भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 2 सितंबर 2024 के आदेश द्वारा हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (कंपनी) पर ‘भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016’ और ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – आवास वित्त कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2021’ के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹3,50,000/- (तीन लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 52ए के प्रावधनों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। 31 मार्च 2022 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। कंपनी: (i) वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान अपने ग्राहकों का जोखिम वर्गीकरण करने में विफल रही और इसने खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा के लिए कोई प्रणाली नहीं बनाई; और (ii) एनएचबी अधिनियम की धारा 29बी के अनुसार अपने जमाकर्ताओं के पक्ष में अपने द्वारा निवेश की गई आस्तियों पर अस्थिर प्रभार नहीं बनाया और इसे कंपनी रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत नहीं किया। यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1056 |