भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि एसोसिएट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि एसोसिएट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया
24 जनवरी 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि एसोसिएट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 19 जनवरी 2022 के आदेश द्वारा दि एसोसिएट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरत (गुजरात) (बैंक) पर, रिज़र्व बैंक द्वारा ‘निदेशकों, रिश्तेदारों तथा फर्मों/ प्रतिष्ठानों जिनमें उनकी रुचि हो को ऋण एवं अग्रिम’ पर जारी निदेशों का उल्लंघन करने और ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी मास्टर निदेशों के अननुपालन के लिए ₹4.00 लाख (रुपये चार लाख केवल) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट व सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने अपने कुछ निदेशकों और उनके रिश्तेदारों की फर्मों को ऋण सुविधा प्रदान की थी, और बैंक अपने ग्राहकों के कुछ चालू खातों में संदिग्ध लेनदेन की कारगर पहचान और रिपोर्टिंग के लिए निरंतर उचित तत्परता रखने में विफल रहा था, जिसके परिणामस्वरूप रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई में किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1605 |