भारतीय रिज़र्व बैंक ने फोनपे लिमिटेड (पूर्व में फोनपे प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 10 सितंबर 2025 के आदेश द्वारा फोनपे लिमिटेड (पूर्व में फोनपे प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था)(कंपनी) पर ‘प्रीपेड भुगतान लिखतों (पीपीआई)’ पर आरबीआई द्वारा जारी कतिपय निदेशों के अननुपालन हेतु ₹21 लाख (इक्कीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 26(6) के साथ पठित धारा 30(1) के प्रावधानों के अंतर्गत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। कंपनी का सांविधिक निरीक्षण आरबीआई द्वारा अक्टूबर 2023 से दिसंबर 2024 की अवधि के लिए इसके परिचालन के संदर्भ में किया गया। आरबीआई के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर , उसके द्वारा प्रस्तुत अतिरिक्त प्रस्तुतियाँ और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है: कंपनी के एस्क्रो खाते में दिन के अंत में शेष राशि, बकाया पीपीआई और कुछ दिनों पर व्यापारियों को देय भुगतान के मूल्य से कम थी और कंपनी ने उक्त एस्क्रो खाते में कमी की सूचना तुरंत आरबीआई को नहीं दी। यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से आरबीआई द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/1094 |
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