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भारतीय रिज़र्व बैंक ने सर्वोदय कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला मेहसाणा, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 8 अगस्त 2025 के आदेश द्वारा सर्वोदय कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, जिला मेहसाणा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'यूसीबी के लाभ से सार्वजनिक/ धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दान/ अंशदान', 'वित्तीय विवरण - प्रस्तुति और प्रकटीकरण', 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों में निरीक्षण और लेखा परीक्षा प्रणाली', 'आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले - यूसीबी', तथा 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹5 लाख (पाँच लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949  की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।            

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:  

बैंक ने:

  1. न्यासों को निर्धारित विनियामक सीमा से अधिक दान दिया;
  2. लाभ-हानि विवरण और तुलन-पत्र में क्रमशः अपने लाभ और आस्तियों की सही और निष्पक्ष स्थिति प्रस्तुत करने में विफल रहा;
  3. लेन-देन की साथ-साथ जाँच करने के बजाय मासिक आधार पर समवर्ती लेखा परीक्षा की और रिपोर्ट विलंब से प्रस्तुत की;
  4. कतिपय अनर्जक आस्तियों (एनपीए) को उचित एनपीए उप-श्रेणी में वर्गीकृत करने में विफल रहा; और
  5. खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा करने में विफल रहा, जिसकी आवधिकता छह महीने में कम से कम एक बार है।

यह कार्रवाई, विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।         

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/913

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