भारतीय रिज़र्व बैंक ने अण्णासाहेब मगर सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अण्णासाहेब मगर सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया
12 अक्तूबर 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने अण्णासाहेब मगर सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 15 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा अण्णासाहेब मगर सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016', 'जमा खातों का रखरखाव - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक', तथा 'आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले – शहरी सहकारी बैंक संबंधी निदेशों के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹4.00 लाख (चार लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट तथा उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (i) खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा नहीं की थी, (ii) बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष के रखरखाव में कमी के लिए कमी की सीमा के अनुपात के बजाय नियत दंडात्मक शुल्क वसूला था, और (iii) आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन नहीं किया था। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के लिखित उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन का उपरोक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1095 |