भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया
25 अप्रैल 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 18 अप्रैल 2022 के आदेश द्वारा बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बैंक) पर 'भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016', बड़े ऋणों से संबंधित केंद्रीय सूचना भंडार (सीआरआईएलसी) - रिपोर्टिंग में संशोधन', के साथ पठित 'सभी बैंकों में बड़े सामान्य एक्सपोजर के केंद्रीय भंडार का निर्माण' और 'बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर दिशानिर्देश' पर आरबीआई द्वारा जारी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.12 करोड़ (एक करोड़ बारह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) और धारा 51(1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि आरबीआई द्वारा बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए वैधानिक निरीक्षण (आईएसई) 31 मार्च 2020 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किया गया था। साथ ही, बैंक द्वारा सरकारी खाते में सीमा शुल्क जमा न करने के मामले की भी जांच की गई। आईएसई से संबधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और निरीक्षण रिपोर्ट, जांच रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचारों की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ पता चला कि बैंक ने आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का अननुपालन निम्नलिखित सीमा तक किया कि बैंक (i) अपने व्यक्तिगत ग्राहकों को विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) आवंटित करने में विफल रहा, (ii) सीआरआईएलसी में आरबीआई को प्रस्तुत किए गए आंकड़ों की सटीकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में विफल रहा, और (iii) कोई भी सेवा स्तर करार (एसएलए) नहीं किया और आउटसोर्स की गई वित्तीय सेवाओं में से एक के लिए आउटसोर्सिंग व्यवस्था की समीक्षा करने में विफल रहा। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों और उनके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और इन निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/111 |