भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों की ‘ऑन टैप’ लाइसेंसिंग के लिए दिशानिर्देश जारी किए - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों की ‘ऑन टैप’ लाइसेंसिंग के लिए दिशानिर्देश जारी किए
1 अगस्त 2016 भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों की भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर “निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों की ‘ऑन टैप’ लाइसेंसिंग के लिए दिशानिर्देश” जारी किए। दिशानिर्देशों के कुछ मुख्य पहलुओं में शामिल हैं – (i) बैंकिंग और वित्त में वरिष्ठ स्तर पर 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले निवासी व्यक्ति और व्यावसायिक सार्वभौमिक बैंकों को बढ़ावा देने के पात्र हैं, (ii) बड़े औद्योगिक घरानों को पात्र संस्थाओं से बाहर रखा गया है किंतु उन्हें बैंकों में 10 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति है, (iii) गैर-परिचालनात्मक वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) को उन मामलों में गैर-अनिवार्य बनाया गया है जहां प्रवर्तक अलग-अलग व्यक्ति हैं या एकल प्रोत्साहन देने वाली/अंतरित करने वाली संस्था हैं जिनकी अन्य समूह संस्थाएं नहीं हैं, (iv) प्रवर्तक समूह द्वारा पूरा स्वामित्व रखने की बजाय प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह द्वारा एनओएफएचसी की कुल चुकता इक्विटी पूंजी के 51 प्रतिशत से कम नहीं होगा और (v) मौजूदा विशेषीकृत गतिविधियां एनओएफएचसी के अंतर्गत प्रस्तावित एक अलग संस्था द्वारा जारी रखने की अनुमति दी गई है और यह रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन के अधीन होगा तथा इस बात के अधीन होगा कि यह सुनिश्चित हो कि ऐसी गतिविधियां बैंक द्वारा नहीं की जाए। दिशानिर्देशों के मुख्य अंश: (I) पात्र प्रवर्तक (i) निवासी व्यक्ति/व्यावसायिक जिनके पास बैंकिंग और वित्त में वरिष्ठ स्तर का 10 वर्ष का अनुभव है। (ii) निजी क्षेत्र की संस्थाएं/समूह जिनका स्वामित्व और नियंत्रण (समय-समय पर संशोधित फेमा विनियमों में परिभाषित) निवासियों के पास है और जिनके पास कम से कम 10 वर्ष का सफल ट्रैक रिकार्ड है बशर्ते कि ऐसी संस्था/समूह की कुल आस्तियां ₹ 50 बिलियन या इससे अधिक की हों, समूह का गैर-वित्तीय कारोबार कुल आस्तियों/सकल आय के मामले में 40 प्रतिशत या इससे अधिक नहीं हो। (iii) मौजूदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) जिनका नियंत्रण निवासियों के पास है और जिनके पास कम से कम 10 वर्ष का सफल ट्रैक रिकार्ड है। स्पष्टता के लिए, यह भी कहा गया है कि कोई भी एनबीएफसी, जो समूह का भाग है, जिसकी कुल आस्तियां ₹ 50 बिलियन या इससे अधिक हैं और गैर-वित्तीय कारोबार कुल आस्तियों/सकल आय के मामले में 40 प्रतिशत या इससे अधिक है, इसकी पात्र नहीं है। (II) ‘योग्य और उचित’ मानदंड प्रवर्तक/प्रवर्तक संस्था/प्रवर्तक समूह का पिछला रिकार्ड अच्छे वित्त, प्रत्यय-पत्र, सत्यनिष्ठा वाला हो और उसके पास कम से कम 10 वर्ष का सफल ट्रैक रिकार्ड हो। (III) कॉर्पोरेट संरचना वैयक्तिक प्रवर्तकों या स्टैंडअलोन बढ़ावा देने / परिवर्तित संस्थाओं को जो /जिनकी अन्य समूह संस्था नही है को गैर-ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) की आवश्यकता अनिवार्य नहीं है। वैयक्तिक प्रवर्तकों / बढ़ावा देनेवाली संस्थाएं / परिवर्तित संस्थाएं जिनकी अन्य समूह संस्थाएं है, केवल एक एनओएफएचसी के माध्यम से बैंक की स्थापना करेगा। एनओएफएचसी के कुल चुकता इक्विटी पूंजी के 51 प्रतिशत से कम प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह के स्वामित्व में रहेगा। एनओएफएचसी के अंतर्गत एक अलग इकाई से विशेष गतिविधियों के आयोजन की स्वीकृति दी जाएगी बशर्ते रिजर्व बैंक की पूर्व स्वीकृति ली गई हो और यह सुनिश्चित किए जाने के बाद कि इसी तरह की गतिविधियां बैंक के माध्यम से आयोजित नहीं कि जाएगी। प्रवर्तकों / प्रवर्तक समूह के अलावा किसी भी शेयरधारक का, इस एनओएफएचसी में महत्वपूर्ण प्रभाव और नियंत्रण नही होगा। (IV) न्यूनतम पूंजी की आवश्यकता बैंक का प्रारंभिक न्यूनतम पेड-अप वोटिंग इक्विटी पूंजी पांच बिलियन होनी चाहिए। इसके बाद, बैंक के पास हर समय पांच बिलियन का न्यूनतम निवल मूल्य होना चाहिए। प्रवर्तक / और प्रवर्तक समूह / एनओएफएचसी, जैसा भी मामला हो, को बैंक का पेड-अप वोटिंग इक्विटी पूंजी का न्यूनतम 40 प्रतिशत धारण करेगा जो बैंक का कामकाज प्रारंभ होने की तिथि से पांच साल की अवधि के लिए लॉक्ड रहेगा। प्रवर्तक समूह शेयरहोल्डिंग बैंक के व्यवसाय के प्रारंभ होने की तिथि से 15 वर्ष की अवधि के भीतर 15 फीसदी तक नीचे लाया जाएगा। (V) बैंक में विदेशी शेयरधारिता बैंक में विदेशी हिस्सेदारी मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) के अनुसार होगा बशर्ते ऊपर पैरा (IV) में उल्लेखित आवश्यक न्यूनतम प्रमोटर शेयरहोल्डिंग हो। वर्तमान में, कुल विदेशी निवेश की सीमा 74 प्रतिशत है। (VI) कॉर्पोरेट अभिशासन, प्रूडेंशियल और एक्सपोज़र मानदंड बैंक बैंकिंग विनियमन अधिनियम,1949 के प्रावधानों और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए लागू विवेकपूर्ण मानदंडों पर मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन करेगा। बैंक ने अपने प्रमोटरों, प्रमुख शेयरधारकों को कोई भी जोखिम होने से रोका है,जिनका 10 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग या उससे अधिक पेड-अप इक्विटी शेयर बैंक के पास हो, प्रवर्तकों के रिश्तेदार भी संस्थाओं के रूप में है जिसमें उनका महत्वपूर्ण प्रभाव या नियंत्रण है। (VII) बैंक के लिए कारोबार योजना आवेदक द्वारा प्रस्तुत कारोबार योजना यथार्थवादी और व्यावहारिक होनी चाहिए और ये बताना होगा कि बैंक कैसे वित्तीय समावेशन को प्राप्त करेगा। (VIII) अन्य शर्तें बैंक द्वारा व्यापार के प्रारंभ से छह वर्षों के भीतर बैंक अपने शेयरों को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कर सकेगा। बैंक अपनी कुल शाखाओं के कम से कम 25 प्रतिशत शाखाएं बैंक-रहित ग्रामीण केंद्रों (नवीनतम जनगणना के अनुसार जनसंख्या 9999 तक) में खोलेगा। बैंक प्राथमिक क्षेत्र के ऋण लक्ष्यों और मौजूदा घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए लागू उप-लक्ष्यों का अनुपालन करेगा। बैंक के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या अधिक होनी चाहिए। (IX) आवेदन की प्रक्रिया
पृष्ठभूमि उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 22 फरवरी 2013 को निजी क्षेत्र में नए बैंकों के लाइसेंस के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे । नतीजतन, रिजर्व बैंक ने दो आवेदकों को सैद्धांतिक मंजूरी जारी की थी और उन्होंने बाद में बैंक स्थापित किए। नरसिम्हन समिति, रघुराम जी राजन समिति की सिफारिशों और अन्य दृष्टिकोणों के अनुरूप भारत में बैंकिंग ढांचे पर एक स्पष्ट नीति होने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए रिजर्व बैंक ने 27 अगस्त 2013 को भारत में बैंकिंग संरचना पर एक नीतिगत चर्चा-पत्र–भावी पथ जारी किया । आगे पक्ष और विपक्ष की एक पूरी तरह से जांच के बाद, चर्चा पत्र से एक मामला बना कि वर्तमान की 'बंद करो और जाओ' लाइसेंसिंग नीति की समीक्षा की जाए और एक 'निरंतर प्राधिकरण' की नीति का विचार इस आधार पर किया जाए कि ऐसी नीति से प्रतिस्पर्धा का स्तर बढ़े और प्रणाली में नए विचारों का प्रवेश हो। चर्चा पत्र पर मोटे तौर पर प्राप्त प्रतिक्रियाओं ने पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ निरंतर प्राधिकरण के प्रस्ताव का समर्थन किया। 1 अप्रैल, 2014 को घोषित पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2014-15 में अन्य बातों के बीच, संकेत दिया गया कि नए लाइसेंस के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन जारी करने के बाद, रिजर्व बैंक आवश्यकतानुरूप लाइसेंस और विभेदक बैंक लाइसेंस के लिए रूपरेखा पर काम शुरू कर देगा। चर्चा पत्र के आधार पर और बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों, औद्योगिक घरानों, अन्य संस्थानों और बड़े पैमाने पर जनता से मसौदा दिशा-निर्देशों पर प्राप्त विचार / टिप्पणियों की जांच और हाल ही में लाइसेंस देने की प्रक्रिया से प्राप्त अनुभव जैसे, 2014 में दो सार्वभौमिक बैंकों को लाइसेंस और सैद्धांतिक लघु वित्त बैंकों और भुगतान बैंकों के लिए मंजूरी देने का अनुभव, का उपयोग करने के बाद रिजर्व बैंक ने अब सतत आधार पर सार्वभौमिक बैंकों को लाइसेंस देने के लिए रूपरेखा तैयार की है। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2016-2017/281 |