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भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 10 फरवरी 2025 के आदेश द्वारा श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड (कंपनी) पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016’, ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016’ और ‘साख सूचना कंपनियों को क्रेडिट संबंधी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए डेटा प्रारूप’ संबंधी कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹5.80 लाख (पाँच लाख अस्सी हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।  यह दंड भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58 बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58 जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 के खंड 23(4) के साथ पठित खंड 25(1)(iii) प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर कंपनी के उत्तर, उसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

  1. कंपनी खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की प्रणाली लागू करने में विफल रही;
  2. कंपनी ने यह सुनिश्चित नहीं किया कि कुछ प्रत्यक्ष बिक्री एजेंटों के साथ किए गए उसके करार में सेवा प्रदाताओं की बहियों और लेखा का निरीक्षण करने संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकार के बारे में एक खंड था; और
  3. कंपनी वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान साख सूचना कंपनियों को कॉरपोरेट्स के रिलेशनशिप सेगमेंट के बारे में जानकारी साझा करने में विफल रही।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/2173

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