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भारतीय रिज़र्व बैंक ने सोनाली बैंक पीएलसी पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 10 जून 2024 के आदेश द्वारा सोनाली बैंक पीएलसी (बैंक) पर प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 [सीआईसी (आर) अधिनियम] की धारा 15 की उप-धारा (1) और सीआईसी (आर) अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘प्रत्यय विषयक जानकारी  कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता’ संबंधी निदेशों के उल्लंघन, ‘भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016’ और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘स्विफ्ट का समयबद्ध कार्यान्वयन और सुदृढ़ीकरण - संबंधित परिचालन नियंत्रण’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹96.40 लाख (छियानवे लाख चालीस हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) और सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23(4) के साथ धारा 25(1)(iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2022) किया गया तथा बैंक की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) जांच भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मार्च 2022 में की गई। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन, सीआईसी (आर) अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि सीआईसी (आर) अधिनियम के उक्त प्रावधानों तथा बीआर अधिनियम और सीआईसी (आर) अधिनियम के अंतर्गत जारी निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच  के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। बैंक (i) खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की प्रणाली लागू करने, (ii) जोखिम वर्गीकरण और ग्राहकों की अद्यतन प्रोफ़ाइल के साथ असंगत लेनदेन के लिए अलर्ट देने वाले एक मजबूत सॉफ़्टवेयर का उपयोग करने, (iii) निर्धारित समय-सीमा के भीतर कतिपय स्विफ्ट-संबंधित परिचालन नियंत्रणों को लागू करने और (iv) निर्धारित समय-सीमा के भीतर सभी सीआईसी का सदस्य बनने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, सांविधिक और विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/508

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