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भारतीय रिज़र्व बैंक ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, राजनांदगांव (छ.ग.) पर मौद्रिक दंड लगाया

25 जुलाई 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, राजनांदगांव (छ.ग.)
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 22 जुलाई 2022 के आदेश द्वारा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, राजनांदगांव (छ.ग.) (बैंक) पर, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) के प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) संबंधी निदेशों के उल्लंघन / अननुपालन के लिए 3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर इसके निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने, क्रमशः अधिनियम के प्रावधानों और आरबीआई/नाबार्ड द्वारा जारी विवरणियाँ प्रस्तुत करने संबंधी निदेशों तथा अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) संबंधी निदेशों का उल्लंघन/ अननुपालन करते हुए (i) आरबीआई और नाबार्ड को सांविधिक/ओएसएस विवरणियाँ प्रस्तुत करने में देरी की, और (ii) संदिग्ध लेनदेन की पहचान करने के लिए कोई प्रणाली तैयार नहीं की है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि निदेशों का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तरों, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों और बैंक द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अधिनियम के प्रावधानों और आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/587

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