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भारतीय रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए

भारतीय रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए
विवेकपूर्ण मानदंड युक्तिसंगत किये

22 अप्रैल 2002

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज घोषित किया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अनर्जक आस्तियों की पहचान के लिए पूर्ववर्ती 30 दिनों की नियत अवधि 31 मार्च 2003 से समाप्त हो जायेगी। इस प्रकार, ऋण आस्ति को अनर्जक आस्ति माना जायेगा यदि किस्त या उस पर देय ब्याज छह महीने के लिए अतिदेय होता है। इसी तरह से, पट्टे पर या किराया खरीद की आस्ति को अनर्जक आस्ति समझा जाएगा यदि पट्टा किराया या किराया खरीद की किस्त बारह महीने के लिए अतिदेय हो जाये।

अनर्जक आस्तियों को डूब गयी आस्तियों के रूप में वर्गीकरण में अस्पष्टता से बचने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने ऐसी आस्तियों की वसूल न होने योग्य संभावना की पहचान के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंड तैयार किये हैं।

परिपत्र और संशोधित अधिसूचनाएं भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट

www.nbfc.rbi.org.in पर उपलब्ध हैं।

पृष्ठभूमि

यह बात ध्यान में रखते हुए कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विवेकपूर्ण मानदंड वाणिज्य बैंकों के लिए लागू मानदंडों के समान ही हैं, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए अनर्जक आस्तियों की व्याख्या से ‘विगत देयराशि’ की व्याख्या समाप्त कर दी गयी है। आपको याद होगा कि बैंकों के लिए यह व्याख्या 31 मार्च 2001 से समाप्त की गयी थी। साथ ही, यह देखा गया कि कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां डूब गयी आस्तियों की पहचान के लिए अलग मापदंड इस्तेमाल कर रही थीं, अत: इस प्रयोजन के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंड सूचित किये गये हैं।

अल्पना किल्लावाला
महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2001-2002/1178

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