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भारतीय रिज़र्व बैंक ने एसबीपीपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, किला पारडी, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

7 मार्च 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एसबीपीपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, किला पारडी, गुजरात पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने, दिनांक 2 मार्च 2022 के आदेश द्वारा एसबीपीपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, किला पारडी, गुजरात (बैंक) पर 'जमाराशि पर ब्याज दर' और 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)' संबंधी आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के लिए 48.00 लाख (अड़तालीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट और सभी संबंधित पत्राचार की जांच से अन्य बातों के साथ-साथ पता चला कि बैंक ने आरबीआई के निम्नलिखित निदेशों का पालन नहीं किया था (i) दावेदारों को भुगतान करते समय मृतक व्यक्तिगत जमाकर्ताओं या एकल स्वामित्व वाली संस्थाओं के चालू खातों में पड़ी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान, (ii) रविवार/छुट्टियों/गैर-व्यावसायिक कार्य दिवसों के लिए इन दिनों परिपक्व और बाद के कार्य दिवसों पर भुगतान किए जाने वाली जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान, (iii) ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा, और (iv) ग्राहकों को विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) प्रदान करना। इसी क्रम में बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई के निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई के उक्त निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और इस प्रकार के निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2021-2022/1818

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