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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ऐक्सिस बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 3 सितंबर 2024 के आदेश द्वारा ऐक्सिस बैंक लिमिटेड (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 19 (1) (ए) के प्रावधानों के उल्लंघन और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘जमाराशियों पर ब्याज दर’, ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ और ‘कृषि के लिए ऋण प्रवाह- संपार्श्विक मुक्त कृषि ऋण’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 1.91 करोड़ (एक करोड़ इक्यानवे लाख रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2023) किया गया तथा आरबीआई द्वारा इसकी सहायक कंपनी की गतिविधियों की समीक्षा की गई। बीआर अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों तथा आरबीआई के निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर अधिकतम दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

  • क.बैंक ने अपात्र संस्थाओं के नाम पर कुछ बचत जमा खाते खोले;

  • ख. बैंक ने प्रत्येक ग्राहक के लिए विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) के बजाय कतिपय ग्राहकों को एकाधिक ग्राहक पहचान कोड आवंटित किए;

  • ग. बैंक ने कतिपय मामलों में 1.60 लाख तक के कृषि ऋण के लिए संपार्श्विक प्रतिभूति ली; तथा

  • घ. बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ने प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता का कारोबार किया, जो कि बैंकिंग अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत बैंकिंग कंपनी द्वारा किया जाने वाला स्वीकार्य कारोबार नहीं है।

यह कार्रवाई सांविधिक एवं विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1078

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