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भारतीय रिज़र्व बैंक ने डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, दुर्ग, छत्तीसगढ़ पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India

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भारतीय रिज़र्व बैंक ने डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, दुर्ग, छत्तीसगढ़ पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 30 जून 2025 के आदेश द्वारा डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक  लिमिटेड, दुर्ग, छत्तीसगढ़ (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता हेतु उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:  

बैंक ने:
i) (ए) निर्धारित समय-सीमा के भीतर कतिपय ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड नहीं किया।
(बी) निर्धारित अवधि के अनुसार कतिपय ग्राहकों के केवाईसी का आवधिक अद्यतनीकरण नहीं किया; और

ii) प्रत्येक व्यक्तिगत ग्राहक के लिए एक विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) के स्थान पर, कतिपय व्यक्तिगत ग्राहकों को एकाधिक ग्राहक पहचान कोड आवंटित किए।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।       

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/647

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