भारतीय रिज़र्व बैंक ने नुवामा वेल्थ फाइनेंस लिमिटेड (पहले एडलवाइस फाइनेंस एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता था), मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने नुवामा वेल्थ फाइनेंस लिमिटेड (पहले एडलवाइस फाइनेंस एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता था), मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया
10 मार्च 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने नुवामा वेल्थ फाइनेंस लिमिटेड (पहले एडलवाइस फाइनेंस एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 6 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, नुवामा वेल्थ फाइनेंस लिमिटेड (पहले एडलवाइस फाइनेंस एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹9.60 लाख (नौ लाख साठ हजार रुपए मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58 बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58 जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2021 तक कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि कंपनी संदिग्ध लेनदेन की प्रभावी पहचान और रिपोर्ट करने के लिए एक मजबूत सॉफ्टवेयर स्थापित करने में विफल रही। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए, जैसा कि उसमें कहा गया है, उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप आरोप सिद्ध हुआ है और कंपनी पर, निदेशों के अननुपालन की सीमा तक, मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1856 |