भारतीय रिजर्व बैंक ने जुपिटर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिजर्व बैंक ने जुपिटर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु पर मौद्रिक दंड लगाया
5 अगस्त 2022 भारतीय रिजर्व बैंक ने जुपिटर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने, दिनांक 3 अगस्त 2022 के आदेश द्वारा जुपिटर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु (कंपनी) पर आरबीआई द्वारा जारी ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी विवरणियाँ (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016’ और “साख सूचना कंपनी (सीआईसी) की सदस्यता” संबंधी आरबीआई निदेश में निहित निदेशों के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹81.92 लाख (इक्यासी लाख और बयान्वे हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड उपर्युक्त आरबीआई निदेशों का पालन करने में कंपनी की विफलता को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58 बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58 जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) तथा साख सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) का खंड (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2020 और 31 मार्च 2021 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा किए गए इसके सांविधिक निरीक्षण और इससे संबंधित पर्यवेक्षी पत्रों तथा सभी संबंधित पत्राचारों की जांच से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि (i) बड़े ऋणों से संबंधित केंद्रीय सूचना भंडार को ऋण संबंधी जानकारी की प्रस्तुति (ii) साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना संबंधी डेटा की प्रस्तुति पर आरबीआई द्वारा जारी निदेशों का अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अननुपालन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरबीआई निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/660 |