रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 2/2021: विनिर्माण क्षेत्र में क्षेत्रीय आर्थिक अभिरूपता: एक अनुभवजन्य प्रतिबिंब - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 2/2021: विनिर्माण क्षेत्र में क्षेत्रीय आर्थिक अभिरूपता: एक अनुभवजन्य प्रतिबिंब
25 जनवरी 2021 रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 2/2021: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला के तहत* “विनिर्माण क्षेत्र में क्षेत्रीय आर्थिक अभिरूपता: एक अनुभवजन्य प्रतिबिंब" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन मधुरेश कुमार ने किया है। यह पेपर वैश्विक वित्तीय संकट (2008-09 से 2017-18) की बाद की अवधि के लिए उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण (एएसआई) से पंजीकृत विनिर्माण फर्मों के डेटा का उपयोग करता है और भारत में 21 प्रमुख राज्यों और उनके प्रमुख चालकों के अभिरूपता पैटर्न की जांच करता है। जबकि गरीब राज्यों में औसत निवल मूल्य वर्धित प्रति व्यक्ति (एनवीएपीसी) पर अभिरूपता दर्शाया है, अमीर और मध्यम आय वाले राज्यों ने विचलन प्रदर्शित किया। गरीब राज्यों ने तीन समूहों के बीच वृद्धि की सबसे तेज दर दर्ज की, जो स्थिर पूंजी में वृद्धि की उच्चतम दर द्वारा संचालित है। उन्होंने श्रम में संवृद्धि के न्यूनतम दर का अनुभव किया और कुल कारक उत्पादकता वृद्धि (टीएफपीजी) का योगदान भी नकारात्मक था, जो अभिरूपता के चालक में उच्च पूंजी तीव्रता की भूमिका का सुझाव देता है। अमीर राज्यों ने श्रम में संवृद्धि की उच्चतम दर का प्रदर्शन किया और टीएफपीजी का योगदान भी सकारात्मक था, जिसने उन्हें मध्यम-आय वर्ग में राज्यों की तुलना में समग्र वृद्धि पर बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम बनाया। प्रत्येक समूह के भीतर, इस पेपर में औसत एनवीएपीसी के लिए अभिरूपता के प्रमाण मिलते हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/994 * रिज़र्व बैंक ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |