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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दी नैनीताल बैंक लि., उत्तराखंड पर मौद्रिक दंड लगाया

29 अक्तूबर 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दी नैनीताल बैंक लि., उत्तराखंड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने दिनांक 28 अक्तूबर 2021 के एक आदेश द्वारा, दी नैनीताल बैंक लि., उत्तराखंड (बैंक) पर दिनांक 1 जुलाई 2015 के "आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिमों से संबंधित प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड" पर मास्टर परिपत्र के साथ पठित दिनांक 04 अगस्त 2011 के "आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिमों से संबंधित प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - एनपीए खातों में विचलन", दिनांक 18 अप्रैल 2017 के "वित्तीय विवरणों के लिए "खातों की टिप्पणियों" में प्रकटीकरण – आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण में विचलन" और दिनांक 01 जुलाई 2016 के "धोखाधड़ी - वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थाओं द्वारा वर्गीकरण और रिपोर्टिंग" (03 जुलाई 2017 को अद्यतन) पर आरबीआई के परिपत्रों में निहित निदेशों का अनुपालन न करने के लिए 56 लाख (केवल छप्पन लाख रुपये) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई) के लिए सांविधिक निरीक्षण किया गया और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच और अन्य बातों के साथ-साथ पता चला कि बैंक ने (i) कुछ उधारकर्ता खातों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत करने में विफलता के कारण बैंक द्वारा रिपोर्ट किए गए एनपीए और निरीक्षण द्वारा एनपीए का किया गया मूल्यांकन के बीच अंतर, (ii) खातों की टिप्पणियों में परिभाषित सीमा से अधिक होने के बावजूद, आरबीआई द्वारा पहचाने गए परिसंपत्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण से संबंधित भौतिक भिन्नताओं का प्रकटन करने में विफलता और (iii) आरबीआई के निदेशों के अनुसार धोखाधड़ी को रिपोर्ट करने में विफलता की सीमा तक ऊपर उल्लिखित निदेशों का पालन नहीं किया है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया था कि वे कारण बताएं कि उसमें उल्लिखितनुसार आरबीआई निदेशों का अननुपालन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण और बैंक के अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक निदेशों के अननुपालन के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और उक्त निदेशों का पालन न करने की सीमा तक बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना जरूरी है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1120

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