भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कर्नाटक स्टेट को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक लिमिटेड, बेंगलुरु पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कर्नाटक स्टेट को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक लिमिटेड, बेंगलुरु पर मौद्रिक दंड लगाया
17 अप्रैल 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कर्नाटक स्टेट को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक लिमिटेड, बेंगलुरु भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 11 अप्रैल 2023 के आदेश द्वारा दि कर्नाटक स्टेट को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक लिमिटेड, बेंगलुरु (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘साख सूचना कंपनी (सीआईसी) की सदस्यता' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹23.23 लाख (तेईस लाख तेईस हजार रुपए मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23(4) के साथ पठित धारा 25 (1) (iii) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई, विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2020 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में नाबार्ड द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया तथा निरीक्षण रिपोर्ट के साथ उससे संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान, बैंक ने (i) ग्राहकों का जोखिम वर्गीकरण नहीं किया; (ii) संदिग्ध लेनदेन की प्रभावी पहचान और रिपोर्टिंग के एक भाग के रूप में किसी भी मजबूत सॉफ़्टवेयर का उपयोग नहीं किया; और (iii) सभी चार सीआईसी को नियमित रूप से (मासिक या कम अंतराल पर) आंकड़े प्रस्तुत नहीं किए। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि सांविधिक निदेशों के अनुपालन में विफलता, जैसा कि उसमें कहा गया है, के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसकी अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपरोक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/72 |