मार्च 2001 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मार्च 2001
क्रेडिट इन्फ़र्मेशन रिव्यू
मार्च 2001
विषय सूची
पूंजी लेखों पर रिज़र्व बैंक की अधिसूचनाएँ
पूंजी लेखों को उदार बनाने के लिए केन्द्रीय बजट के बाद रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचनाओं को संक्षेप में निम्नलिखित पैराग्राफों में प्रस्तुत किया जा रहा है:
- ऐसी भारतीय कंपनियाँ जो विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण करना चाहती हैं या विदेशों में संयुक्त तत्त्वावधान/संपूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों में प्रत्यक्ष निवेश करना चाहती हैं, अब 3 वर्ष की लाभप्रदता शर्त के अंतर्गत आये बिना स्वचालित रूट के ज़रिए वार्षिक आधार पर 50 मिलियन अमेरिकी डालर तक निवेश कर सकती हैं। इस तरह, इससे पहले 3 वर्ष की एकमुश्त अवधि के लिए उपलब्ध 50 मिलियन अमेरिकी डालर तक के निवेश की सीमा, किसी लाभप्रदता की शर्त के बिना वार्षिक आधार पर उपलब्ध होगी।
- कंपनियाँ अपने एडीआर/जीडीआर निर्गमों की आय के 100 प्रतिशत तक विदेशी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए निवेश कर सकती हैं और संयुक्त तत्त्वावधान एवं संपूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों में प्रत्यक्ष निवेश कर सकती हैं। इससे पहले एडीआर/जीडीआर निर्गमों से होनेवाली आय के 50 प्रतिशत तक की अधिकतम सीमा की शर्त लगती थी।
- रिज़र्व बैंक ने सिद्ध ट्रैक रिकाड़ वाली ऐसी कंपनियों को विदेशी मुद्रा के अतिरिक्त एकमुश्त आबंटन की सुविधा भी शुरू की है जिन्होंने ही स्वचालित मार्ग के अंतर्गत विदेशों में निवेश/अधिग्रहण के लिए उपलब्ध 50 मिलियन अमेरिकी डालर की सीमा को पहले ही खत्म कर लिया है। इस तरह के आवेदन पत्र पर विचार करते हुए रिज़र्व बैंक निम्नलिखित बातों पर विचार करेगा : (क) भारतीय कंपनी की वित्तीय स्थिति और कारोबार का ट्रैक रिकाड़ (ख) प्रथम दृष्ट्या निवेशों की व्यावहारिकता तथा विदेशी मुद्रा की अतिरिक्त मांग के लिए औचित्य (ग) निवेश में से देश को बाह्य कारोबार तथा अन्य संभावित लाभों की दिशा में आवेदक कंपनी का योगदान। इस तरह के एकमुश्त आबंटन की मंजूरी रिज़र्व बैंक द्वारा अग्रिम रूप से दी जायेगी। अतएव, भारतीय कंपनियों को यह सुविधा रहेगी कि वे रिज़र्व बैंक की अनुमति प्राप्त किये बिना अपने अधिग्रहण/प्रत्यक्ष निवेशों के बारे में बातचीत कर सकें और उन्हें अंतिम रूप दे सकें। यह आबंटन रिज़र्व बैंक की कार्योंत्तर रिपोर्टिंग के अधीन होगा। इस तरह के एकमुश्त आबंटन की सुविधा देते समय रिज़र्व बैंक यह भी विनिर्देश करेगा कि इस तरह की अनुमति के लिए वित्तपोषण के उपाय क्या रहेंगे तथा अनुमति की वैधता की अवधि क्या रहेगी।
- कोई भारतीय कंपनी जिसने एडीआर/जीडीआर जारी किये हैं मुख्य गतिविधि के इसी तरह के क्षेत्र में लगी विदेशी कंपनियों के शेयर प्राप्त कर सकती है, जिसकी सीमा 100 मिलियन अमेरिकी डालर अथवा उनके प्रत्येक वर्ष के निर्यातों के 10 गुना के बराबर राशि, जो भी अधिक हो, होगी। इससे पहले यह सुविधा कुछेक क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों को ही उपलब्ध थी।
- भारतीय कंपनियों के एडीआर/जीडीआर निर्गमों में द्विपक्षीय आदान-प्रदान की शुरूआत की गयी है। यह, जहां कहीं लागू हो, क्षेत्रीय अधिकतम सीमाओं के अधीन होगी। भारत में स्टॉक दलाल अब उस सीमा तक विदेशी खज़ानों के एडीआर/जीडीआर के निर्गम के लिए शेयर खरीद कर भारतीय कस्टोडीयन के पास जमा कर सकते हैं जिस सीमा तक एडीआर/जीडीआर अंडरलायिंग शेयरों में परिवर्तित कर दिये गये हैं।
- भारतीय कंपनियाँ अब अपने पास रखे शेयरों पर विदेशी खज़ानों पर, जो इस विकल्प का लाभ लेना चाहते हैं, के साथ एडीआर/जीडीआर प्रायोजित कर सकती हैं। निर्गम मूल्य, निर्गमों के लीड मैनेजर द्वारा निर्धारित किये जायेंगे और निर्गमों से होनेवाली आय एक माह के भीतर वापस लायी जानी होगी। प्रायोजित कंपनी को विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड के निर्गम के लिए योजना तथा सामान्य शेयर (डिपॉजीटरी रिसीट प्रणाली के माध्यम से) योजना 1993 तथा इसके अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
- पंजीकृत भागीदारी फर्मों द्वारा विदेशी निवेशों पर लगे प्रतिबंध हटा दिये गये हैं। कतिपय विशेष व्यावसायिक सेवाएँ जैसे चार्टड़ एकाउंटेंसी, विधि सेवाएँ, चिकित्सा तथा स्वास्थ्य सेवाएँ, सूचना प्रौद्योगिकी तथा मनोरंजन सॉफ्टवेयर से संबंधित सेवाएँ देनेवाली भागीदारी फर्में अब विदेश में इसी तरह की गतिविधि में लगी विदेशी कंपनियों द्वारा स्वचालित मार्ग के अंतर्गत एक मिलियन डालर तक निवेश कर सकेंगी। इस तरह के निवेशों में एक मिलियन डालर से अधिक के निवेशों के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन आवश्यक होगा।
- भारतीय कर्मचारी जिन्हें विदेशी स्वामित्व की कंपनियों में ईएसओपी योजनाओं का लाभ मिलता हैं, अब 20,000 अमेरिकी डालर प्रति वर्ष तक निवेश कर सकते हैं। इससे पहले यह सुविधा 5 वर्ष की अवधि के एक ब्लॉक के लिए 10,000 अमेरिकी डालर की सीमा तक ही उपलब्ध थी।
- विदेशी संस्थागत निवेशक अब पोर्टफोलिओ निवेश मार्ग के अंतर्गत कंपनी की चुकता पूंजी के 24 प्रतिशत तक कंपनी में निवेश कर सकते हैं। इसे विशेष संकल्प द्वारा शेयर धारकों की साधारण सभा के अनुमोदन द्वारा 40 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं, अब यह सीमा 40 प्रतिशत से बढ़ा कर 49 प्रतिशत कर दी गयी है।
विदेशी तत्त्वावधान पूंजी निवेशक द्वारा निवेश
यह निर्णय लिया गया है कि पंजीकृत विदेशी तत्त्वावधान वाले पूंजी निवेशकों को इस प्रयोजन के लिए बनाये गये विनियमों के अनुसरण में भारतीय तत्त्वावधान पूंजी उद्यमों/तत्त्वावधान पूंजी निधियों में निवेश करने की अनुमति दी जाये।
कोई भी पंजीकृत विदेशी तत्त्वावधान वाला पूंजी निवेशक भारतीय तत्त्वावधान पूंजी उद्यम अथवा वीसीएल अथवा इस तरह की वीसीएफ द्वारा बनायी गयी किसी योजना में निवेश के लिए अनुमति के लिए सेबी के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन दे सकता है।
रिज़र्व बैंक से अनुमति प्राप्त पंजीकृत एफवीसीआइ इक्विटी/इक्विटी लिं्ड लिखतें/ऋण/ऋण लिखतें, आइवीसीयू अथवा वीसीयू के डिबेंचर प्रारम्भिक सार्वजनिक प्रस्ताव अथवा प्राइवेट प्लेसमेंट के ज़रिये अथवा वीसीएफ द्वारा स्थापित योजनाओं/निधियों के यूनिट खरीद सकता है। वीसीएफ/आइवीसीयू में निवेश के लिए विचारार्थ राशि विदेशों से सामान्य बैंकिंग माध्यमों से आवक प्रेषणों में से अथवा भारत में प्राधिकृत व्यापारी की किसी पदनामित शाखा के पास रखे किसी खाते में रखी राशियों में से अदा की जानी चाहिए।
अनुमत एफवीसीआइ प्राधिकृत व्यापारी की किसी पदनामित शाखा में कुछेक अनुमत लेनदेनों के लिए विदेशी मुद्रा खाता और/अथवा रुपया खाता खोल सकती हैं।
फॉरवड़ कवर
प्राधिकृत व्यापारी एफवीसीआइ को कुल आवक प्रेषणों की सीमा तक फारवड़ कवर दे सकते हैं। यदि एफवीसीआइ ने कुछेक निवेशों को समाप्त करके कुछ प्रेषण बनाये हैं, निवेशों में से मूल लागत पात्र कवर में से घटा दी जायेगी।
निवेशों का मूल्यांकन
एफवीसीआइ खरीद के द्वारा अथवा अन्यथा शेयर/परिवर्तनीय डिबेंचर/यूनिट अथवा आइवीसीयू सूची में अथवा वीसीएफ में अथवा वीसीएफ द्वारा स्थापित योजनाओं/निधियों में उसके द्वारा रखे किसी अन्य निवेश को खरीदार तथा विक्रेता/जारीकर्ता के बीच आपसी स्वीकार्य मूल्य पर ग्रहण कर सकती हैं। एफवीसीआइ, वीसीएफ अथवा वीसीएफ द्वारा स्थापित योजनाओं/निधियों के परिसमापन से होने वाली आय भी प्राप्त कर सकती है।
सेबी के दिशानिर्देशों का पालन
एफवीसीआइ सेबी द्वारा जारी संबंधित विनियमों/दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।
शाखा बैंकिंग
नोस्ट्रो खातों का एसीयू निधीयन
रिज़र्व बैंक अब प्राधिकृत व्यापारियों के एसीयू डॉलर खातों का निधीयन सहभागी देशों के वाणिज्य बैंकों में करने तथा उनके पास रखे संपर्ककर्ता बैंकों के एसीयू डॉलर खातों के अतिरिक्त चलनिधि का प्रत्यावर्तन करने के संबंध में प्राधिकृत व्यापारियों के अनुरोध स्वीकार करेगा और तदनुसार क्रमश: एसीयू1 और एसीयू2 फॉर्मेट में तथा ‘स्पॉट’ आधार के अलावा टॉम (कल सुपुर्दगी के लिए) आधार पर निधीयन स्वीकार किये जायेंगे। यह निर्णय पहली मार्च 2001 से प्रभावी हुआ। जो प्राधिकृत व्यापारी ‘टॉम" आधार पर लेनदेन की सुविधा प्राप्त करना चाहते हैं, वे मूल्यन तारीख से एक दिन पहले बाह्य निवेश और परिचालन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई के पास अपराह्न 3.00 बजे से पहले अपने आवेदन पत्र प्रस्तुत करें।
अवधिपूर्णता पर जमाराशियों की सूचना देना
विनियमन समीक्षा प्राधिकरण के सुझाव को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस बात को दोहराया है कि बैंकों को बेहतर ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए एक नियम के तौर पर अपने जमाकर्ताओं को पर्याप्त समय पहले जमाराशि की निकट देय तारीख की सूचना भिजवाना सुनिश्चित करना चाहिए।
प्रधान मंत्री रोजगार योजना के ऋणों के लिए संपार्श्विक जमानत
प्राप्त करने के लिए छूट सीमा
रिज़र्व बैंक ने सभी भारतीय अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोडकर) को यह स्पष्ट किया है कि प्रधान मंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत 2 लाख रुपये मूल्य तक की औद्योगिक क्षेत्र परियोजनाएँ (प्रधान मंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत ऋण की उच्चतम सीमा) 12 फरवरी 2001 से संपार्श्विक जमानत में छूट के लिए पात्र हैं। कारोबार और सेवा क्षेत्रों के संबंध में कोई परिवर्तन नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र में भागीदारी परियोजना के लिए संपार्श्विक जमानत प्राप्त करने की छूट सीमा लघु क्षेत्र में प्रति उधार खाते के लिए 5 लाख रुपये होगी।
अलग-अलग उधारकर्ताओं को ऋण सीमाएँ
यह निर्णय लिया गया है कि ‘भवन निधि’ शीर्ष के अंतर्गत रखी गयी राशियाँ तथा मुक्त आरक्षित निधियों के भाग के रूप में समझी जानेवाली राशियों को निवेश मानदंड निर्धारित करने के प्रयोजन के लिए पूंजीगत निधियों की गणना करते समय ध्यान में लिया जायेगा।
मृत जमाकर्ताओं की मीयादी जमाराशियाँ
क्रेडिट इंफर्मेशन रिव्यू (जनवरी 2001) ने पृष्ठ 2 पर मृत जमाकर्ताओं की मीयादी जमाराशियों पर ब्याज की अदायगी पर एक मद प्रकाशित की थी। उस मद में कुछ गलतियां चली गयी थीं। सही पैराग्राफ इस प्रकारहै :
इस समय जमाराशि की अवधिपूर्णता की तारीख के बाद जमाकर्ता की मृत्यु होने पर कोई ब्याज देय नहीं होता है। बैंक मृत जमाकर्ताओं के मीयादी जमाराशि खातों पर दावा करनेवालों को अवधिपूर्णता की तारीख से अदायगी की तारीख अवधिपूर्णता की तारीख वे बाद बैंक के पास जमाराशि रहने तक की अवधि के लिए, अवधिपूर्णता की तारीख को प्रचलित लागू दर पर साधारण ब्याज अदा करते हैं।
अब यह निर्णय लिया गया है कि अवधि समाप्ति की तारीख से बाद जमाकर्ता की मृत्यु हो जाने की स्थिति में, जहां जमाकर्ता आगे की अवधि के लिए जमाराशि का नवीकरण कराने में असफल रहा है, वहां बैंकों द्वारा अवधिपूर्णता की तारीख से अदायगी की तारीख तक अवधिपूर्णता की तारीख को लागू बचत जमा दर (रुपया जमाराशियों के मामले में) या निवासी विदेशी मुद्रा (आरएफसी) बचत जमा दर (एफसीएनआर (बी) जमाराशि के मामले में) पर ब्याज अदा किया जाये।
बैंकिंग नीति
रिज़र्व बैंक ने पहली मार्च 2001 को कारोबार की समाप्ति से बैंक दर 7.5 प्रतिशत से और कम करके 7.00 प्रतिशत वार्षिक कर दी हैे।
बैंक दर 16 फरवरी 2001 को 8 प्रतिशत से कम करके 7.5 प्रतिशत की गयी थी।
स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना संबंधी व्ययों का लेखाकरण
भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना से संबद्ध व्यय, जैसे कि अनुग्रहपूर्वक अनुदान तथा सेवा समाप्ति पर अन्य लाभ, के संबंध में लेखाकरण के बारे में दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
प्रकट करना
किसी बैंक के निदेशक मंडल को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना संबंधी व्यय के संबंध में अपनायी जानेवाली लेखा नीतियां प्रकट करनी चाहिए। यदि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के आवेदनपत्र लेखा-वर्ष बंद होने के बाद स्वीकार किये जायें तो निदेशक मंडल से अपेक्षा की जाती है कि वह निदेशक मंडल की रिपोर्ट में इस तथ्य को और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के संभावित प्रभाव को प्रकट करेगा।
विनियामक मामले
बैंकों के इस प्रस्ताव के संबंध में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से सम्बद्ध आस्थगित राजस्व व्यय को स्तर - I की पूंजी में से न घटाया जाये। रिजर्व बैंक ने सूचित किया है कि घटना के असाधारण स्वरूप की दृष्टि से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से सम्बद्ध आस्थगित राजस्व व्यय को स्तर-I की पूंजी में से नहीं घटाया जायेगा। इस स्थिति को उस लेखा वर्ष के अंत तक विनियमित कर लिया जायेगा जिसमें आस्थगित व्यय पूरी तरह से समाप्त होंगे।
कुछ बैंकों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से सम्बद्ध व्यय को अंशत: नकदी आधार पर तथा उसके अन्य भाग को बांडों के रूप में पूरा करने और बांडों को स्तर - II की पूंजी के लिए अधीनस्थ ऋण के रूप में माना जाने का प्रस्ताव किया हैे। यह सूचित किया जाता है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनेवाले कर्मचारियों को क्षतिपूरक पैकेज के रूप में जारी किये गये बांडों को इस अपरिशोधित आस्थगित राजस्व व्यय में से घटाकर शुद्ध राशि को स्तर - II की पूंजी के रूप में माना जा सकता है, और इसके लिए ऐसे बांड जारी करने के लिए निर्धारित शर्तों के अनुपालन करना होगा।
- एक ऐसा समुचित कानून जो चूक के मामलों में प्रतिभूतियों के पुरोबन्ध एवं प्रवर्तन में सहायक होगा ताकि संस्थाएँ अपनी बकाया धनराशियों की वसूली कर सकें।
- बैंक प्रबंधनों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की जायेगी। भारतीय रिज़र्व बैंक के सहयोग से बैंकिंग सेवा भर्ती बोड़ 31 जुलाई, 2001 या उससे पूर्व समाप्त किये जायेंगे। भविष्य में सभी भर्तियां बैंकों द्वारा स्वयं की जायेंगी।
- निधियों की सुलभ और शीघ्र गतिविधि सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अगले वर्ष में इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण और वास्तविक समय सकल भुगतान प्रणाली शुरू कर रहा है।
- स्ट्रिप्स, जीरो कूपन बाण्ड, डीप-डिस्काउंट बाण्ड और इसी तरह के बाण्ड जारी करने को बढ़ावा देने के लिये केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोड़ द्वारा स्पष्टीकरण जारी किए जा रहे हैं।
- पुराने लोक ऋण अधिनियम के स्थान पर सरकारी प्रतिभूति अधिनियम प्रतिस्थापित किया जायेगा।
- प्रतिभूतिकरण पर व्यापक कानून बनाया जाएगा।
- इन क्रियाकलापों की मॉनिटरिंग एवं कार्यान्वयन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक, सेबी, शेयर बाज़ारों और वित्त मंत्रालय को शामिल करके एक छोटा ग्रुप स्थापित विया जाए और इन गतिविधियों का कार्यान्वयन किया जाए ताकि ऋण बाज़ार अगले वर्ष सक्रिय हो सके।
विनियमन समीक्षा प्राधिकरण के अनुदेशों के अनुपालन में रिज़र्व बैंक के कई परिचालन विभागों ने उपयोगकत्ताओं के लाभ के लिए महत्त्वपूर्ण विषयों पर कई मास्टर परिपत्र जारी किये हैं। मास्टर परिपत्र किसी विषय पर समस्त परिचालनगत अनुदेशों का संकलन होते हैं। मास्टर परिपत्र एक विशेष यूआरएल के अंतर्गत रिज़र्व बैंक वेबसाइट (ैैैर्.स्ीेूाीर्म्iीम्ल्त्ीीे.ींi.दीु.iह) पर उपलब्ध हैं। अब तक उपलब्ध मास्टर परिपत्र इस प्रकार हैा:
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार
- गारंटियां और सह-स्वीकृति
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उधार
- ऋण और अग्रिम - संविधिक और अन्य प्रतिबंध
- विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खातों में रखी जमाराशियाँ
- देशी, साधारण अनिवासी, अनिवासी विशेष रुपया और अनिवासी (बाह्य) (एनआरई) खातों में रखी रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरें
- प्रकटीकरण मानदंड
- शेयरों और डिब्ेांचरों पर बैंक वित्त
अनिवासी भारतीयों के लिए उपलब्ध विभिन्न जमा योजनाओं की मुख्य-मुख्य बातें*
जमा योजनाओं वे प्रकार |
ब्यौरे
विदेशी मुद्रा अनिवासी खाता
(एफसीएनआर)
अनिवासी बाह्य रुपया खाता
(एनआरई)
अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय खाता
(एनआरएनआर)
अनिवासी साधारण खाता
(एनआरओ)
अनिवासी (विशेष) रुपया खाता (एनआरएसआर)
1
2
3
4
5
6
यह खाता कौन खोल सकता है
अनिवासी भारतीय या विदेशी कंपनी निकाय
भारत से बाहर अनिवासी भारतीय या विदेशी कंपनी निकाय
भारत के बाहर रहने वाला कोई भी निवासी व्यक्ति
भारत के बाहर रहनेवाला कोई भी निवासी व्यक्ति
अनिवासी भारतीय
दो या उससे अधिक अनिवासी भारतीयों का संयुक्त खाता
अनुमति है
अनुमति है
अनुमति है
अनुमति है
अनुमति है
भारत निवासी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त खाता
अनुमति नहीं है
अनुमति नहीं है
अनुमति है
अनुमति है
अनुमति है
खाता किस मुद्रा में खोला जायेगा
पाउंड स्टर्लिंग, अमेरिकी डॉलर ड्यूश मार्क, जापानी येन या यूरो
भारतीय रुपये
भारतीय रुपये
भारतीय रुपये
भारतीय रुपये
प्रत्यावर्तनी-यता : मूल ब्याज
मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय
मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय
प्रत्यावर्तनीय नहीं
प्रत्यावर्तनीय नहीं
प्रत्यावर्तनीय नहीं
मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय
मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय
मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय
मुक्त रूप से पुन: प्रत्यावर्तनीय
खाता खोलते समय दिये गये वचनपत्र के अनुसार पुन:प्रत्यावर्तनीय नहीं
विदेशी मुद्रा जोखिम |
खाता धारक का खाता जिस मुद्रा में है, उसकी तुलना में भारतीय रुपये के मूल्य में होने वाले परिवर्तन के लिए वह संरक्षित है |
भारतीय रुपये के मूल्य में होनेवाली घट-बढ़ के लिए खाताधारक का जोखिम रहता है। |
भारतीय रुपये के मूल्य में होनेवाली घट-बढ़ के लिए खाताधारक का ब्याज की राशि की सीमा तक जोखिम रहता है |
भारतीय रुपये के मूल्य में होनेवाली घट-बढ़ के लिए खाताधारक का ब्याज की राशि की सीमा तक जोखिम रहता है |
चूंकि विदेशी मुद्रा की कोई बकाया राशि अप्रत्यावर्तनीय नहीं है अत:विदेशी मुद्रा के लिए कोई जोखिम नहीं। |
खातों के प्रकार |
केवल मीयादी जमाराशियां |
चालू बचत आवर्ती सावधि जमाराशियां |
केवल मीयादी जमाराशियां |
चालू बचत आवर्ती सावधि जमाराशियां |
चालू बचत आवर्ती सावधि जमाराशियां |
मीयादी जमाराशियों के लिए अवधि |
एक वर्ष से अधिक और तीन वर्ष से अनधिक की अवधियों के लिए |
जमाराशियां लेनेवाले बैंक द्वारा घोषित अवधियों के लिए |
6 महीने से अधिक और 3 वर्ष से अनधिक की अवधियों के लिए |
जमाराशियां लेने वाले बैंक द्वारा घोषित अवधि के लिए |
जमाराशियां लेने वाले बैंक द्वारा घोषित अवधि के लिए |
ब्याज की दर |
रिज़र्व बैंक द्वारा यदि ब्याज दर की कोई उच्चतम सीमा निर्धारित की गयी हो तो उस के अंदर बैंक अपनी ब्याज दरों का निर्धारण करने के लिए स्वतंत्र है। |
बैंक स्वतंत्र रूप से ब्याज दरों का निर्धारण कर सकते हैं। |
बैंक स्वतंत्र रूप से ब्याज दरों का निर्धारण कर सकते हैं। |
बैंक स्वतंत्र रूप से ब्याज दरों का निर्धारण कर सकते हैं। |
बैंक स्वतंत्र रूप से ब्याज दरों का निर्धारण कर सकते हैं। |
- निम्नलिखित के खाते में रखी निधियों की जमानत पर भारत में रुपया ऋण
|
अनुमति है अनुमति है |
अनुमति है अनुमति है |
अनुमति है अनुमति है |
अनुमति है अनुमति है |
अनुमति है अनुमति है |
निम्नलिखित के खाते में रखी निधियों की जमानत पर भारत के बाहर विदेशी मुद्रा ऋण :
1)खाता धारक 2)अन्य व्याक्ति |
अनुमति है अनुमति है |
अनुमति है अनुमति है |
अनुमति नहीं है अनुमति नहीं है |
अनुमति नहीं है अनुमति नहीं है |
अनुमति नहीं है अनुमति नहीं है |
टिप्पणियां:
(क) अनिवासी भारतीय एक ऐसा व्यक्ति है जो भारत से बाहर रहता है जो
- भारत का नागरिक है, या
- बांग्ला देश या पाकिस्तान छोड़ कर अन्य किसी देश का नागरिक है यदि
- किसी समय उस व्यक्ति के पास भारतीय पासपोर्ट हो, या
- वह व्यक्ति या उसके माता-पिता या उसके दादा/दादी, नाना/नानी भारतीय संविधान के अनुसार भारत के नागरिक थे या नागरिकत्व अधिनियम, 1955 (1955 का 57) के अंतर्गत या
- उपर्युक्त उप-खंड (क) या (ख) में उल्लेख किये अनुसार वह व्यक्ति किसी भारतीय नागरिक का पति/पत्नी हो।
(ख) विदेशी कंपनी निकाय का निर्धारण इस तरह किया गया है :-
"ऐसी कंपनी, भागीदारी, फर्म, सोसायटी या अन्य कोई कंपनी निकाय जिसका कम से कम 60 प्रतिशत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वामित्व अनिवासी भारतीयों का है और इसमें ऐसे विदेशी न्यास भी शामिल हैं जिसके प्रत्यक्ष या परोक्ष कम 60 प्रतिशत लाभ अविकल्पत: अनिवासी भारतीय प्राप्त करते है।"
* व्रेडिट इंफर्मेशनन रिव्यू ने (फरवरी 2001) में अनिवासी भारतीयों के लिए उपलब्ध विभिन्न जमा योजनाओं की मुख्य-मुख्य बातें प्रकाशित की थीं। असावधानीवश सार में कुछ गलतियां चली गयीं थीं। अतएव सही जानकारी देते हुए तालिका को पुन: प्रकाशित किया जा रहा है।