भारतीय रिज़र्व बैंक ने मोगवीरा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मोगवीरा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया
21 जून 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने मोगवीरा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 21 जून 2021 के आदेश द्वारा मोगवीरा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड मुंबई (बैंक) पर अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 26-ए के प्रावधानों, जमा खातों के रखरखाव पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेश और अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश के उल्लंघन के लिए ₹12 लाख (बारह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर इसके निरीक्षण रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने (I) जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि में दावा न की गई जमाराशियों को पूरी तरह से प्रेषित नहीं किया है (ii) निष्क्रिय खातों की वार्षिक समीक्षा नहीं की (iii) खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की कोई प्रणाली नहीं है और (IV) बैंक में एकाधिक खातों के लिए एकाधिक विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) वाले ग्राहक और साथ ही एक ही यूसीआईसी वाले एकाधिक ग्राहक थे । उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि अधिनियम के प्रावधानों तथा अधिनियम के तहत जारी निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, का अनुपालन नहीं करने तथा उल्लंघन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अधिनियम के प्रावधानों तथा अधिनियम के तहत जारी निदेशों के अननुपालन तथा उल्लंघन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/405 |