भारतीय रिजर्व बैंक ने आरबीएल बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिजर्व बैंक ने आरबीएल बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
27 सितंबर 2021 भारतीय रिजर्व बैंक ने आरबीएल बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने, दिनांक 27 सितंबर 2021 के आदेश द्वारा आरबीएल बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक (जमा राशि पर ब्याज दर) निदेश, 2016 की धारा 28 (एच) के उल्लंघन तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 10ए की उप-धारा (2) के खंड (बी) के प्रावधानों का अननुपालन करने के लिए ₹2.00 करोड़ (दो करोड़ रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। अधिनियम की धारा 10 ए (2) (बी) के प्रावधानों का अनुपालन न करने पर उस अवधि के लिए भी दंड लगाया गया है, जिसके दौरान उल्लंघन या चूक जारी रही। यह दंड अधिनियम की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा इसका पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2019) किया गया था। जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और आईएसई 2019 से संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट, 27 अक्टूबर 2020 के आरबीआई के पत्र और मामले में संबंधित पत्राचार की जांच से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि विनियामक निदेशों का उल्लंघन तथा अधिनियम के प्रावधानों का अननुपालन (i) एक सहकारी बैंक के नाम से पांच बचत जमा खाते खोलना और (ii) निदेशक मंडल की संरचना से संबंधित अधिनियम की धारा 10ए(2)(बी) के प्रावधानों का पालन करने में विफलता, की सीमा तक किया जा रहा है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि निदेशों/अधिनियम के प्रावधानों, जैसा की इसमें उल्लिखित है, का उल्लंघन/अननुपालन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाई जाए। कारण बताओ नोटिस के बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने और बैंक द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण की जांच के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि निदेशों/अधिनियम के उल्लंघन/ अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/936 |