भारतीय रिज़र्व बैंक ने नोएडा कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने नोएडा कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 मई 2024 के आदेश द्वारा नोएडा कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 26 ए (2) के प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'निदेशकों, उनके रिश्तेदारों और फर्मों/ संस्थाओं, जिनमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम’ संबंधी निदेशों तथा 'धोखाधड़ी - वर्गीकरण और रिपोर्टिंग पर मास्टर परिपत्र' के अननुपालन के लिए ₹2.50 लाख (दो लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। 31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों/ भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त प्रावधान/ निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं और इनके अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। बैंक ने (i) निर्धारित अवधि के भीतर जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता कोष में पात्र राशि अंतरित नहीं की, (ii) निदेशक से संबंधित ऋण संस्वीकृत किया, और (iii) धोखाधड़ी का वर्गीकरण और उसकी रिपोर्टिंग नहीं की। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। (पुनीत पंचोली)
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