भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक – भारत पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक – भारत पर मौद्रिक दंड लगाया
18 अक्तूबर 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक – भारत पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने दिनांक 18 अक्तूबर 2021 के एक आदेश द्वारा, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक – भारत (बैंक) पर रिज़र्व बैंक द्वारा 'ग्राहक संरक्षण - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की सीमित देयता', 'बैंकों में साइबर सुरक्षा ढांचा', 'बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर दिशानिर्देश' के साथ पठित 'बैंकों के क्रेडिट कार्ड संचालन' और बड़े ऋण पर सूचना का केंद्रीय भंडार (सीआरआईएलसी) - रिपोर्टिंग में संशोधन' के साथ पठित 'बड़े सामान्य एक्सपोजर के केंद्रीय भंडार का निर्माण - बैंकों में' पर जारी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.95 करोड़ (केवल एक करोड़ पंचानबे लाख रुपये) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4)(i) के साथ पठित धारा 47 ए(1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि आरबीआई द्वारा 31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए सांविधिक निरीक्षण(आईएसई) आयोजित किया गया था और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी संबंधित पत्राचार की जांच और अन्य बातों के साथ-साथ पता चला कि उपर्युक्त निदेशों का (i) अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में शामिल राशि को जमा करने में विफलता (शैडो रिवर्सल), (ii) निर्धारित समय अवधि के भीतर साइबर सुरक्षा घटना की रिपोर्ट नहीं करना, (iii) केवाईसी सत्यापन करने के लिए प्रत्यक्ष बिक्री एजेंटों (आउटसोर्स किए गए तीसरे पक्ष) को अधिकृत करना, और(iv) सीआरआईएलसी में प्रस्तुत किए गए डेटा की अखंडता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में विफलता की सीमा तक अनुपालन नहीं किया गया है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया था कि वे कारण बताएं कि उक्त निदेशों का उल्लंघन / अननुपालन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के लिखित उत्तर, वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण और बैंक के अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उक्त रिज़र्व बैंक निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और उक्त निदेशों का पालन न करने की सीमा तक बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना जरूरी है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1059 |