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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि आंध्र प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, विजयवाड़ा पर मौद्रिक दंड लगाया

19 दिसंबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि आंध्र प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, विजयवाड़ा पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, दि आंध्र प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता' संबंधी निदेशों का अननुपालन तथा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा जारी 'धोखाधड़ी - वर्गीकरण, रिपोर्टिंग और निगरानी के लिए दिशानिर्देश' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 26,91,330.00 (छब्बीस लाख इक्यानवे हजार तीन सौ तीस रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23(4) के साथ पठित धारा 25(1)(iii) और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में नाबार्ड द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण और निरीक्षण रिपोर्ट के साथ-साथ संबंधित पत्राचार की जांच से पता चला कि बैंक ने (i) संदिग्ध लेनदेन की प्रभावी पहचान और रिपोर्टिंग के लिए किसी मजबूत सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं किया; (ii) 31 मार्च 2020 तक सभी चार सीआईसी को डेटा (ऐतिहासिक डेटा सहित) प्रस्तुत नहीं किया; और (iii) निर्धारित समय-सीमा के भीतर धोखाधड़ी के मामलों की सूचना नाबार्ड को नहीं दी। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि सांविधिक निदेशों, जैसा कि उनमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसकी अतिरिक्त प्रस्तुतियों तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक और नाबार्ड द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और ऐसे निदेशों की अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1410

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