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भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व/शेयरधारिता पर दिशानिर्देशों में परिवर्तन किया

12 मई 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र के बैंकों में
स्वामित्व/शेयरधारिता पर दिशानिर्देशों में परिवर्तन किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की है जिनमें एकल संस्था/कॉर्पोरेट संस्था/संबंधित संस्थाओं के समूह द्वारा निजी क्षेत्र के बैंकों में विविधीकृत शेयरधारिता की परिकल्पना की गई है। निजी क्षेत्र में नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के संबंध में फरवरी 2013 में जारी दिशानिर्देशों, बासेल III विनियमों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप बैंकों के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता और स्वामित्व सीमाओं को तर्कसंगत बनाने की पृष्ठभूमि में इन दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है। समीक्षा के उपरांत निजी क्षेत्र के बैंकों में प्रवर्तकों, अन्य संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा शेयरधारिता के लिए निम्नलिखित सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं।

सभी शेयरधारकों के लिए लंबे समय में स्वामित्व की सीमाएं अब दो व्यापक श्रेणियों में निर्धारित की गई हैं जैसे (i) नैसर्गिक व्यक्ति (अलग-अलग व्यक्ति) और (ii) वैधिक व्यक्ति (संस्थाएं/संस्थान)। इसके अतिरिक्त, अब गैर-वित्तीय और वित्तीय संस्थानों और वित्तीय संस्थानों में विविधीकृत और गैर-विविधीकृत वित्तीय संस्थानों के लिए अलग सीमाएं निर्धारित की गई हैं। निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरधारिता की उच्चतम सीमाएं निम्नलिखित शेयरधारिता मैट्रिक्स में निर्धारित की गई हैं:

शेयरधारिता सीमाओं का मैट्रिक्स
शेयरधारक की श्रेणी प्रवर्तक समूह लंबे समय में सभी शेयरधारक
शेयरधारकों की उप-श्रेणी प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह की सभी श्रेणियां नैसर्गिक व्यक्ति# वैधिक व्यक्ति
गैर-वित्तीय संस्थान/संस्थाएं# वित्तीय संस्थान
अविनियमित या अविविधीकृत और असूचीबद्ध* विनियमित, सुविविधीकृत और सूचीबद्ध / सुपरनेशनल संस्थान / सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम /सरकारी विशेष परिस्थितियो में$
प्रस्तावित शेयरधारिता सीमा संबंधित दिशानिर्देशों में यथा विनिर्दिष्ट @ 10% 10% 15% 40% मामला-दर-मामला आधार पर यथा अनुमत
@ सभी मौजूदा बैंकों के लिए अनुमत प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह की शेयरधारिता सार्वभौमिक बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने संबंधी 22 फरवरी 2013 के निर्देशों में अनुमत अर्थात 15 प्रतिशत होगी।
# यदि लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों के अनुसार कोई प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह उच्चतर शेयरधारिता के लिए पात्र है तो वह लागू होगा और मैट्रिक्स में लंबे समय में सभी शेयरधारकों के लिए निर्धारित सीमाएं लागू नहीं होंगी।
* उन वित्तीय संस्थानों के मामले में जिनका स्वामित्व 50 प्रतिशत या इससे अधिक व्यक्तियों1 के पास है या उनके द्वारा नियंत्रित हैं तो शेयरधारिता को नैसर्गिक व्यक्ति द्वारा माना जाएगा और शेयरधारिता की उच्चतम सीमा 10 प्रतिशत होगी।
$ 10 प्रतिशत या इससे अधिक की अनुमति प्राप्त करने वाले शेयरधारक पांच वर्ष की न्यूनतम धारण अवधि के अधीन होंगे।

वोटिंग अधिकार वर्तमान स्तर के 15 प्रतिशत की सीमा पर होंगे या जैसा रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किया जाए।

दिशानिर्देशों की अन्य मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

i) बैंक की चुकता पुंजी के 5 प्रतिशत या इससे अधिक की शेयरधारिता/वोटिंग अधिकारों का अधिग्रहण भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति के अधीन जारी रहेगा।

ii) किसी निजी क्षेत्र के बैंक में 5 प्रतिशत से अधिक की शेयरधारिता के अधिग्रहण के लिए ‘योग्य और उचित’ मानदंड लागू रहेंगे।

iii) विदेशी संस्थाओं द्वारा किसी निजी क्षेत्र के बैंक में शेयरधारिता का अधिग्रहण मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के अधीन जारी रहेगा। वर्तमान में भारत सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (अप्रैल 2015) के अनुसार निजी क्षेत्र के बैंकों में समग्र विदेशी निवेश सभी स्रोतों अर्थात प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई)/अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के माध्यम से बैंक की चुकता पूंजी के 74 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। निजी क्षेत्र के बैंकों की चुकता पूंजी का कम से कम 26 प्रतिशत हमेशा निवासी भारतीयों द्वारा धारित करना होगा।

iv) बैंक (विदेशी बैंकों सहित जिनकी भारत में शाखाएं हैं) निवेशिती बैंक की इक्विटी पूंजी के 10 प्रतिशत तक के इक्विटी शेयरों में स्टेक धारण करना जारी रख सकते हैं। तथापि, समस्याग्रस्त/कमजोर बैंकों की पुनर्संरचना या बैंकिंग क्षेत्र में समेकन के हित आदि जैसी असाधारण परिस्थितियों में रिज़र्व बैंक उन्हें उच्चतर शेयरधारिता की अनुमति दे सकता है।

v) उन बैंकों में जहां कोई प्रमुख विनियामकीय/पर्यवेक्षीय मुद्दे नहीं है, उनमें किसी व्यक्ति को उच्चतर शेयरधारिता अधिग्रहित करने की अनुमति दी जा सकती है यदि संबंधित बैंक के निदेशक बोर्ड द्वारा इसका समर्थन किया जाता है। ऐसे बैंकों में विरोधी नियंत्रण की अनुमति नहीं होगी।

vi) उन बैंकों में जहां विनियामकीय/पर्यवेक्षी मुद्दे हैं और जहां रिज़र्व बैंक के विचार से बैंक के स्वामित्व/प्रबंधन में परिवर्तन करना बैंक के जमाकर्ताओं/आम जनता के हितों के लिए आवश्यक है, वहां रिज़र्व बैंक अपने विवेक से किसी व्यक्ति को उच्चतर शेयरधारिता अधिग्रहित करने के लिए अनुमति दे सकता है चाहे मौजूदा बोर्ड इसका समर्थन न करे। ऐसा व्यक्ति मौजूदा शेयरधारक हो या न हो।

vii) मौजूदा निजी क्षेत्र के बैंकों के मामले में -

क) जहां व्यक्तियों/संस्थाओं/समूहों की शेयरधारिता कम करने के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा विशेष आदेश पास किए गए हैं, वहां वो आदेश ऐसी शेयरधारिता के लिए लागू रहेंगे।

ख) जहां प्रवर्तकों/संस्थाओं/समूहों के लिए 10 प्रतिशत से अधिक की शेयरधारिता रखने हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा विशेष अनुमोदन दिए गए हैं, वहां वे विनिर्दिष्ट अवधि तक इन बैंकों में ऐसी शेयरधारिता जारी रख सकते हैं।

ग) जहां प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह की 15 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता है और इसे 10 प्रतिशत तक लाने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा पहले ही समयसीमा निर्धारित कर दी गई है, वहां शेयरधारिता को 15 प्रतिशत तक लाने के लिए ऐसी समयसीमा लागू रहेगी।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वामित्व पर वर्तमान दिशानिर्देशों की समीक्षा की है।

अल्पना किल्लावाला
प्रधान परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2651


1 कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) और इसके अंदर बनाए गए नियमों में यथापरिभाषित संबंधियों या साथ कार्य करने वाले व्यक्तियों सहित

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