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भारतीय रिज़र्व बैंक ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, सीधी (म.प्र.) पर मौद्रिक दंड लगाया

20 जून 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, सीधी (म.प्र.) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 16 जून 2022 के आदेश द्वारा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, सीधी (म.प्र.) (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) के प्रावधानों और आरबीआई द्वारा अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) पर जारी निदेशों के उल्लंघन/अननुपालन के लिए 0.75 लाख (पचहत्तर हज़ार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि, बैंक ने (i) आरबीआई और नाबार्ड को सांविधिक/ओएसएस रिटर्न प्रस्तुत करने में देरी की और (ii) अधिनियम के प्रावधानों और रिटर्न प्रस्तुत करने तथा अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) पर आरबीआई / नाबार्ड द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघन / अननुपालन में संदिग्ध लेनदेनों की निगरानी और अलर्ट उत्पन्न करने के लिए कोई प्रणाली स्थापित नहीं की। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि निदेशों का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

बैंक के उत्तरों, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों और बैंक द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अधिनियम के प्रावधानों और आरबीआई निदेशों के अननुपालन के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/396

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