भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि वराछा को-ऑपरेटिव बैंक लि., सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि वराछा को-ऑपरेटिव बैंक लि., सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया
24 जनवरी 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि वराछा को-ऑपरेटिव बैंक लि., सूरत (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 19 जनवरी 2022 के आदेश द्वारा “दि वराछा को-ऑपरेटिव बैंक लि.”, सूरत (गुजरात) (बैंक) पर, दिनांक 27 मई 2014 के परिपत्र ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए - परिचालन संबंधी दिशानिर्देश’ के साथ संलग्न जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014 (योजना) के पैरा 3 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 26 ए की उप-धारा (2) का उल्लंघन करने के लिए ₹1.00 लाख (रुपये एक लाख केवल) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट व सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने कुछ खातों में पड़ीं शेष राशियां, जो की दस या अधिक वर्षों से अदावी थीं, को जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि में अंतरित नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप अधिनियम के उपरोक्त प्रावधानों के साथ पठित योजना का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि अधिनियम के प्रावधानों के साथ पठित योजना, जैसा कि उसमें कहा गया है, के उल्लंघन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई में किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों के साथ पठित योजना के उल्लंघन के आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1606 |