कि भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम, 2007 के अंतर्गत 3 दिसंबर 2014 को जारी दिशानिर्देशों के अनुसार व्यापार प्राप्यराशि भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस) स्थापित और परिचालित करने के लिए निम्नलिखित तीन आवेदकों को सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया जाए।
प्रदान किया गया सैद्धांतिक अनुमोदन 6 माह की अवधि के लिए वैध होगा जिसके दौरान आवेदकों को दिशानिर्देशों के अंतर्गत अपेक्षाओं का अनुपालन करना होगा और रिज़र्व बैंक द्वारा यथानिर्धारित अन्य शर्तों को पूरा करना होगा। इस बात से संतुष्ट होने कि आवेदकों ने सैद्धांतिक अनुमोदन के भाग के रूप में निर्धारित आवश्यक शर्तों को पूरा कर लिया है, रिज़र्व बैंक उन्हें टीआरईडीएस का कारोबार शुरू करने के लिए प्राधिकार प्रमाण-पत्र प्रदान करने पर विचार करेगा। चयन प्रक्रिया चूंकि टीआरईडीएस भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत प्राधिकृत भुगतान प्रणाली होगी, इसलिए इस प्रयोजन के लिए एप्लिकेशन प्रोसेसिंग के लिए एक विस्तृत चार स्तरीय संरचना अपनाई गई है। आरंभ में, आवेदनों की प्रारंभिक संवीक्षा भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग द्वारा की गई जिससे कि आवेदकों की पात्रता और साथ ही साथ दिशानिर्देशों में निर्धारित अपेक्षाओं की जांच की जा सके। अगले चरण में, आवेदकों को विभिन्न विनियामक विभागों के अधिकारियों वाले आंतरिक विभाग समूह (आईडीजी) के समक्ष प्रस्तुति करने और निधियों के स्रोत सहित वित्तीय योजना, कार्यान्वयन समय, प्रक्रिया और तकनीकी योजनाओं जैसे क्षेत्रों तथा जोखिम प्रबंधन, शिकायत निवारण, कारोबार निरंतरता योजना/आपदा सुधार प्रबंधन आदि से संबंधित मुद्दों को विस्तारपूर्वक बताने या स्पष्ट करने के लिए आमंत्रित किया गया। तीसरे चरण में गवर्नर और उप गवर्नरों की समिति ने आवेदनों और आंतरिक विभाग समूह (आईडीजी) के आकलन की समीक्षा की। समिति के सुझाव के अनुसार, अतिरिक्त सूचना/स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए छंटनी किए गए आवेदकों के साथ अगले चरण की बैठक की गई। अंतिम चरण में इस समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर भुगतान और निपटान प्रणाली (बीपीएसएस) बोर्ड द्वारा आज विचार किया गया तथा बोर्ड ने इन आवेदकों को “सैद्धांतिक” अनुमोदन प्रदान करने का अनुमोदन दिया। पृष्ठभूमि गवर्नर ने 4 सितंबर 2013 को अपने वक्तव्य में भारत में इलेक्ट्रॉनिक बिल फैक्टरिंग एक्सचेंजों को सुगम बनाने का इरादा घोषित किया था जो बड़ी कंपनियों के लिए एमएसएमई बिलों को इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में स्वीकार और नीलामी कर सकते हैं जिससे कि एमएसएमईज़ को शीघ्रता से भुगतान कर सकें। भारतीय रिज़र्व बैंक ने कुछ संस्थाओं द्वारा व्यक्त रूचि और चयनित स्टेकधारकों के परामर्श को ध्यान में रखते हुए मार्च 2014 में “सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) फैक्टरिंग-व्यापार प्राप्यराशि एक्सचेंज” पर अवधारणा पत्र प्रकाशित किया था। तत्पश्चात, टीआरईडीएस स्थापित और परिचालित करने के लिए 22 जुलाई 2014 को प्रारूप दिशानिर्देश जारी किए गए। आमजनता/स्टेकधारकों से प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 18 के साथ पठित धारा 10(2) के अंतर्गत 3 दिसंबर 2014 को अंतिम दिशानिर्देश जारी किए गए। टीआरईडीएस स्थापित और परिचालित करने की इच्छुक संस्थाओं को सूचित किया गया कि वे 13 फरवरी 2015 तक प्राधिकार के लिए आवेदन करें जिसे बाद 9 मार्च 2015 तक बढ़ा दिया गया। टीआरईडीएस स्थापित करने के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों के नाम 25 मार्च 2015 को जारी किए गए। अनिरूद्ध डी. जाधव प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/1235 |