विनियामक सैंडबॉक्स हेतु सक्षम रूपरेखा - आरबीआई - Reserve Bank of India
विनियामक सैंडबॉक्स हेतु सक्षम रूपरेखा
1.1 भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2016 में फिनटेक के विस्तृत पहलुओं और इसके निहितार्थों पर गौर करने और इसको रिपोर्ट करने के लिए एक अंतर- विनियामक कार्यकारी समूह (डबल्यूजी) की स्थापना की जिससे विनियामक फ्रेमवर्क की समीक्षा की जा सके और तेजी से विकसित हो रही फिनटेक परिदृश्य की गतिशीलता पर प्रतिक्रिया प्रदान की जा सके। डबल्यूजी की रिपोर्ट 08 फरवरी 2018 को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी की गई थी। डबल्यूजी की प्रमुख सिफ़ारिशों में से एक यह थी कि एक अच्छी तरह से परिभाषित आयाम और अवधि के भीतर विनियामक सैंडबॉक्स(आरएस) के लिए एक उपयुक्त फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया जाए, जहां वित्तीय क्षेत्र नियामक अपेक्षित नियामक मार्गदर्शन प्रदान करें, जिससे दक्षता में वृद्धि कि जा सके, जोखिमों का प्रबंधन किया जा सके और उपभोक्ताओं के लिए नए अवसर का निर्माण किया जा सके। 1.2 तदनुसार, आरएस कि स्थापना के कारणों और आरबीआई कि अपेक्षाओं सहित प्रस्तावित आरएस के स्पष्ट सिद्धांतों और भूमिका को उजागर करने वाली एक व्यापक रूपरेखा का विवरण यहाँ दिया गया है। 2. विनियामक सैंडबॉक्स: सिद्धान्त और उद्देश्य 2.1 विनियामक सैंडबॉक्स विनियामक सैंडबॉक्स आमतौर पर एक नियंत्रित / परीक्षण विनियामक वातावरण में नए उत्पादों या सेवाओं के लाइव परीक्षण को संदर्भित करता है, जिसके लिए नियामक परीक्षण के सीमित उद्देश्य हेतु कुछ विनियामक छूट की अनुमति दे सकते हैं (या नहीं भी दे सकते हैं)। आरएस नियामक, नवप्रवर्तकों, वित्तीय सेवा प्रदाताओं (प्रौद्योगिकी के संभावित परिनियोजनकर्ताओं के रूप में) और ग्राहकों (अंतिम उपयोगकर्ताओं के रूप में) को नए वित्तीय नवोन्मेशों के लाभों और जोखिमों पर साक्ष्य एकत्र करने के लिए फ़ील्ड परीक्षण करने की अनुमति देता है, जबकि आरएस उनके जोखिमों कि सावधानीपूर्वक निगरानी और रोकथाम करता है। यह विनियामक को पारिस्थितिकी तंत्र के साथ जुड़ने और नवोन्मेष-सक्षम या नवोन्मेशी-उत्तरदायी नियमों को विकसित करने के लिए एक संरचित अवसर प्रदान कर सकता है जो प्रासंगिक, कम लागत वाले वित्तीय उत्पादों के वितरण की सुविधा प्रदान करते हैं। आरएस एक महत्वपूर्ण टूल है जो अधिक गतिशील, साक्ष्य-आधारित विनियामक वातावरण को सक्षम बनाता है जो उभरती हुई प्रौद्योगिकियों से सीखते हैं, और विकसित होते हैं। 2.2 उद्देश्य आरएस का उद्देश्य वित्तीय सेवाओं में जिम्मेदार नवोन्मेष को बढ़ावा देना, दक्षता को बढ़ावा देना और उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाना है। आरएस मूलरूप में, बाज़ार प्रतिभागियों के लिए एक औपचारिक विनियामक कार्यक्रम है जो सुरक्षा उपायों और निरीक्षण के अधीन ग्राहकों के साथ लाइव वातावरण में नए उत्पादों, सेवाओं और व्यापार मॉडल का परीक्षण करता है। आरएस के तहत शुरू कि जाने वाली प्रस्तावित वित्तीय सेवा में नई या उभरती हुई प्रौद्योगिकी, या मौजूदा प्रौद्योगिकी का अभिनव तरीके से उपयोग शामिल होना चाहिए समस्या का समाधान करके उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाना चाहिए। आरएस कि स्थापना कई लाभ प्रदान सकती है, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण हैं और नीचे वर्णित है: 3.1 सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आरएस हर तरफ “करके सीखने” को बढ़ावा देता है। नियामक, परिचर जोखिमों को शामिल करते हुए उभरती प्रौद्योगिकियों के लाभों और जोखिमों और उनके निहितार्थों पर प्रत्यक्ष अनुभवजन्य साक्ष्य प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें नियामक परिवर्तनों या नए नियमों पर एक विचारशील दृष्टिकोण लेने में सुविधा होती है जो उपयोगी नवोन्मेष का समर्थन करने के लिए आवश्यक हो सकते हैं। बैंकों सहित मौजूदा वित्तीय सेवा प्रदाता, अपनी समझ में भी सुधार करते हैं कि नई वित्तीय प्रौद्योगिकियां कैसे काम कर सकती हैं, जो उन्हें अपनी व्यावसायिक योजनाओं के साथ ऐसी नयी तकनीकों को उचित रूप से एकीकृत करने में मदद कर सकती हैं। इनोवेटर्स और फिनटेक कंपनियाँ उन नियमों कि अपनी समझ में सुधार कर सकती हैं जो उनकी पेशकश को नियंत्रित करते हैं और तदनुसार अपने उत्पादों को आकार देते हैं। अंत में, अंतिम उपयोगकर्ताओं के रूप में ग्राहकों से प्राप्त प्रतिक्रिया, विनियामक और इनोवेटर्स दोनों को शिक्षित करती हैं कि इन नवोन्मेषों से ग्राहक को क्या लागत और लाभ प्राप्त हो सकते हैं। 3.2 दूसरी बात, यदि उत्पाद सफल होने की क्षमता रखता है तो आरएस के उपयोगकर्ता बड़े और अधिक महंगे रोल-आउट की आवश्यकता के बिना उत्पाद की व्यवहार्यता का परीक्षण कर सकते हैं। यदि सैंडबॉक्स अवधि के दौरान कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो उत्पाद को व्यापक बाज़ार में लॉंच करने से पहले उचित संशोधन किए जा सकते हैं। 3.3 तीसरी बात, फिनटेक ऐसे समाधान प्रदान करते हैं जो वित्तीय समावेशन को महत्वपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं। आरएस न केवल नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी अनुकूलन कि गति में सुधार लाने में बल्कि वित्तीय समावेशन और वित्तीय पहुँच में सुधार करने में भी काफी मदद कर सकता है। जिन क्षेत्रों को संभावित रूप से आरएस से ज़ोर मिल सकता है उनमें माइक्रोफ़ाइनेंस, नवोन्मेषी लघु बचत, धन प्रेषण, मोबाइल बैंकिंग और अन्य डिजिटल भुगतान शामिल हैं। 3.4 चौथी बात, साक्ष्य आधारित विनियामक निर्णय लेने के लिए एक संरचित और संस्थागत वातावरण प्रदान कर के, केवल उद्योग/हितधारक परामर्श पर नियामक की तत्संबंधी निर्भरता कम हो जाती है। 3.5 पाँचवीं बात, आरएस उत्पादों और सेवाओं की बढ़ी हुई शृंखला, कम लागत और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से उपभोक्ताओं के लिए बेहतर परिणाम ला सकता है। 4. नियामक सैंडबॉक्स: जोखिम और सीमाएं 4.1 सैंडबॉक्स प्रक्रिया से गुजरने में अन्वेषकों को कुछ लचीलेपन और समय की हानि हो सकती है। हालांकि, प्रत्येक चरण में समयबद्ध तरीके से आरएस परिचालन से इस जोखिम को कम किया जा सकता है। 4.2 मामले-दर-मामले निर्दिष्ट प्राधिकारणों और विनियामक छूटों में समय और विवेकाधीन निर्णय शामिल हो सकते हैं। इस जोखिम को पारदर्शी तरीके से अनुप्रयोगों को संभालने और निर्णय लेने में अच्छी तरह से परिभाषित सिद्धांतों का पालन करके संबोधित किया जा सकता है। 4.3 भारतीय रिज़र्व बैंक या उसके आरएस कोई कानूनी छूट प्रदान नहीं कर सकते हैं । 4.4 सैंडबॉक्स परीक्षण के बाद, एक सफल प्रयोगकर्ता को उत्पाद/सेवाओं/प्रौद्योगिकी को व्यापक अनुप्रयोग के लिए अनुमति देने से पहले अभी भी नियामक अनुमोदन की आवश्यकता हो सकती है। 4.5 असफल प्रयोग के मामले में उपभोक्ता हानि जैसी स्थिति में कुछ विधिक मुद्दे सामने आने की संभावना हो सकती है। यदि आरएस फ्रेमवर्क और प्रक्रियाएँ पारदर्शी हैं एवं स्पष्ट प्रवेश और निकास के मानदंड मौजूद हैं, तो ऐसे उदाहरणों के लिए अधिक कानूनी आधार नहीं हो सकता है। इस संदर्भ में महत्वपूर्ण अग्रिम स्पष्टता यह है कि ग्राहक या व्यावसायिक जोखिमों के लिए दायित्व आरएस में प्रवेश करने वाली इकाई को हस्तांतरित होगा । 5. विनियामक सैंडबॉक्स: पात्रता मानदंड आरएस में प्रवेश के लिए लक्षित आवेदकों में फिनटेक कंपनियाँ शामिल हैं जिनमें स्टार्टअप, बैंक, वित्तीय संस्थान और अन्य कंपनियां शामिल हैं जो वित्तीय सेवा व्यवसायों के साथ साझेदारी करती हैं या उन्हें सहायता प्रदान करती हैं, जो इन दिशानिर्देशों में निर्धारित सैंडबॉक्स मानदंडों के अधीन हैं। इन दिशानिर्देशों में आरएस का केंद्र बिन्दु उन क्षेत्रों में भारतीय बाज़ार में उपयोग के लिए नवोन्मेषों को प्रोत्साहित करना होगा जहां :
6. विनियामक सैंडबॉक्स के डिज़ाइन पहलू भारतीय रिजर्व बैंक आरएस के लिए निम्नलिखित प्रमुख डिज़ाइन विशेषताओं पर विचार करेगा: 6.1.1 विनियामक सैंडबॉक्स कोहोर्ट: आरएस कुछ कोहॉर्ट (एंड-टू-एंड सैंडबॉक्स प्रक्रिया) चला सकता है, जिसमें प्रत्येक कोहॉर्ट में सीमित संख्या में संस्थाएं निर्धारित अवधि के दौरान अपने उत्पादों का परीक्षण करेंगी। आरएस वित्तीय समावेशन, भुगतान और उधार, डिजिटल केवाईसी आदि पर ध्यान केंद्रित करने वाले विषयगत कोहॉर्ट पर आधारित होगा। कोहॉर्ट अलग-अलग समय अवधि के लिए चल सकते हैं, लेकिन आम तौर पर सात महीने के भीतर पूरे किए जाने चाहिए। 6.1.2 ‘ऑन टैप एप्लिकेशन’ सीमित थीम में निरंतर नवोन्मेष सुनिश्चित करने के लिए आरएस इतर परिस्थितियों में सीमित थीमों के लिए ‘ऑन टैप’ एप्लिकेशन भी स्वीकार कर सकता है। ‘ऑन टैप’ एप्लिकेशन के लिए उपलब्ध थीमों का विवरण रिज़र्व बैंक की वैबसाइट के माध्यम से सूचित किया जाएगा। ‘ऑन टैप’ सुविधा में भागीदारी के लिए सभी नियम और शर्तें आरएस की ही तरह लागू होंगी। 6.1.3 आरएस के अंतर्गत उत्पाद/सेवाएँ/प्रौद्योगिकी आरएस के तहत परीक्षण के लिए विचार किए जा सकने वाले नवीन उत्पादों/सेवाओं/प्रौद्योगिकी की एक सांकेतिक सूची निम्नलिखित है- 6.1.3.1 नवोन्मेषी उत्पाद/सेवाएँ
6.1.3.2 नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी
6.2 आवेदक के लिए नियामक आवश्यकताएँ/छूटें ज़रूरत पड़ने पर भारतीय रिज़र्व बैंक केस-टू-केस आधार पर आरएस की अवधि के लिए आवेदकों के लिए कुछ विनियामक आवश्यकताओं में ढील देने पर विचार कर सकता है । दिये जा सकने वाले विनियामक छूट के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं :
हालांकि, आवेदकों द्वारा अनिवार्य रूप से अनुपालन की जाने वाली आवश्यकताएँ निम्नलिखित हैं:
6.3 सैंडबॉक्स परीक्षण से बहिष्करण यदि प्रस्तावित वित्तीय सेवा भारत में पहले से ही पेश की जा रही सेवाओं के समान है, तो संस्थाएं आरएस के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती हैं, जब तक कि आवेदक यह नहीं दिखा सकते कि या तो एक अलग तकनीक को लाभप्रद रूप से लागू किया जा रहा है या एक ही तकनीक को अधिक कुशल और प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है। उन उत्पादों/सेवाओं/प्रौद्योगिकी की एक सांकेतिक नकारात्मक सूची नीचे दी गई है जिन्हें परीक्षण के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता है:
6.4 एक कोहोर्ट का हिस्सा बनने के लिए फिनटेक संस्थाओं की संख्या आरएस का केन्द्रीकरण नवोन्मेष के क्षेत्रों में परिमित और प्रवेश के संदर्भ में सीमित होगा। आरएस एक व्यापक चयन प्रक्रिया के माध्यम से कुछ चयनित संस्थाओं के साथ परीक्षण प्रक्रिया शुरू करेगा, जैसा कि 'आरएस में प्रतिभागियों के चयन के लिए उपयुक्त और उचित मानदंड' के तहत फ्रेमवर्क में बताया गया है। आवेदन पर आरबीआई का निर्णय अंतिम होगा। 6.5 आरएस में प्रतिभागियों के चयन के लिए उपयुक्त और उचित मानदंड 6.5.1 प्रत्येक आवेदक को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होगी:
6.5.2 संस्थाएं अतिरिक्त रूप से निम्नलिखित शर्तों को पूरा करेंगी:
6.5.3 आरएस वित्तीय सेवाओं में जिम्मेदार नवोन्मेष को बढ़ावा देने और उनके जोखिमों की सावधानीपूर्वक निगरानी करने के लिए एक नई नियामक पहल है। कोहोर्ट के लिए संस्थाओं का चयन, अन्य बातों के साथ-साथ, उपर्युक्त पैरा 6.5.1 और 6.5.2 में उल्लिखित उपयुक्त और उचित मानदंडों के अनुरूप होगा। यदि आवेदकों की संख्या ज्यादा है, तो उपयुक्त और उचित मानदंडों का अनुपालन एक आवश्यक शर्त होगी और अंतिम चयन नवोन्मेष की नवीनता और उत्पाद/सेवा द्वारा उपभोक्ताओं/उद्योग को मिलने वाले संभावित लाभ पर आधारित होगा। 6.6आरएस का विस्तार करना या उससे बाहर निकालना (क) सैंडबॉक्स अवधि के अंत में, संस्थाओं को प्रदान की गई नियामक छूट समाप्त हो जाएगी और सैंडबॉक्स इकाई को आरएस से बाहर निकलना होगा। ऐसी स्थिति में जब सैंडबॉक्स इकाई को सैंडबॉक्स अवधि के विस्तार की आवश्यकता होती है, तो उसे इसकी समाप्ति से कम से कम एक महीने पहले आरबीआई को आवेदन करना चाहिए और विस्तार के लिए आवेदन का समर्थन करने के लिए वैध कारणों के साथ आवेदन करना चाहिए। आरबीआई परीक्षण के चरण, तब तक परीक्षण के परिणाम, इसे जारी रखने के औचित्य और विस्तारित अवधि में प्रत्याशित परिणाम के आधार पर विस्तार की अनुमति देने या अन्यथा एक सूचित निर्णय लेगा। (ख) सैंडबॉक्स परीक्षण भारतीय रिज़र्व बैंक के विवेक पर किसी भी समय बंद कर दिया जाएगा:
(ग) सैंडबॉक्स इकाई भारतीय रिजर्व बैंक को एक माह पहले सूचित करके अपने विवेक से आरएस से बाहर भी निकाल सकती है। (घ) सैंडबॉक्स इकाई यह सुनिश्चित करेगी कि प्रयोग के तहत वित्तीय सेवा के अपने ग्राहकों के लिए किसी भी मौजूदा दायित्व को आरएस से बाहर निकलने या आरएस को बंद करने से पहले पूरी तरह से संबोधित किया गया है। 6.7 सीमा शर्तें जब आरएस उत्पादन परिवेश में काम करता है, तो उसके पास प्रस्तावित वित्तीय सेवा शुरू करने के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित स्थान और अवधि होनी चाहिए, जिसके भीतर विफलता के परिणामों को समाहित किया जा सके। उपभोक्ताओं के हितों की पर्याप्त सुरक्षा करते हुए आरएस को सार्थक ढंग से निष्पादित करने के लिए उचित सीमा शर्तों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए। आरएस के लिए सीमा शर्तों में निम्नलिखित मद शामिल हो सकते हैं :-
6.8 उपभोक्ता संरक्षण 6.8.1 सैंडबॉक्स इकाई को यह सुनिश्चित करना होगा कि आरएस से बाहर निकलने या बंद करने से पहले, प्रयोग के तहत वित्तीय सेवा के ग्राहकों के लिए कोई भी मौजूदा दायित्व पूरा किया गया है या संबोधित किया गया है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि आरएस में प्रवेश करने से सैंडबॉक्स इकाई की अपने ग्राहकों के प्रति देनदारी सीमित नहीं होती है। 6.8.2 आरएस में प्रवेश करने वाली संस्थाओं को, अग्रिम और पारदर्शी तरीके से, परीक्षण ग्राहकों को संभावित जोखिमों और उपलब्ध मुआवजे के बारे में सूचित करना होगा और इस संबंध में उनकी स्पष्ट सहमति प्राप्त करनी होगी। ग्राहकों के लिए परीक्षण से हटने कि उचित व्यवस्था होनी चाहिए। 6.8.3 सैंडबॉक्स संस्थाओं को ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त राशि और अवधि का दायित्व/क्षतिपूर्ति बीमा लेना आवश्यक होगा। क्षतिपूर्ति कवर की पर्याप्तता परीक्षण किए जा रहे उत्पाद/सेवा/प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो सकती है और इसमें अन्य बातों के अलावा, अन्य पैरामिटर शामिल होंगे जैसे (i) एक ग्राहक के लिए अधिकतम जोखिम (ii) एक घटना से उत्पन्न होने वाले दावों की संख्या (एकाधिक दावों कि संभावना); और (iii) पॉलिसी अवधि के दौरान अपेक्षित दावों की संख्या पॉलिसी कवर परीक्षण चरण की शुरुआत के साथ शुरू होगा और आरएस से सैंडबॉक्स इकाई के बाहर निकलने के तीन महीने बाद समाप्त होगा। 7. नियामक सैंडबॉक्स: प्रक्रिया एवं उसके चरण 7.1 एंड-टू-एंड सैंडबॉक्स प्रक्रिया फिनटेक संस्थाओं द्वारा उत्पादों/नवाचारों के परीक्षण सहित एक विस्तृत एंड-टू-एंड सैंडबॉक्स प्रक्रिया की देखरेख भारतीय रिजर्व बैंक के विभिन्न नियामक विभागों के प्रतिनिधियों और अन्य डोमेन विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ आरबीआई के इंटर डिपार्टमेंटल ग्रुप (आईडीजी) के समग्र मार्गदर्शन में फिनटेक यूनिट (एफटीयू) द्वारा की जाएगी। 7.2 सैंडबॉक्स प्रक्रिया: चरण और समय सीमा आरएस के प्रत्येक कोहोर्ट में निम्नलिखित पाँच चरण और समय सीमा होगी: 7.2.1 प्रारंभिक स्क्रीनिंग: यह चरण आवेदन विंडो बंद होने से चार महीने तक चल सकता है। आवेदन एफटीयू द्वारा प्राप्त किए जाएंगे और पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले आवेदकों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए उनका मूल्यांकन किया जाएगा। एफटीयू यह सुनिश्चित करेगा कि आवेदक आरएस के उद्देश्य और सिद्धांतों को स्पष्ट रूप से समझता है और उनका अनुपालन करता है। 7.2.2 परीक्षण डिज़ाइन फिनटेक प्रभाग आवेदकों के साथ पुनरावृत्तीय जुड़ाव के माध्यम से परीक्षण डिजाइन को अंतिम रूप देगा और उत्पादों/सेवाओं/प्रौद्योगिकी से जुड़े लाभों और जोखिमों के साक्ष्य के मूल्यांकन के लिए परिणाम मेट्रिक्स की पहचान करेगा। 7.2.3 आवेदन मूल्यांकन यह चरण 3 सप्ताह तक चल सकता है। फिनटेक प्रभ्ग (एफटीडी) परीक्षण डिज़ाइन की समीक्षा करेगा और विनियामक संशोधनों का प्रस्ताव करेगा, यदि कोई हो तो । 7.2.4 परीक्षण यह चरण अधिकतम 16 सप्ताह तक चल सकता है। फिनटेक प्रभाग (एफटीडी) करीबी निगरानी द्वारा परीक्षणों का आकलन करने के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य तैयार करेगा। 7.2.5 मूल्यांकन यह चरण 4 सप्ताह तक चल सकता है। आर.एस. के अंतर्गत व्यवहार्यता/स्वीकार्यता सहित अपेक्षित मापदंडों के अनुसार उत्पादों/सेवाओं/प्रौद्योगिकी के परीक्षण के अंतिम परिणाम की पुष्टि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाएगी। एफ.टी.डी परीक्षण पर परिणाम रिपोर्ट का मूल्यांकन करेगा और यह तय करेगा कि उत्पाद/सेवा आर.एस. के अंतर्गत व्यवहार्य और स्वीकार्य है या नहीं। 8.1 अनुमोदन के पश्चात, आवेदक आरएस में संचालन के लिए जिम्मेदार सैंडबॉक्स इकाई बन जाता है। आरबीआई आरएस की अवधि के लिए, जहां आवश्यक हो, विशिष्ट विनियामक आवश्यकताओं (जो सैंडबॉक्स इकाई अन्यथा अधीन होगी) को शिथिल करके उचित विनियामक सहायता प्रदान करेगा। आरबीआई सैंडबॉक्स प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली कोई देयता का भार नहीं उठाएगा और प्रयोग से उत्पन्न होने वाली कोई भी देनदारी सैंडबॉक्स इकाई के रूप में आवेदक द्वारा वहन की जाएगी। 8.2 सफल प्रयोग और आरएस से बाहर निकलने पर, सैंडबॉक्स इकाई को प्रासंगिक नियामक आवश्यकताओं का पूरी तरह से पालन करना होगा। आवेदक को आरएस के उद्देश्य और सिद्धांतों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए। इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि आरएस का उद्देश्य कानूनी और नियामक आवश्यकताओं को दरकिनार करने के साधन के रूप में नहीं किया जा सकता है। 8.3 सैंडबॉक्स अवधि के अंत में, सैंडबॉक्स इकाई को आरएस से बाहर निकलना होगा। हितधारकों के साथ आउटरीच और आरएस पर स्पष्ट और पर्याप्त जानकारी का प्रसार महत्वपूर्ण है। आरबीआई अपनी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से इसके लॉन्च, कोहोर्ट की थीम, आरएस के लिए चुने गए आवेदकों और आरएस के तहत व्यवहार्य और स्वीकार्य पाए गए उत्पादों/सेवाओं/प्रौद्योगिकी सहित संपूर्ण सैंडबॉक्स प्रक्रिया के बारे में अपनी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से संप्रेषित करेगा। 9.1 आरबीआई अपनी वेबसाइट पर आरएस आवेदकों के बारे में किसी भी प्रासंगिक जानकारी को प्रकाशित करने का अधिकार सुरक्षित रखेगा, जिसमें ज्ञान हस्तांतरण और अन्य अंतरराष्ट्रीय नियामक एजेंसियों के साथ सहयोग के उद्देश्य से, किसी भी मालिकाना/बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित जानकारी का खुलासा किए बिना शामिल है। |