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भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009

भाग विषय सूची
भाग I प्रस्तावना
भाग II भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009
भाग III क्रियाविधि का ज्ञापन
भाग IV अनुबद्ध – I
भाग V अनुबद्ध – II (सुरक्षा विशेषताएं)

भाग I

प्रस्तावना

रिज़र्व बैंक अपने सभी निर्गम कार्यालयों तथा वाणिज्य बैंकों की मुद्रा तिजोरी शाखाओं में कटे-फटे और विरूपित नोट बदलने की सुविधा जनता को प्रदान करता है। नोट वापसी नियमावली को समझने एवं उसके प्रयोग को आसान बनाने के लिए, इन नियमों में व्यापक स्तर पर संशोधन कर उन्हें सरल बनाया गया हैं। यह भी निर्णय लिया गया है कि नामित शाखा का कोई भी अधिकारी संबंधित शाखा में प्रस्तुत कटे-फटे नोटों का अधिनिर्णय कर सकता है। यह आशा की जाती है कि नियमों का सरलीकरण और उदारीकरण निर्दिष्ट अधिकारी एवं विरूपित नोटों के प्रस्तुतकर्ता, दोनों के लिए, संशोधित नियमावली को समझने और निर्दिष्ट अधिकारी को इसे निष्पक्ष रूप से लागू करने के लिए सहायक होगा ।

जबकि गंदे नोटों के विनियम की सुविधा, सभी बैंकों द्वारा उनकी सभी शाखाओं में प्रदान की जानी है, कटे-फटे नोटों के विनियम की सुविधा, नामित बैंक शाखा/ओं (सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित) में सभी निविदाकारों के लिए, चाहे उस बैंक में उनका खाता है या नहीं उपलब्ध होगी। जनता के प्रति समग्र रूप से पूरी बैंकिंग प्रणाली की यह एक जिम्मेदारी है। यह कहना अनावश्यक है कि भारतीय रिज़र्व बैंक नोट वापसी नियमावली के सरलीकरण और उसके विस्तार का उद्देश्य आम जनता को उनके कटे-फटे नोटों को बिना किसी कठिनाई के विनिमय में सहायता करना है। नामित बैंक शाखाओं को सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह सुविधा सामान्य रुप से आम जनता के हित के लिए प्रदान की जाए और किसी व्यक्तिसमूह द्वारा इसका अतिक्रमण न होने पाए।

इस पुस्तिका में योजना के अंतर्गत पालन किये जानेवाले नियम और अपनायी जानेवाली क्रियाविधि सम्मिलित है। शीघ्र और आसानी से बोध हो सके, इसके लिए महत्वपूर्ण नियम परिवर्तित किये गये हैं । कटे-फटे नोट स्वीकार करने, उनका अधिनिर्णय और भुगतान करने, के संबंध में शाखाओं द्वारा अपनायी जानेवाली क्रियाविधि इस पुस्तिका में दी गयी है। इस संबंध में आगे दिए जानेवाले अनुदेश, इस पुस्तिका के संदर्भ में होंगे और बैंकों की शाखाएं, पुस्तिका में आवश्यक संशोधन करते हुए इसे अद्यतन करेंगी। यदि इस योजना के बारे में कोई स्पष्टीकरण चाहिए हो तो उसके बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों में निर्गम विभागों को या मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400 001 को लिखा जाये। कृपया ई-मेल भेजने के लिए यहां क्लिक करें ।

भाग II

भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009

अ. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के उपबंध:

धारा 28: किसी अधिनियमित या विधि-नियम में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी कोई व्यक्ति केंद्र सरकार या रिजर्व बैंक से किसी खोये हुए, चोरी किये गये, विकृत या अपूर्ण करेन्सी-नोट या बैंक-नोट का मूल्य अधिकारेण प्रत्युद्धृत करने का हकदार नहीं होगा। परन्तु रिजर्व बैंक, केंद्रीय सरकार की पूर्व मंजूरी से वे परिस्थितियाँ जिनमें वो शर्ते और परिसीमाएँ विहित कर सकेगा, जिनके अधीन, ऐसे करेन्सी-नोटों या बैंक-नोटों का मूल्य अनुग्रह स्वरूप प्रतिदत्त किया जा सकेगा, और इस परन्तुक के अधीन बनाये गये नियम संसद के पटल पर रखे जायेंगे।

धारा 58(1): केन्द्रीय बोर्ड, इस अधिनियम के उपबन्धों को प्रभाव देने के लिए जिन विषयों के लिए उपबन्ध करना आवश्यक या सुविधाजनक है उन सबके लिए ऐसे विनियम, जो अधिनियम से संगत हैं, केंद्रीय सरकार की पूर्व मंजूरी से राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगा।

धारा 58(2): विशिष्टतया और पूर्वगामी उपबन्ध की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे विनियम निम्नलिखित सब विषयों या उनमें से किसी के लिए उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात :-

(क) ................
(ख) ................
(ग) ................
................
(थ) वे परिस्थितियाँ जिनमें एवं वो शर्ते और परिसीमाएँ जिनके अधीन भारत सरकार के किसी खोये, चोरी हो गये, विकृत या अपूर्ण करेन्सी नोट या बैंक-नोट का मूल्य प्रतिदत्त किया जा सकेगा।

ब) नोट वापसी नियमावली

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 58 की उपधारा (2) के खंड (थ) तथा उपधारा (1) के साथ पठित उक्त अधिनियम की धारा 28 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 1975 के अधिक्रमण, करने इस तथा इससे पहले की गयी या करने के लिए छोड़ दी गयी बातों को छोड़कर, भारतीय रिज़र्व बैंक का केन्द्रीय निदेशक बोर्ड, केन्द्रीय सरकार की पूर्व अनुमति से इसके द्वारा उन परिस्थितियों तथा उन शर्तो और सीमाओं को निर्धारित करते हुए निम्नलिखित नियम बनाता है, जिनके अंतर्गत खोये, अपूण्दा या कटे-फटे नोटों का मुल्य अनुग्रह के रुप में वापस किया जा सकता है अर्थात

1. लघु शीर्ष, प्रयोग और प्रारंभ

(1) इन नियमों को भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 कहा जायेगा ।

(2) ये नियम, उस नोट के लिए लागू होंगे, जो बैंक के समक्ष उसकी प्रस्तुति की तारीख पर वैध मुद्रा है ।

(3) ये सरकार के राजपत्र में उसके प्रकाशन की तारीख पर अमल में आयेंगे ।

2. परिभाषाएं

इन नियमों में जब तक इस संदर्भ को अन्यथा आवश्यक नहीं माना जाता :-

(क) "अधिनियम" से अभिप्राय भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 की धारा 2) है;

(ख) "बैंक़" से अभिप्राय अधिनियम की धारा 2 द्वारा गठित भारतीय रिज़र्व बैंक से है;

(ग) "बैंक नोट" से अभिप्राय बैंक द्वारा जारी किये गये किसी नोट से है, परन्तु उसमें एक रुपये का नोट जिसे भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, आर्थिक सेवा विभाग द्वारा जारी 28 मार्च 1980 की अधिसूचना सं.जी.एल.आर. 426 के अनुसार बैंक नोट माना गया है, के अलावा अन्य सरकारी नोट सम्मिलित नहीं है;

(घ) "आवश्यक लक्षणों" से अभिप्राय सुरक्षा विशेषताओं सहित उन लक्षणों से है जो किसी नोट की पहचान के लिए आवश्यक हैं, अर्थात्:-

  1. जारी करनेवाले प्राधिकारी अर्थात् यथास्थिति, भारतीय रिज़र्व बैंक या भारत सरकार का नाम हिन्दी या अंग्रेजी में;

  2. प्रतिभूति (गारंटी) खंड हिन्दी और/या अंग्रेजी में;

  3. वचन खंड हिन्दी और/या अंग्रेजी में;

  4. हस्ताक्षर हिन्दी और/या अंग्रेजी में;

  5. यथास्थिति अशोक स्तम्भ का चिह्न या महात्मा गांधी की प्रतिमा; और

  6. यथास्थिति अशोक स्तंभ या महात्मा गांधी की प्रतिमा के प्रतीक का जलचिह्न (वाटरमार्क)

स्पष्टीकरण : इस खंड के उद्देश्यों के लिए -

(अ) नोट की वास्तविकता या अन्यथा निर्धारण करने के लिए, निम्नलिखित सुरक्षा विशेषताएं शामिल हैं;

  1. कागज की गुणवत्ता

  2. संख्या पटल की संख्याओं का माप एवं आकार

  3. सुरक्षा धागा

  4. उभारदार (intaglio) मुद्रण

  5. उर्ध्वाधार पट्टी में अप्रकट छवि

  6. इलेक्ट्रोटाईप जलचिन्ह्न् (वॉटरमार्क विंडो में)

  7. सूक्ष्म लेखन (मायक्रोलेटरिडग)

  8. चमकीलापन (संख्या पटलों और मुख्य मध्य पट्टी)

  9. प्रकाश में परिवर्तनीय स्याही (पाच सौ रु.और एक हजार रु. मूल्यवर्ग के नोटों में)

  10. दोनों ओर छपे चिह्नों का सटीक मेल

  11. बैंक द्वारा भविष्य मे कोई अन्य सुरक्षा विशेषता

(ब) नोट की आवश्यक विश्टाषताएं, नियत अधिकारी को किसी कटे-फटे नोट की वास्तविकता या अन्यथा निर्धारण करने में सहायता की दृष्टि से बतलाई गयी हैं;

(ड.) "सरकारी नोट" से अभिप्राय उस नोट से है, जो भारत सरकार द्वारा जारी किया गया अथवा भारत सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को दिया गया हो और बैंक ने उसे जारी किया हो, बशर्ते ऐसे नोट के संबंध में मूल्य की अदायगी की देयता बैंक पर डाल दी गयी हो और बैंक ने ले ली हो ।

(च) "अपूर्ण नोट" से अभिप्राय ऐसे किसी नोट से है, जो पूर्णत: या अंशत: विरूपित, सिकुड़ा हुआ, गीले होने के कारण फीका हुआ, परिवर्तित या अस्पष्ट हो, परंतु इसमें कटा-फटा नोट सम्मिलित नहीं है ।

(छ) "कटे-फटे नोट" से अभिप्राय ऐसा नोट से है जिसका एक भाग न हो या जो दो टुकडों से अधिक टुकडों को जोडकर बनाया गया हो;

(ज) "बेमेल नोट" से अभिप्राय ऐसे कटे-फटे नोट से है जो किसी एक नोट के आधे भाग को किसी दूसरे नोट के आधे भाग में जोड़कर बनाया गया हो ।

स्पष्टीकरण: इस संबंध में संदेह को दूर करने के लिए एततद्वारा यह बताया जाता है कि "बेमेल नोट की पहचान संख्या, हस्ताक्षर आदि और / या अन्य सुरक्षा विशेषताओं की जांच करने के बाद की जा सकती है;

(झ) "नोट" से बैंक नोट या सरकारी नोट अभिप्रेरित है:

(ञ) "निर्दिष्ट अधिकारी" से अभिप्राय बैंक के निर्गम विभाग के किसी अधिकारी या इस सम्बन्ध में बैंक द्वारा, करार के माध्यम से, उस के किसी एजेंट/नामित बैंक का कोई अधिकारी जिसे नोट वापसी नियमावली के अंतर्गत अधिनिर्णय हेतु कटे-फटे नोटों को स्वीकारने के लिए प्राधिकृत किया गया है ।

(ट) "गंदे नोट" से अभिप्राय ऐसे नोट से है, जो प्रयोग के कारण गंदा हुआ हो और इसमें आपस में जुडे दो टुकडे नोट भी शामिल है जहाँ प्रस्तुत किये गये दोनो टुकडे एक ही नोट के हो और इस तरह पूर्ण नोट बनाते हों।

इसमें प्रयुक्त ऐसे शब्द और अभिव्यक्ति जिन्हे यहाँ परिभाषित नहीं किया गया है परन्तु अधिनियम (ऐक्ट) में वे परिभाषित हैं उनके लिए वही अर्थ निहित होंगे जैसा कि अधिनियम में है।

3. कटे-फटे नोट के अधिनिर्णय से संबंधित निर्णय - कटे-फटे नोट के अधिनिर्णय के संबंध में यदि कोई विवाद हो तो तो उसे निर्णय के लिए ‘बैंक’ को भेजना चाहिए और इसका निर्णय दावेदार, उसके नामिती और उत्तराधिकारियों के लिए बाध्यकारी होगा ।

4. दावे की प्रस्तुति और निपटान - किसी भी नोट के संबंध में दावा, इन नियमों के अंतर्गत अधिनिर्णय एवं मूल्य के भुगतान के लिए निर्दिष्ट अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है ।

5. जानकारी मांगने या जांच करने का अधिकार - निर्दिष्ट अधिकारी, यदि आवश्यक समझे तो, इन नियमों के अंतर्गत उसके समक्ष प्रस्तुत किये गये किसी दावे के संबंध में कोई जानकारी मांग सकता है या जांच कर सकता है, और जहाँ नोट की वास्तविकता संदिग्ध हो, तो ऐसे संदिग्ध नोट को वह विशेषज्ञ मत के लिए महाप्रबंधक, करेंसी नोट प्रेस, नासिक रोड या इस उद्देश्य के लिए लागू किसी विधि के अंतर्गत यथानामित किसी अन्य प्राधिकारी के पास भेजेगा।

6. सभी दावों के सम्बन्ध में सामान्य उपबंध -

(1) किसी ऐसे नोट, जो चोरी हो गया है, खो गया है, या पूर्णत: नष्ट हो गया हो, के संबंध में कोई दावा स्वीकार नही किया जायेगा ।

(2) निर्दिष्ट अधिकारी यदि इस बात से संतुष्ट हो कि उसके समक्ष प्रस्तुत किया गया कटा - फटा नोट भारतीय रिजर्व बैंक के किसी कार्यालय में निरस्त (रद्द) किया जा चुका प्रतीत हो तो है अथवा किये गये दावा का भुगतान इन नियमों के अन्तर्गत पहले ही किया जा चुका प्रतीत होतो वह, उपर्युक्त नियम 5 के अंतर्गत पूछताछ के पश्चात्, ऐसे नोट पर किये गये दावे का भुगतान करने से मना कर सकता है।

(3) उस नोट के संबंध में दावा जिसे

  1. निश्चित रूप से ऐसे वास्तविक नोट के रूप में नहीं पहचाना जा सके जिसका दायित्व अधिनियम के अंतर्गत बैंक पर है ।

  2. अपूर्ण बनाया गया हो या इस उद्देश्य से काटा-फाड़ा गया हो कि वह उच्चतर मूल्य वर्ग का प्रतीत हो या इन नियमों के अंतर्गत या अन्यथा झूठा दावा प्रस्तुत करने के उद्देश्य से या बैंक या जनता को धोखा देने के लिए जान-बूझकर काटा-फाड़ा गया हो, विकृत किया गया हो, परिवर्तित किया गया हो या किसी अन्य तरीके से उस पर कार्रवाई की गयी हो; यह आवश्यक नहीं है कि दावेदार ने स्वयं ऐसा किया हो।

  3. जिसपर आपत्तिजनक शब्द लिखे हों या किसी राजनीतिक या धार्मिक स्वरूप का संदेश देने या देने में सक्षम भाव को व्यक्त करने वाली दृष्टब्य अभिव्यक्ति हो या किसी व्यक्ति या उद्यम के हित को बढावा देने के उद्देश्य से कुछ लिखा गया हो ।

  4. दावेदार द्वारा किसी कानून के प्रावधान का उल्लंघन करके भारत से बाहर के किसी स्थान से लाया गया हो |

  5. निर्दिष्ट अधिकारी अथवा बैंक द्वारा मांगी गयी कोई सूचना, जो लागू हो, दावेदार ने सूचना मांगने की नोटिस या पत्र की प्राप्ति की तारीख से तीन महीने के अंदर प्रस्तुत न की हो, या

  6. निर्दिष्ट अधिकारी के अभिमत के अनुसार ऐसे दावे के संबंध में जहाँ जानबूझकर धोखाघड़ी करने का आशय प्रतीत होता हो, अस्वीकृत किया जायेगा और उस समय में लागू किसी अन्य नियम के तहत विचार करने के लिए पात्र नहीं होगा।

7. अपूर्ण नोट

अपूर्ण नोट के लिए नियम 8 में दी गयी सारणियों में निर्दिष्ट किए गए अनुसार पूरा / आधा मूल्य अदा किया जा सकता है, यदि,

(क) वह विषयवस्तु, जो नोट पर मुद्रित है पूरी तरह से अपठनीय न हो गयी हो, और

(ख) नोट पर पठनीय विषयवस्तु के आधार पर निर्दिष्ट अधिकारी इस बात से संतुष्ट हो कि वह असली नोट है

8. कटे-फटे नोट –

(1) एक रुपये, दो रुपये, पाँच रुपये, दस रुपये और बीस रुपये मूल्यवर्ग के नोटों के संबंध में दावे का अधिनिर्णय निम्नलिखित पध्दति से किया जाएगा अर्थात,

  1. यदि प्रस्तुत किये गये नोट के सबसे बड़े एक अविभाजित टुकडे का क्षेत्र अगले पूर्ण वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित करने पर संबंधित मूल्यवर्ग के नोट के कुल क्षेत्र से 50 प्रतिशत से अधिक हो, तो उपर्युक्त मूल्यवर्गों के कटे-फटे नोटों का पूर्ण मूल्य देय होगा;

  2. यदि प्रस्तुत किये गये नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकडे का क्षेत्र 50 प्रतिशत से कम अथवा बराबर हो तो दावे को अस्वीकृत किया जायेगा ।

स्पष्टीकरणः इस उप- नियम के लिए यह स्पष्ट किया जाता है कि एक रुपये, दो रुपये, पाँच रुपये, दस रुपये और बीस रुपये मूल्यवर्ग के कटे-फटे नोट के पूर्ण मूल्य का भुगतान तभी किया जा सकता है, जब यदि प्रस्तुत नोट का सबसे बड़ा टुकडा निम्न सारणी में दर्शाये गये अनुसार क्रमशः 31,34,38,44, और 47 वर्ग सेंटीमीटर से अधिक हो अथवा उसके बराबर हो।

सारणी -1
मूल्यवर्ग लंबाई
(सेंटीमीटर)
चौडाई
(सेंटीमीटर)
क्षेत्र
(सेंटीमीटर में)
भुगतान के लिए आवश्यक
न्यूनतम क्षेत्र (सेंमी.में रु)*
1 9.7 6.3 61 31
2 10.7 6.3 67 34
5 11.7 6.3 74 38
10 13.7 6.3 86 44
20 14.7 6.3 93 47
* प्रत्येक मूल्यवर्ग में नोटों के क्षेत्र के आधे के बाद अगले पूर्ण अधिक वर्ग सेंटीमीटर के रुप में दर्शाया गया है ।

(2) पचास रुपये और अधिक मूल्यवर्गों के नोटों के संबंध में दावे का भुगतान निम्नलिखित पध्दति से किया जायेगा, अर्थात –

  1. यदि प्रस्तुत नोट का सबसे अविभाजित टुकडा अगले पूर्ण वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित करने पर संबंधित मूल्यवर्ग के नोट के क्षेत्र से 65 प्रतिशत से अधिक हो तो उपर्युक्त मूल्यवर्गों के कटे-फटे नोटों का पूर्ण मूल्य देय होगा;

  2. यदि प्रस्तुत नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकडे का अविभाजित क्षेत्र अगले पूर्ण वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित करने पर संबंधित मूल्यवर्ग के क्षेत्र के 40 प्रतिशत से अधिक और 65 प्रतिशत से कम अथवा समान हो तो नोट का आधा मूल्य देय होगा ।

  3. यदि नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 40 प्रतिशत से कम हो तो कोई मूल्य देय नहीं होगा और दावे को अस्वीकृत किया जायेगा ।

  4. यदि पचास रुपये से एक हजार रुपये मूल्यवर्ग तक कटे-फटे नोटों के दावे मे प्रस्तुत नोट को उसी नोट के दो टुकड़ो से बनाया गया हो और प्रत्येक टुकडे का क्षेत्र, अलग-अलग, उस मूल्यवर्ग के नोट के कुल क्षेत्र का 40 प्रतिशत से अधिक अथवा समान हो तो दावे का पूर्ण भुगतान किया जाये और इसे आधे मूल्य के लिए प्रस्तुत दो दावे के रुप में नहीं समझा जाए ।

स्पष्टीकरण : इस उप-नियम के लिए निम्न सारणी-2 में दर्शाये गये अनुसार यह स्पष्ट किया जाता है कि

(क) यदि प्रस्तुत किये गये पचास रुपये, एक सौ रुपये, पाँच सौ रुपये और एक हजार रुपये के कटे-फटे नोट के सबसे बडे अविभाजित टुकड़े का क्षेटत्र, कम से कम क्रमशः 70,75, 80 और 84 वर्ग सेंटीमीटर हो तो उसके लिए पूर्ण मूल्य अदा किया जा सकता है।

(ख) यदि, सबसे बडे अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र ऊपर उल्लिखित से कम हो तो उपरिनिर्दिष्ट उप-नियम 8 के खण्ड 2(ii) के अनुसार आधे मूल्य के भुगतान के लिए दावे पर विचार किया जा सकता है।

(ग) यदि पचास रुपये, एक सौ रुपये, पाँच सौ रुपये और एक हजार रुपये के प्रस्तुत किय गये कटे-फटे नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र क्रमशः कम से कम 43, 46,49 और 52 वर्ग सेंटीमीटर हो तो ऐसे नोटों का मूल्य आधे मूल्य के रुप में अदा किया जा सकता है।

(घ) यदि एक ही बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र उपर्युक्त विर्निदेश से कम हो तो दावे को अस्वीकृत किया जायेगा ।

सारणी - 2
मूल्यवर्ग लंबाई
(सेंमी)
चौड़ाई
(सेंमी)
क्षेत्र
(सेंमी) में
पूर्ण मूल्य@ आधे मूल्य ** के भुगतान हेतु आवश्यक न्यूनतम क्षेत्र(सेंमी में)
50 14.7 7.3 107 70 43
100 15.7 7.3 115 75 46
500 16.7 7.3 122 80 49
1000 17.7 7.3 129 84 52
@ प्रत्येक मूल्यवर्ग में नोट के क्षेत्र के 65 प्रतिशत से अगले पूर्ण उच्च वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित ।
** प्रत्येक मूल्यवर्ग में नोट के क्षेत्र के 40 प्रतिशत से अगले पूर्ण उच्च वर्ग सेंटीमीटर में पूर्णांकित अथवा नोट का 40 प्रतिशत ।

9. बेमेल नोट धके संबंध में दावे का भुगतान - बेमेल नोट के संबंध में दावे के भुगतान पर निम्न प्रकार से कार्रवाई की जाये -

(क) बीस रुपये मूल्यवर्ग तक के नोटों के मामले में प्रस्तुत किये गये दो टुकडों में से बड़े टुकड़े का क्षेत्र नापा जाये और छोटे आधे टुकडे पर ध्यान न देते हुए नियम 8 के उप-नियम (1) के प्रावधानों के अनुसार अधिनिर्णय किया जाये ।

(ख) यदि प्रस्तुत किये गये दोनों टुकड़ो में से कोई भी टुकड़ा उपर्युक्त नियम 8 के उप-नियम 1 के खण्ड (i) के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित न्यूनतम क्षेत्र को पूरा नहीं करता हो, तो दावे को अस्वीकृत किया जाये ।

(ग) पचास रुपये और उससे अधिक मूल्यवर्गों के मामले में दोनों टुकड़ों को अलग-अलग रुप में माना जाये और तदनुसार कार्रवाई की जाये ।

10. दावेदारों पर नियम बाध्यकारी होंगे –

(1) इन नियमों के अंतर्गत जो भी अदायगी की जायेगी वह केवल अनुग्रह के रुप में होगी और बैंक यदि समय-समय पर, इन नियमों के उपबन्धों को अमल में लाने के लिए निर्दिष्ट अधिकारियों के मार्गदर्शन के लिए ऐसे अनुपूरक और विस्तृत अनुदेश जारी कर सकता है, जिन्हें वह उचित समझे ।

(2) यदि कोई ब्यक्ति जो किसी अपूर्ण या कटे-फटे नोट के संबंध में दावा करेगा, यह माना जाएगा कि उसने वह दावा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 28 के प्रावधानों के अंतर्गत और इन नियमों के उपबन्धों के अधीन किया है, जो सभी दावेदारों और उनके उत्तराधिकारियों या नामित व्यक्तियों पर बाध्यकारी होंगे।

11. नोट को रख लेना और नष्ट करना : निर्दिष्ट अधिकारी के समक्ष दावे के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया नोट, चाहे वह किसी मूल्यवर्ग का हो अथवा दावे के संबंध में निर्दिष्ट अधिकारी का निर्णय कुछ भी हो, रख लिया और नष्ट कर दिया जायेगा अथवा बैंक द्वारा उसका निम्न प्रकार से अन्यथ निपटान किया जाएगा।

(क) किसी ऐसे नोट के मामले में, जिसके संबंध में पूरी अदायगी कर दी गयी है अदायगी के पश्चात् किसी भी समय; और

(ख) किसी ऐसे नोट के मामले में जिसके सम्बन्ध में कोई अदायगी नहीं की गयी है, या जिसपर आधे मूल्य की अदायगी की गई है, दावे को अस्वीकार करने या आधे मूल्य की अदायगी जो लागू के निर्णय की तारीख से तीन महीने की अवधि समाप्त होने है हो यदि इस अवधि के दौरान, बैंक के किसी कार्यालय या किसी नामित बैंक की शाखा को किसी सक्षम न्यायालय से, उल्लिखित नोट को नष्ट करने या उसके अन्यथा निपटान से रोकने का कोई आदेश प्रस्तुत नहीं किया जाता है ।

12. वैध उत्तराधिकारियों/नामितों को अदायगी –

1) यदि किसी दावेदार जिसने इन नियमों के अंतर्गत दावा प्रस्तुत किया हो, की मृत्यु हो जाती है तो उसके वैध उत्तराधिकारी, निर्दिष्ट अधिकारी द्वारा दावे का मूल्यांकन करने के आधार पर दावेदार को देय राशि का भुगतान प्राप्त करने के योग्य होंगे।

2) वैध उत्तराधिकारी इस उद्देश्य के लिए निर्दिष्ट अधिकारी को वैध प्रतिनिधि द्वारा शाखा या बैंक के किसी कार्यालय या बैंक द्वारा नामित किसी अन्य संस्था या ईकाई के पक्ष में निष्पादित क्षतिपूर्ति बॉड प्रस्तुत करने पर, दावेदार को देय भुगतान, यदि कोई हो तो, को प्राप्त करने का हकदार होगा।

दावेदार के वैध उत्तराधिकारी को पाँच सौ रुपये तक की राशि का भुगतान इस उद्देश्य के लिए प्रस्तुत घोषणा के आधार पर किया जा सकता है ।

3) ट्रिपल लॉक रीसेप्टॅकल (टीएलआर) कवर के माध्यम से बैंक में प्रस्तुत कटे-फटे नोट के मामले में, प्रस्तुतकर्ता को कवर पर यथानिर्दिष्ट अन्य ब्यौरे जैसे कि बैंक खाता संख्या आदि के साथ अपना नाम और पता लिखना होगा । इसके अलावा व्यक्तिगत प्रस्तुतकर्ता, अपने विकल्प के अनुसार कवर पर नामिती का नाम और पता भी लिख सकता है जो उचित पहचान के अधीन क्षतिपूर्ति बांड को प्रस्तुत किये बिना दावे पर देय हेतु निर्धारित की जानेवाली राशि प्राप्त कर सकता है ।

13. मुद्रित फार्म- नियम 12 में निर्दिष्ट किए अनुसार, जहाँ बैंक के पक्ष में किसी क्षतिपूर्ति बांड का निष्पादन किया जाना हो, वहाँ बैंक इस नियमावली के अंतर्गत वैसे दावेदार को या अदायगी प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्ति को बांड की एक मुद्रित प्रति नःशुल्क प्रदान करेगा ।

14. मुद्रांक शुल्क- क्षतिपूर्ति बांड पर लगाये जाने वाले किसी मुद्रांक (स्टांप) का मूल्य बांड निष्पादित करने वाले व्यक्ति द्वारा देय होगा ।

15. आदाता (पानेवाला) का पता न लगने पर अपनायी जानेवाली प्रक्रिया

1) भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यालयों में अधिनिर्णित किये गये नोटों के मामले में, जहाँ नोट का मूल्य या मूल्य का भाग दावेदार को देय हो यदि ऐसे दावेदार का पता न लगा या जा सके या उसकी मृत्यु हो गयी हो, उसके वैध उत्तराधिकारी अथवा उसके नामिती का पता नही लगाया जा सके या निर्णय की सूचना दिए जाने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर वह राशि प्राप्त करने के लिए कोई कदम न उठाए तो ऐसी देय राशि बैंक के बैंकिंग विभाग को अदा की जाएगी।

2) निर्दिष्ट बैंक की शाखा अथवा अन्य इकाईयों में, अधिनिर्णित कटे-फटे नोट के मामले में, निर्णय की सूचना दिए जाने की तारीख से तीन माह की अवधि के भीतर यदि प्रस्तुतकर्ता, राशि प्राप्त करने के लिए कोई कदम न उठाए तो ऐसी राशि बैंक के निर्गम कार्यालय में जमा की जाएगी।

भाग III

बैंकों की निर्दिष्ट शाखाओं के स्तर पर कटे-फटे नोटों की प्राप्ति, अधिनिर्णयन, भुगतान और निपटान की क्रियाविधि का ज्ञापन

1. शाखाएं जहाँ सुविधाएं उपलब्ध हैं

जनता के लाभ एवं सुविधा के लिए भारतीय रिजर्व बेंक ने भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 के अनुसार बैंकों की निर्दिष्ट शाखाओं को कटे - फटे नोटों को स्वीकृत करने, बदलने और स्वीकार्य विनिमय मूल्य अदा करने अथवा इन नियमों के अन्तर्गत अदेय कटे-फटे नोटों को अस्वीकृत करने के लिए प्राधिकृत किया है ।

2. किन नोटों को स्वीकृत किया जाये

इस नियमावली के अंतर्गत शाखाएं 1,2,5,10,20,50,100, 500 और 1000 रूपये मूल्यवर्ग के नोटों (और ऐसे अन्य मूल्यवर्ग के नोट जो भविष्य में जारी किय जायें) को विनिमय के लिए स्वीकृत करें ।

साथ ही, जो नोट बहुत ही भंगुर हो गये हैं अथवा बुरी तहर जल गये हैं, एक-दूसरे से चिपक गये हैं और इसलिए उनका और आदान-प्रदान नहीं हो सकता या जो कुछ समय बीतने पर अपनी मौलिक पहचान खो सकते हैं, ऐसे नोट शाखाओं द्वारा स्वीकार नहीं किये जाएगे । ऐसे नोटों के धारकों को सूचित किया जाये कि वे उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक, निर्गम विभाग के प्रभारी अधिकारी, जिनके कार्य क्षेत्र के अन्तर्गत मुद्रा तिजोरी स्थित है, को प्रस्तुत करें, जहाँ विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत ऐसे नोटों की जांच की जायेगी ।

3. नोट किससे स्वीकृत किये जायें

जो भी व्यक्ति अपने कटे-फटे नोट शाखा से बदलना चाहे, शाखाएं उससे निर्बाध रूप से नोट स्वीकार करेंगी । बड़ी संख्या में जनता की सेवा करने के उद्देश्य से, यदि आवश्यक हो ता,ट शाखा किसी एक व्यक्ति द्वारा एक ही बार में प्रस्तुत किये जानेवाले नोटों की उचित संख्या तय कर सकती है । सरकारी विभागों और बैंकों से पारस्परिक सहमति से बडी संख्या में नोट स्वीकार किये जा सकते हैं । शाखाएं इस सम्बन्ध में आवश्यक उपाय करेंगी कि उनके द्वारा प्रदान की जा रही नोट विनिमय की ट सुविधां केवल निजी मुद्रा परिवर्तकों अथवा दोषपूर्ण नोटों के व्यापारियों तक ही सीमित न रह जायें ।

4. नोट किस प्रकार स्वीकृत किये जायें

नोटों को काउंटर पर स्वीकृत किया जाये । नोटों को स्वीकृत करने के पश्चात फार्म डीएन-1 में दर्शाते हुए दो प्रतियों में प्रत्येक मूल्यवर्ग के नोटों की संख्या और उनका मूल्य कागज का टोकन तैयार किया जायें । नोटों को स्वीकृत करने वाला स्टाफ सदस्य /अधिकारी टोकन की दोनों प्रतियों पर नोटों की कुल सख्यां और मूल्य भी लिखेगा और उन पर अपने आद्याक्षर करेगा । टोकन की मूल प्रति प्रस्तुतकर्ता को दी जानी चाहिए । दूसरी प्रति नोटों के साथ लगाई जानी चाहिए और टोकन सहित नोट नियत अधिकारी को अधिनिर्णयन के लिये दे दना चाहिए । संबंधित टोकन को नोटों के साथ सावधानी से लगाया जाना चाहिए, जिससे दूसरे टोकनों के साथ प्रस्तुत नोटों में वे मिल न जायें । यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राप्त करते समय और निर्धारित अधिकारी को भेजते समय नोट क्षतिग्रस्त न हों । कागज के टोकनों पर क्रमसंख्या छपा होनी चाहिए । अस्वीकृत नोटों के बारे में प्रस्तुतकर्ता द्वारा उठाये जा सकने वाले विवाद से बचने के लिये उचित रहेगा कि प्रस्तुत किये गये सभी नोटों पर टोकन संख्या लिख दी जाये । प्रत्येक प्रस्तुति का विविरण एक रजिस्टर (फार्म डी एन-2) मे रखा जाना चाहिये ।

5. नियत अधिकारी - अधिनिर्णयन और भुगतान

नियत अधिकारी वह होता है जिसे निर्दिष्ट शाखा द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमवावली, 2009 के निमय 2 (i) के अनुसार नियमावली के अंतर्गत कटे-फटे नोटों का अधि निर्णयन करने हेतु प्राधिकृत किया गया हो । वह प्रत्येक कटे-फटे नोट के गुण-दोष के आधार पर उसकी जांच करके और पूरी तरह से नियमों के अनुसार ही उनकी देयता का निर्णय करेंगा । नियमों के अन्तर्गत जिन नोटों को वह देय पायेगा, उन पर वह भुगतान की मुहर लगाकर और अपने आद्याक्षर करके अपना " भुगतान" आदेश दर्ज करेगा । इसी प्रकार वह नोट पर लगी दिनांकयुक्त "अस्वीकृत" की मुहर पर अपने आद्याक्षर करके तथा 6(3) 8(1)(ii), 8(2)ii(iii) और स्पष्टिकरण (घ) में हो जाए नियम के अंतर्गत नोट पर दावा अस्वीकार किया गया है उसका उल्लेख करते हुए अपनी अस्वीकृति आदेश दर्ज करेगा । भुगतान आदेश अथवा अस्वीकृति आदेश नोट के सामने के हिस्से पर लगाया जाये, न कि नोट को चिपकाने के लिए प्रयुक्त कागज पर अथवा नोट के पीछे वाले हिस्से पर । नियत अधिकारी नोटों से संलग्न कागज टोकन की दूसरी प्रति पर भी अपने आदेश दर्ज करेगा और फार्म डीएन-3 में अस्वीकृति सूचना तैयार करवायेगा । उसके पश्चात नोट उस पर लगे टोकन सहित दावेदार को भुगतान करने के लिए काउंटर पर भेजे जाने चाहिए ।

नियत अधिकारी, यदि आवश्यक हो तो ठीक से न चिपकाये गये नोटों को निर्णय देने से पहले फिर से चिपकवा लें।

नियत अधिकारी को चाहिए कि वह इस नियमवाली के अंतर्गत प्रवत्त अधिकारों का प्रयोग करते समय आवश्यक सावधनी बरते जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इस नोट वापसी नियमावली के अंतर्गत देय कोई भी नोट अस्वीकृत न हो और जो नोट नियमों के अंतर्गत बदलने योग्य नहीं है, उसे बदला न जाये । यदि बाद में रिजर्व बैंक द्वारा कोई ऐसा नोट पाया जायेगा जो उपर्युक्त नियमावली के अंतर्गत देय नहीं हैं और उसका मूल्य अदा कर दिया गया है, तो बैंक ऐसे प्राधिकृत बैंक से हानि की राशि वसूल कर सकता है । इस संबंध में प्राधिकृत बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक, जिसे नियम बनाने, उसे जारी करने, संशोधित करने, व्याख्या करने और उन्हें लागू करने का अधिकार प्राप्त हैं और जो उपरोक्त नियमावली के उपबंधों के अनुसार अंतिम प्रधिकारी है, का निर्णय मान्य होगा ।

6. भुगतान

नियत अधिकारी से कागज टोकन सहित नोट प्राप्त करने के पश्चात काउंटर स्टाफ इस बात की जेँच करेगा कि सभी नोटों और कागज के टोकन पर भुगतान और अस्वीकृत करने का आदेश दर्ज है । उसके बाद वह प्रस्तुत कर्ता का उन नोटों का मूल्य जिनका विनिमय मूल्य अदा करने का आदेश दिया गया है, उससे मूल टोकन जिसके पीछे प्रस्तुतकर्ता को नाम, पता आदि लिखा होगा, प्राप्त कर अदा करेगा । इसी तरह वह, यदि कोई नोट अस्वीकृत किये गये हों तों, उनकी अस्वीकृति सूचना भी फार्म डीएन-3 में जारी करेगा । उसके बाद वह जिन नोटो का विनिमय मूल्य अदा किया है उन पर सामने की ओर दिनांकयुक्त "अदा किया" की मुहर लगायेगा । अस्वीकृत नोट किसी भी हालत में प्रस्तुत कर्ता को वापस नहीं किये जायेंगे । भुगतान पूरा करने के बाद अदा किये गये और अस्वीकृतनोट अलग-अलग रखे जायें । प्रस्तुतकर्ता द्वारा सौंपा गया मूल टोकन अस्वीकृत नोटों के साथ लगा दिया जाये । यह ध्यान रखा जाये कि जिन नोटों का आधा मूल्य अदा किया गया है, उन्हें अस्वीकृत नोटों के साथ रखा जाये, ताकि यदि प्रस्तुतकर्ता बाद में यह सवाल उठाये कि पूरे मूल्य के बजाय आधा मूल्य क्यों अदा किया गया तो उन नोटों को आसानी से निकाला जा सके । जिन शाखाओं में भारतीय रिजर्व बैंक का करेंसी चेस्ट नहीं है, वहां अदा किये गये और अस्वीकृत नोट शाखा की नकदी शेष राशियों के साथ अलग से रखे जायेगें । किन्तु नोटों की उचित और सुरक्षापूर्ण अभिरक्षा के लिए समग्र रूप से उत्तरदायित्व शाखा प्रबंधक का होगा । यह स्पष्ट समझा जाये कि अदा किये गये और अस्वीकृत दोनों ही प्रकार के नोट बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अपने पास रखने हैं और किसी भी प्रकार से उनका निपटान इस संबंध में रिजर्व बैंक द्वारा, दिये गये निर्देशों के अधीन होगा ।

जिन शाखाओं में करेंसी चेस्ट है, वहां सिर्फ अदा किये गये 2 पाँच सौ रूपयों के गुणकों में और कम से कम एक हजार रूपये करेंसी चेस्ट में जमा किये जायेंगे । किन्तु आधा मूल्य अदा किये गये और अस्वीकृत नोट शाखा की नकदी शेष राशियों के साथ रखे जायेंगे ।

7. अधि - निर्णीत नोटों के लिए लेखा पध्दति

पूरा मूल्य अदा किये गये नोटों को जारी करने अयोग्य नोटों के समान माना जायेगा और जारी करने अयोग्य नोटों को जमा करने की पध्दति को अपनाते हुए मुद्रा तिजोरी शेषों के रूप में रखा जायेगा । इन नोटों को मुद्रा तिजोरी की पर्ची में जारी करने अयोग्य नोटों के रूप में दर्शाया जायेगा । अदा किये गये नोटों को, भारतीय रिजर्व बैंक को भेजे जानेवाले गंदे नोटों से अलग रखा जायेगा और उन्हें अलग बिन में रखा जायेगा । इन नोटों को अलग से पैक किया जायेगा और भारतीय रिजर्व बैंक के निर्गम कार्यालय को गंदे नोटों का विप्रेषण भेजते समय गंदे नोटों के साथ भेजा जायेगा । आधा मूल्य अदा किये गये नोटों और अस्वीकृत नोटों को शाखा की नकदी शेषों के साथ रखा जायेगा और किसी भी स्थिति में उन्हें अदा किये गये नोटों के शेषों के साथ जमा नहीं किया जायेगा ।

8. अधिनिर्णित निर्णीत नोटों का सत्यापन और प्रेक्षण

पूरे मूल्य के लिए अधिनिर्णीत नोटों को गंदे नोटो के विप्रेषणों के साथ भेजा जाये । भारतीय रिजर्व बैंक में ऐसे नोटों का गुणात्मक और मात्रात्मक सत्यापन किया जायेगा । ऐसे नोटों को करेंसी विप्रेषण के रूप में माना जायेगा और तदनुसार इन्हें हिसाब में लिया जायेगा ।

आधा मूल्य अदा किये गये और अस्वीकृत नोटों को अलग से भारतीय रिजर्व बैंक के निर्गम विभाग के दावा अनुभाग में भेजा जाये । इन नोटों को भारतीय रिजर्व बैंक को भेजने के पूर्व निर्दिष्ट अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि नियमावली के पैरा 11 (ख) में निर्धारित तीन महीनों की परिरक्षण अवधि समाप्त हो चुकी हो । डीएन-2 में प्रस्तुतकर्ता के ब्यौरों को, उसे भुगतान करने के लिए सुरक्षित रखना होगा । इसका हिसाब मुद्रा तिजोरी वाली शाखा से प्राप्ति के रूप में रखा जायेगा । इन नोटों की भारतीय रिजर्व बैंक के स्तर पर जाँच की जायेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की अस्वीकृत नोटों में से कोई भी नोट कोई मूल्य अदा करने के लिए देय नहीं है और आधा मूल्य अदा किये गये नोटों मे से कोई भी नोट पूरे मूल्य के लिए देय नहीं है । चूंकि आधा मूल्य अदा किये गये और अस्वीकृत नोटों की आवश्यक परिरक्षण अवधि पहले ही समाप्त हो चूकी होगी अत: भारतीय रिजर्व बैंक के निर्गम विभाग द्वारा ऐसा करना उचित मानते हुए उन्हें नष्ट किया जायेगा ।

9. जाली नोट

कटे-फटे नोटों के अधिनिर्णय के दौरान यदि किसी नोट के जाली होने का शक हो अथवा जाली पाया जाये तो निर्दिष्ट अधिकारी उसे जब्त कर लें और उस पर "जाली नोट जब्त कियां" की मुहर लगाकर अपने आद्याक्षर करें और जाली नोटों के संबंध में निर्धारित प्रक्रिया अपनायी जाये । जाली नोटों का पता लगाने संबंधी सुलभ संदर्भ हेतु वास्तविक नोटों के प्रमुख तत्व अनुंबंध में बतालाये गये हैं ।

10. विविध

  1. निर्दिष्ट अधिकारी केवल विकृत या कटे-फटे नोटों की ही जांच करेंगे और अधिनिर्णय देंगे । गंदे नोंटों को (जिसमें समस्तर अथवा ऊर्ध्वावार मध्य या मध्य के निकट कटाईवाले दो टुकडे का नोट शामिल है) निर्बाध रूप से स्वीकृत किया जायेगा और मुद्रा तिजोरीवाली शाखा सहित सभी शाखाओं के स्तर पर बदला जायेगा ।

  2. जहाँ तक संभव हो, कम से कम समय में नोट बदलकर मूल्य अदा करने का प्रयास किया जाना चाहिए, किन्तु हर हालत में उसी दिन उसका भुगतान कर दिया जाये । बैंकिग पध्दति को सुविधाजनक बनाने के लिए विनिमय मूल्य को इसीएस के माध्यम से खाते में जमा किया जाए या बैंकर चेक अथवा भुगतान आदेश के रूप में अदा किया जाए ।

  3. निर्दिष्ट अधिकारी पूरी सावधानी से प्रस्तुत नोटों की जांच करें । यदि कोई नोट संदिग्ध अथवा बनाया हुआ लगता हो, तो ऐसे नोटों की जांच टेबल लेंप की रोशनी में की जाये ताकि नोट के एक अविभाजित बड़े टुकडे का पता लगाया जा सके जो वर्तमान में नोटों के विनिमय का मूल मानदंड है ।

  4. निर्दिष्ट अधिकारी अपना भुगतान आदेश लाल स्याही से रिकार्ड करें और उस पर "अदा करें" की मुहर तुरंत लगाने की व्यवस्था करें । “अदा करें" की मुहर उसे अपनी ही अभिरक्षा में रखनी चाहिए, ताकि उसका गलत उपयोग न हो ।

  5. दोषपूर्ण नोटों की अदायगी अथवा अन्य प्रकार के विचार व्यक्त करने अथवा सलाह देने के अनुरोध पर विचार नहीं किया जाये ।

  6. बदलने के लिए प्रस्तुत किये नये नोटों के निरीक्षण अथवा वापस करने अथवा कोई अन्य प्रासंगिक जानकारी मांगने के अनुरोध पर कोई विचार नहीं किया जाना चाहिए ।

11. निर्दिष्ट अधिकारी के लिए सहायक साधन

नियत अधिकारियों को निम्नलिखित सहायक साधन उपलब्ध कराये जाने चाहिए, ताकि वे दोषपूर्ण नोटों का निपटान और अच्छी तरह कर सकें -

(क) मध्यम रोशनीवाला टेबल लैंप

(ख) आवर्धक कांच

(ग) नापने की सेंटीमीटर वाली प्लेट (प्लास्टिक की)

(घ) विभिन्न डिजाइन के सभी मूल्यवर्ग के वास्तविक नोटों का सेट (संदेह होने की स्थिति में मिलान करने के लिए)

12. नोटिस बोर्ड पर सूचना

शाखा प्रबंधक जनता की जानकारी के लिए हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में निम्नलिखित बोर्ड शाखा परिसर के बाहर लगवाने की व्यवस्था करे ।

"कटे-फटे नोट यहां लिये और बदले जाते हैं ।"
बैंकिग हॉल के अंदर और उस काउंटर के ऊपर जहां कटे-फटे नोट स्वीकार किये जाते हैं, निम्नलिखित बोर्ड लगाया जाये -

  1. भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली के अंतर्गत कटे-फटे नोट बदलने के लिए यहां स्वीकार किये जाते हैं ।

  2. विनिमय मूल्य, यदि कोई हो, उसी दिन अवश्य प्राप्त कर लिये जाये ।

  3. जिन नोटों का विनिमय देय नहीं हैं, वे हमारे पास ही रहेंगे ।

  4. किसी प्रकार की कठिनाई के स्थिति में शाखा प्रबंधक से मिलें ।

भाग V

अनुबंध – II

भारतीय बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताएं

वाटरमार्क

महात्मा गांधी शृंखला के बैंक नोटों में, वाटरमार्क विंडो के अंतर्गत प्रकाश और छाया के आभास वाली बहुदिशात्मक रेखाओं के साथ महात्मा गांधी का जलचिन्ह है |

सुरक्षा धागा

अक्तूबर 2000 में जारी 1000 रुपये के नोटों में विंडो के भीतर एक पठनीय सुरक्षा धागा है जिसके अग्रभाग पर भारत (हिन्दी में), और 1000 तथा RBI लिखे हुए शब्दों और अंकन के साथ पृष्ट भाग पर पूरी तरह से गुंथे हुए रूप में बारी से देखा जा सकता है | 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों में समान दृष्टिगोचर विशेषताओं वाला और हिंदी में भारत लिखा हुआ सुरक्षा धागा है | नोट को रोशनी के सामने रखने पर 1000 रुपये, 500 रुपये और 100 रुपये के बैंक नोटों में, इस धागे को एक सतत रेखा के रूप में देखा जा सकता है | 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये के बैंक नोटों में सुरक्षा धागा पठनीय और पूरी तरह से गुंथा हुआ है जिस पर भारत (हिंदी में) और RBI लिखा हुआ है | यह सुरक्षा धागा महात्मा गांधी चित्र के बांयी ओर दिखाई देता है | महात्मा गांधी शृंखला के नोटों को जारी करने के पूर्व, पहले जारी किये गये नोटों में एक सादा, पूरी तरह से गुंथा हुआ अपठनीय सुरक्षा धागा है |

गुप्त चित्र

1000 रुपये, 500 रुपये, 100 रुपये, 50 रुपये और 20 रुपये नोटों के अग्र भाग पर महात्मा गांधी के चित्र के दायें ओर एक खड़ी पट्टी है जिसमें एक छिपा चित्र है जो संबंधित मूल्यवर्गीय अंक दर्शाता है | नोट को आँख की सीध में रखने पर ही छिपा हुआ चित्र देखा जा सकता है |

माइक्रोलेटरिंग

महात्मा गांधी के चित्र और खडी पट्टी के बीच यह विशेषता दिखायी देती है | 5 रुपये, 10 रुपये के बैंक नोटों में “RBI” शब्द लिखे है | 20 रुपये और उससे अधिक मूल्यवर्ग के नोटों में माइक्रोलेटर्स में मूल्यवर्गीय अंक छपे है | यह विशेषता मैग्निफाइंग ग्लास की मदद से देखी जा सकती है |

इंटेग्लिओ प्रिंटिंग (उभारदार मुद्रण)

महात्मा गांधी का चित्र, रिजर्व बैंक की सील, गारंटी और वचन खण्ड, बायीं ओर अशोक स्तंभ, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर इंटैग्लिओ प्रिंट में अर्थात उभारदार मुद्रण में मुद्रित हैं जिसे 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों में, छूकर महसूस किया जा सकता है |

पहचान चिन्ह

10 रुपये के बैंक नोट को छोड़कर अन्य सभी बैंक नोटों में वाटर मार्क विंडो की बायी ओर इंटैग्लिओ मे एक विशेष विशेषता डाली गयी है | यह विशेषता विभिन्न मूल्यवर्ग के लिए अलग-अलग आकार में है जैसे कि 20 रुपये के नोट में आयताकार, 50 रुपये के नोट में वृत्ताकार, 100 रुपये के नोट में त्रिभूज, 500 रुपये के नोट में वृत्त और 1000 रुपये के नोट में हीरे का आकार है और यह दृष्टिहीन व्यक्तियों को नोटों का मूल्यवर्ग की पहचान करने में मदद करती है |

प्रकाश परावर्तन (फ़्लोरोसेंस)

बैंक नोटों के नंबर पैनल फ़्लोरोसेंट स्याही से मुद्रित किये गये हैं | बैंक नोटों में प्रकाश परावर्तक रेशे डाले गये हैं | पराबैंगनी प्रकाश में, बैंक नोटों को रखने पर ये दोनों विशेषताएं दिखाई देती है |

रंग बदलनेवाली स्याही

यह एक नयी सुरक्षा विशेषता है जिसे 500 रुपये और 1000 रुपये के बैंक नोटों में डाला गया है, जिसे संशोधित रंग योजना के अधीन नवंबर 2000 में शुरू किया गया | 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों के अग्रभाग पर उनके मूल्यवर्गीय अंक 500 और 1000, प्रकाशीय रंग परिवर्तक स्याही अर्थात रंग बदलनेवाली स्याही में मुद्रित हैं | नोट को समतल रूप में पकड़ने पर 500/1000 अंक का रंग हरा दिखाई देता है लेकिन जब नोट को तिरछा कर दिया जाता है तो ये बदलकर नीला हो जाता है |

आरपार मिलान मुद्रण (सीथ्रु रजिस्टर)

वाटरमार्क के सटीक खड़ी पट्टी के मध्य में, नोट के दोनों अग्र (खाली) और पिछले (भरा हुआ) भाग पर मुद्रित पुष्पाकृति छोटा डिज़ाइन है जो दोनों ओर से एक लगता है और इसे रोशनी के सामने देखने पर डिज़ाइन एक रूप हुई दिखती है |

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