भारतीय रिजर्व बैंक ने 2017 की घरेलू प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंक (डी-एसआईबी) की सूची जारी की - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2017 की घरेलू प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंक (डी-एसआईबी) की सूची जारी की
4 सितंबर 2017 भारतीय रिजर्व बैंक ने 2017 की घरेलू प्रणालीगत एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के अलावा, जो घरेलू प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंक (डीएसआईबी) के रूप में पहचाने जाते हैं,भारतीय रिजर्व ने एचडीएफसी बैंक की भी, पिछले वर्ष की इसी बकेटिंग संरचना के तहत डी-एसआईबी के रूप में पहचान की है। डी-एसआईबी के लिए अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर1 (सीईटी1) की आवश्यकता को 1 अप्रैल 2016 से पहले ही चरणबद्ध किया जा चुका है और यह 1 अप्रैल 2019 से पूरी तरह प्रभावी हो जाएगा। अतिरिक्त सीईटी1 की आवश्यकता पूंजी संरक्षण बफर के अतिरिक्त होगी। डी-एसआईबी की अद्यतन सूची इस प्रकार है-
पृष्ठभूमि: रिज़र्व बैंक ने 22 जुलाई 2014 को घरेलू प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) के साथ लेनदेन करने के लिए रूपरेखा जारी की थी। डी-एसआईबी रूपरेखा के अनुसार रिज़र्व बैंक को 2015 से प्रत्येक वर्ष अगस्त में डी-एसआईबी के रूप में नामित बैंकों के नामों का खुलासा करना होगा और इन बैंकों को उनके सिस्टमिक महत्वपूर्ण स्कोर (एसआईएस) के आधार पर उचित बकेट में रखना होगा। बकेट के आधार पर जिसमें डी-एसआईबी रखा गया है, एक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी आवश्यकता को इसके लिए लागू किया जाना चाहिए। अगर किसी विदेशी बैंक की भारत में शाखा है तो वह वैश्विक प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंक (जी-एसआईबी) है, भारत में इसके जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के अनुपात में, जी-एसआईबी के रूप में उसे लागू, अतिरिक्त सीईटी 1 पूंजी अधिभार बनाए रखना होगा। उच्च पूंजी आवश्यकताएं 1 अप्रैल 2016 से चरणबद्ध तरीके से लागू होती हैं और 1 अप्रैल 2019 से पूरी तरह प्रभावी हो जाएंगी। चार साल के चरणबद्ध अवधि में अलग-अलग बकेट के लिए अतिरिक्त सामान्य इक्विटी आवश्यकता निम्नानुसार है:
डी-एसआईबी रुपरेखा में उपलब्ध कराई गई पद्धति और क्रमश: 31 मार्च 2015 और 31 मार्च 2016 को बैंकों से एकत्र आंकड़ों के आधार पर, भारतीय रिजर्व बैंक ने 31 अगस्त 2015 और 25 अगस्त 2016 को डी-एसआईबी के रूप में भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड की घोषणा की थी। वर्तमान अद्यतन जानकारी 31 मार्च 2017 तक बैंकों से एकत्र आंकड़ों पर आधारित है। जोस जे.कट्टूर प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/624 |