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एकीकृत लोकपाल योजना - बैनर

एकीकृत लोकपाल योजना - द्वितीयक मार्गदर्शन

रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना, 2021

रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना, 2021

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 35 (क), भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1949 (1949 का 2) की धारा 45 (ठ) और भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का 51) की धारा 18 और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (2005 का 30)1 के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के संबंध में ग्राहकों की शिकायतों का त्वरित और किफायती तरीके से निवारण करने हेतु योजना |

 

एकीकृत लोकपाल योजना - अध्याय I

अध्याय ।

प्रारंभिक

1. संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, विस्तार और प्रयोज्यता

  • (1) यह योजना रिज़र्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना 2021 कहलाएगी।
  • (2) यह योजना भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट तारीख से लागू होगी।
  • (3) इसका विस्तार संपूर्ण भारत में होगा।
  • (4) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 एवं भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007, और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (2005 का 30 )2 के तहत विनियमित संस्था द्वारा अपने ग्राहकों को भारत में दी जाने वाली सेवाओं पर यह योजना लागू होगी।
 

2. योजना का स्थगन

  • (1) यदि भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि सामान्यतया अथवा किसी विशेष विनियमित संस्था के मामले में इस योजना के किसी अथवा सभी प्रावधानों का परिचालन स्थगित रखना समीचीन है, तो वह एक आदेश द्वारा उक्त आदेश में उल्लिखित अवधि के लिए ऐसा कर सकता है।
  • (2) भारतीय रिज़र्व बैंक, समय-समय पर आदेश के माध्यम से ऊपर निर्दिष्ट किसी स्थगन अवधि को जितना उचित समझे बढ़ा सकता है।
 

3. परिभाषाएं

  • (1) योजना में, जब तक कि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो:
    • (क) “अपीलीय प्राधिकारी" से आशय, योजना का कार्यान्वयन करनेवाले रिज़र्व बैंक के विभाग का प्रभारी कार्यपालक निदेशक;
    • (ख) “अपीलीय प्राधिकरी सचिवालय" से आशय है, इस योजना का कार्यान्वयन करने वाला रिज़र्व बैंक का विभाग;
    • (ग) “प्राधिकृत प्रतिनिधि” से आशय एक अधिवक्ता के अलावा अन्य व्यक्ति, जिसे लोकपाल के समक्ष कार्यवाही हेतु शिकायतकर्ता के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित होने के लिए लिखित रूप से विधिवत नियुक्त और प्राधिकृत किया गया हो से है;
    • (घ) "अधिनिर्णय' से आशय है, लोकपाल द्वारा इस योजना के अनुसार पारित एक अधिनिर्णय;
    • (ङ) "बैंक" का अर्थ बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 द्वारा परिभाषित बैंकिंग कंपनी, ' संबंधित नया बैंक', 'क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक', 'भारतीय स्टेट बैंक' और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 149 की धारा 56 (ग) में परिभाषित 'सहकारी बैंक' उस सीमा तक जिसे योजना के तहत बाहर नहीं किया गया है, शामिल है लेकिन इसमें संकल्प या समापन या निदेशों के तहत बैंक या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट अन्य कोई बैंक शामिल नहीं है;
    • (च) "शिकायत" का अर्थ, लिखित या अन्य किसी माध्यम से प्राप्त अभ्यावेदन, जिसमें विनियमित संस्था की ओर से सेवा में हुई कमी से संबंधित आरोप हों और योजना के तह उसका समाधान मांगा गया हो।
    • (चच) "प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी" का अर्थ कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) में परिभाषित कंपनी है और इसे प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (2005 का 30) की धारा 5 की उप-धारा (2) के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।
    • (छ) "सेवा में कमी" का अर्थ विनियमित संस्था से वैधानिक रूप से या अन्यथा प्रदान करने के लिए अपेक्षित किसी भी वित्तीय उत्पाद/सेवा/ सूचना में कमी या अपर्याप्तता से है, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहक को वित्तीय नुकसान या क्षति हो सकती है या नहीं भी हो सकती है;
    • (ज) "उप लोकपाल' से आशय उस व्यक्ति से है जिसे इस योजना के अंतर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा उप लोकपाल के रूप में नियुक्त किया गया हो।
    • (झ) "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी)" का अर्थ है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झ (च) में परिभाषित और रिज़र्व बैंक में पंजीकृत एनबीएफसी, उस सीमा तक जिसे योजना के तहत विशेष रूप से बाहर नहीं रखा गया है, लेकिन इसमें मूल निवेश कंपनी (सीआईसी), इन्फ्रास्ट्रक्चर ऋण निधि - गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (आईडीएफ- एनबीएफसी), गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था - इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी- आईएफसी), कंपनी जो संकल्प या समापन / परिसमापन या भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के तहत है या और कोई एनबीएफसी जिसे रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट किया गया हैं, शामिल नहीं है:
      स्पष्टीकरण- सीआईसी और आईडीएफ एनबीएफसी का वही अर्थ होगा जो रिज़र्व बैंक के निदेशों के तहत निर्धारित किया गया है।
    • (ञ) "विनियमित संस्था" से आशय है, योजना के तहत परिभाषित बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी या प्रणाली प्रतिभागी या प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी या रिज़र्व बैंक द्वारा समय- समय पर निर्धारित कोई अन्य संस्था, जिसे योजना के तहत विशेष रूप से बाहर नहीं रखा गया है:
    • (ट) “समझौता” से आशय उस करार से है, जिस पर इस योजना के प्रावधानों के तहत शिकायत के पक्षकारों के बीच सुविधा या सुलह या मध्यस्थता के कारण सहमति हुई हो।
    • (ठ) “प्रणाली प्रतिभागी” का अर्थ है भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत परिभाषित भुगतान प्रणाली में भाग लेने वाले रिज़र्व बैंक और प्रणाली प्रदाता के अलावा कोई अन्य व्यक्ति ।
    • (ड) "प्रणाली प्रदाता" का अर्थ और इसमें शामिल है, वह व्यक्ति जो भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 2 के तहत परिभाषित प्राधिकृत भुगतान प्रणाली संचालित करता है:
    • (ढ) “रिज़र्व बैंक” से आशय भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 3 के तहत गठित भारतीय रिज़र्व बैंक से है।
  • (2) इस योजना में प्रयुक्त लेकिन अपरिभाषित शब्दों एवं अभिव्यक्तियों जिनकी परिभाषा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में, या बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 में, या भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 में या प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियम) अधिनियम, 20057 या उक्त अधिनियमों में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विनियमों, दिशानिर्देशों और निदेशों में दी गई है का वही अर्थ होगा जो क्रमशः उन्हें प्रदत्त किया गया है।
 

1 अधिसूचना उशिसंवि.निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा सम्मिलित
2 अधिसूचना उशिसंवि.निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा सम्मिलित
3 अधिसूचना उशिसंवि.निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा सम्मिलित
4 अधिसूचना उशिसंवि.निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा प्रतिस्थापित
5 अधिसूचना उशिसंवि.निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा सम्मिलित
6 अधिसूचना उशिसंवि.निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा सम्मिलित
7 अधिसूचना उशिसंवि.निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा सम्मिलित

एकीकृत लोकपाल योजना - अध्याय II

अध्याय II

रिज़र्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना 2021 के तहत कार्यालय

4. लोकपाल और उप लोकपाल की नियुक्ति और कार्यकाल

  • (1) योजना के तहत सौंपे गए कार्यों को करने के लिए रिज़र्व बैंक अपने एक या अधिक अधिकारियों को लोकपाल और उप लोकपाल के रूप में नियुक्त कर सकता है।
  • (2) लोकपाल या उप लोकपाल की नियुक्ति, जैसा भी मामला हो, एक बार में तीन वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नहीं की जाएगी।
 

5. लोकपाल के कार्यालय का स्थान

  • (1) लोकपाल के कार्यालय रिज़र्व बैंक द्वारा यथा-विनिर्दिष्ट स्थानों पर रहेंगे।
  • (2) शिकायतों के शीघ्र निपटान के लिए, लोकपाल ऐसे स्थानों पर और इस तरह से बैठक आयोजित कर सकता है जो किसी शिकायत के संबंध में आवश्यक एवं उचित समझे।
 

6. केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना

  • (1) योजना के अधीन दर्ज की गई शिकायतों की प्राप्ति एवं प्रसंस्करण के लिए रिज़र्व बैंक किसी भी स्थान पर जैसा कि उसके द्वारा तय किया जा सकता है, केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करेगा।
  • (2) योजना के तहत ऑनलाइन दर्ज की जानेवाली शिकायतें पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) पर पंजीकृत की जाएगी। इलेक्टॉनिक माध्यम से (ई-मेल) और डाक एवं दस्ती सुपुर्दगी सहित भौतिक रूप में प्राप्त शिकायतों को जांच और प्रारंभिक प्रसंस्करण के लिए उस स्थान पर भेजा जाएगा जहां रिज़र्व बैंक का केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया गया है।
    बशर्ते कि रिज़र्व बैंक के किसी भी कार्यालय में सीधे प्राप्त होने वाली शिकायतों को आगे की कार्रवाई के लिए केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र को अग्रेषित किया जाएगा।
 

7. लोकपाल के कार्यालय और केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र में स्टाफ की तैनाती

रिज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि लोकपाल के कार्यालयों और केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र में पर्याप्त स्टाफ की तैनाती हो और इसका खर्च वहन करेगा।

एकीकृत लोकपाल योजना - अध्याय III

अध्याय III

लोकपाल की शक्तियां और कर्तव्य

8. शक्तियां और कर्तव्य

  • (1) विनियमित संस्थाओं के ग्राहकों की सेवा में कमी से संबंधित शिकायतों पर लोकपाल / उप लोकपाल विचार करेगा ।
  • (2) लोकपाल द्वारा विचारणीय शिकायत जिस पर लोकपाल अधिनिर्णय पारित कर सकता है, की राशि पर कोई सीमा नहीं है। हालांकि, परिणाम स्वरूप शिकायतकर्ता को हुई किसी भी हानि के लिए लोकपाल 20 लाख रुपये तक की क्षतिपूर्ति का आदेश दे सकता है। इसके अलावा शिकायतकर्ता के समय की हानि, किए गए व्यय और शिकायतकर्ता द्वारा सहन किए गए उत्पीड़न / मानसिक पीड़ा के एवज में एक लाख रुपये तक देने का आदेश दे सकता है।
  • (3) जबकि लोकपाल के पास सभी शिकायतों को संबोधित करने और बंद करने की शक्ति होगी, उप लोकपाल के पास योजना के खंड 10 के तहत आने वाली शिकायतों को बंद करने और योजना के खंड 14 के तहत बताए गए अनुसार सुविधा के माध्यम से निपटाई गई शिकायतों को बंद करने की शक्ति होगी।
  • (4) लोकपाल, प्रत्येक वर्ष 31 मार्च की स्थिति के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर को एक रिपोर्ट भेजेगा जिसमें पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान कार्यालय की गतिविधियों की सामान्य समीक्षा के अतिरिक्त रिज़र्व बैंक द्वारा यथा - निर्दिष्ट अन्य जानकारी भी रहेगी।
  • (5) यदि यदि रिज़र्व बैंक जनहित में ऐसा करना आवश्यक समझता है, तो रिपोर्ट और लोकपाल से प्राप्त जानकारी को ऐसे समेकित रूप में या अन्यथा प्रकाशित कर सकता है, जो वह उचित समझे।

एकीकृत लोकपाल योजना - अध्याय IV

अध्याय IV

योजना के तहत शिकायत निवारण की प्रक्रिया
  • 9. शिकायत के आधार

    किसी विनियमित संस्था के कार्य या चूक के परिणामस्वरूप सेवा में कमी से व्यथित कोई भी ग्राह योजना के तहत व्यक्तिगत रूप से या खंड 3 (1) (ग) के तहत परिभाषित एक प्राधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकता है।

 

10. अस्वीकार्य शिकायतों के लिए आधार

  • (1) निम्नलिखित मामलों में सेवा में कमी की शिकायतें इस योजना के अंतर्गत नहीं होगी:
    • (क) विनियमित संस्था का वाणिज्यिक मूल्यांकन/ निर्णय;
    • (ख) आउटसोर्सिंग संविदा से संबंधित विक्रेता और विनियमित संस्था के बीच विवाद:
    • (ग) ऐसी शिकायत जो सीधे लोकपाल को संबोधित न हो;
    • (घ) किसी विनियमित संस्था के प्रबंधन या अधिकारियों के विरुद्ध सामान्य शिकायतें;
    • (ङ) विवाद जिसमें वैधानिक या विधि द्वारा प्रवर्तित प्राधिकरण के आदेशों के अनुपालन में विनियमित संस्था द्वारा कार्रवाई शुरू की गई है;
    • (च) सेवा जो रिज़र्व बैंक के विनियामकीय दायरे में नहीं है;
    • (छ) विनियमित संस्थाओं के बीच के विवाद और
    • (ज) किसी विनियमित संस्था के कर्मचारी- नियोक्ता संबंध से संबंधित विवाद;
    • (झ)8 विवाद जिसके लिए प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की (झ) 8 धारा 18 में उपचार प्रदान किया गया है; और
    • (ञ)9 विनियमित इकाई जो योजना के अंतर्गत शामिल नहीं है, के ग्राहकों से संबंधित विवाद।

  • (2) शिकायत को योजना के दायरे में तब तक नहीं माना जाएगा जब तक:
    • (क) योजना के तहत शिकायत दर्ज करने से पहले, शिकायतकर्ता ने विनियमित संस्था को लिखित शिकायत प्रस्तुत की हो और
      • (i) विनियमित संस्था द्वारा शिकायत को पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से खारिज किया है। और शिकायतकर्ता उत्तर से संतुष्ट नहीं है; या विनियमित संस्था द्वारा शिकायत प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को उससे उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है; और
      • (ii) शिकायतकर्ता को विनियमित संस्था से शिकायत का उत्तर प्राप्त होने के एक वर्ष के भीतर या, जहां उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है तो शिकायत की तारीख से एक वर्ष और 30 दिन के भीतर लोकपाल के पास शिकायत दर्ज की जाती है।
    • (ख) शिकायत उसी कारण से संबंधित न हो जो पहले से ही-
      • (i) लोकपाल के पास लंबित हो या लोकपाल द्वारा उसके गुणागुण के आधार पर कार्रवाई की गई हो, चाहे वह एक ही शिकायतकर्ता से या एक या अधिक शिकायतकर्ताओं से संयुक्त रूप से या एक या अधिक संबंधित पक्षों से प्राप्त हुई हो या नहीं;
      • (ii) किसी न्यायालय, अधिकरण या मध्यस्थ या अन्य किसी मंच या प्राधिकरण के पास लंबित है या निपटाई गई या उसके गुणागुण पर किसी न्यायालय, अधिकरण या मध्यस्थ या अन्य किसी मंच या प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई की गई है, चाहे वह एक ही शिकायतकर्ता से या एक या अधिक शिकायतकर्ताओं के साथ, या एक या अधिक संबंधित पक्षों से प्राप्त हुई हो या नहीं;
    • (ग) शिकायत अपमानजनक / तुच्छ / परेशान करने वाली न हो
    • (घ) परिसीमा अधिनियम, 1963 के अनुसार निर्धारित अवधि की सीमा समाप्ति से पूर्व विनियमित संस्था के पास ऐसे दावों के लिए शिकायत दर्ज की गई हो;
    • (ङ) शिकायतकर्ता योजना के खंड 11 में निर्दिष्ट पूरी जानकारी प्रदान करता है;
    • (च) शिकायतकर्ता द्वारा व्यक्तिगत रूप से या किसी अधिवक्ता के अलावा किसी प्राधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई जाती है, जब तक कि अधिवक्ता व्यथित व्यक्ति न हो।
    स्पष्टीकरण 1: उप खंड (2) (क) के प्रयोजन के लिए, 'लिखित शिकायत में अन्य तरीकों के माध्यम से की गई शिकायतें शामिल होंगी जहां शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत किए जाने का सबूत पेश किया जा सकता है।
    स्पष्टीकरण 2: उप-खंड (2) (ख) (ii) के प्रयोजन के लिए शिकायत एक ही कारण से संबंधित होने के संबंध में किसी न्यायालय या अधिकरण के समक्ष लंबित या तय की गई आपराधिक कार्यवाही या किसी आपराधिक अपराध में शुरू की गई कोई पुलिस जांच शामिल नहीं है।
     

    11. शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

    • (1) इस प्रयोजन हेतु बनाए गए पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) के द्वारा ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।
    • (2) शिकायत को इलेक्ट्रॉनिक या भौतिक माध्यम से रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र में भी प्रस्तुत किया जा सकता है। शिकायत यदि भौतिक रूप में प्रस्तुत की जाती है। तो शिकायतकर्ता या प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा उसे विधिवत हस्ताक्षरित किया जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक या भौतिक रूप में प्रस्तुत शिकायत, रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित प्रारूप में होनी चाहिए और इसमें रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट सूचना उपलब्ध होनी चाहिए।
     

    12. शिकायतों की प्रारंभिक जांच

    • (1) सुझाव देने या मार्गदर्शन या स्पष्टीकरण मांगने की प्रकृति की शिकायतों को, योजना के तहत वैध शिकायत नहीं माना जाएगा और शिकायतकर्ता को उपयुक्त रूप से सूचित करते हुए तदनुसार बंद कर दी जायेगी।
    • (2) खंड 10 के तहत अस्वीकार्य शिकायतों को छाँटने के पश्चात, शिकायतकर्ता को उस संबंध में उपयुक्त रूप से सूचित किया जाएगा।
    • (3) शेष शिकायतों को आगे की जांच हेतु लोकपाल के कार्यालयों को सौंपा जाएगा और उसकी सूचना शिकायतकर्ता को दी जाएगी। शिकायत की एक प्रति उस विनियमित संस्था को भी उसका लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निदेश के साथ भेजी जाएगी, जिसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है।
     

    13. जानकारी मांगने का अधिकार

    • (1) इस योजना के अंतर्गत अपने कर्तव्यों के निर्वहन हेतु लोकपाल, शिकायत में उल्लिखित विनियमित संस्था अथवा किसी भी अन्य विनियमित संस्था जो विवाद का एक पक्षकार हो, से शिकायत के विषय से संबंधित कोई जानकारी देने या तत्संबधी दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रतियां, जो कि उसके पास हो या उसके पास होने का आरोप हो, की मांग कर सकता है।
      बशर्ते कि किसी अपेक्षा को पूरा करने में, बिना पर्याप्त कारण के विनियमित संस्था के असफल होने पर, लोकपाल यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि विनियमित संस्था के पास प्रस्तुत करने के लिए कोई सूचना नहीं है।
    • (2) लोकपाल अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान जानकारी में आनेवाली किसी भी सूचना अथवा कब्जे में आए दस्तावेज़ों के बारे में गोपनीयता बनाए रखेगा तथा कानून द्वारा अन्यथा अपेक्षित या ऐसी जानकारी या दस्तावेज प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति की सहमति के अलावा किसी भी व्यक्ति को ऐसी जानकारी या दस्तावेजों का खुलासा नहीं करेगा। ऐसी

      बशर्ते कि इस उप-खंड में कुछ भी लोकपाल को कार्यवाही के पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी या दस्तावेजों को उसके द्वारा उचित समझी गई सीमा तक नैसर्गिक न्याय एवं निष्पक्षता की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक-दूसरे के सामने प्रकट करने से नहीं रोकेगा,

      यह उपखंड लोकपाल द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को या किसी न्यायालय, मंच या प्राधिकरण के समक्ष प्रकटीकरण या सूचना प्रस्तुत करने के संबंध में लागू नहीं है।
     

    14. शिकायतों का निपटान

    • (1) लोकपाल/ उप लोकपाल शिकायतकर्ता और विनियमित संस्था के बीच सुविधा या सुलह या मध्यस्थता के माध्यम से समझौता द्वारा शिकायत के निपटारे को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।
    • (2) लोकपाल के समक्ष कार्यवाही संक्षिप्त प्रकृति की होगी और साक्ष्य के किसी भी नियम से बाध्य नहीं होगी। लोकपाल शिकायत के किसी भी पक्ष की जांच कर सकता है और उनका बयान दर्ज कर सकता है।
    • (3) शिकायत प्राप्त होने पर उसके समाधान के लिए लोकपाल के समक्ष, विनियमित संस्था शिकायत में दिए गए कथनों के जवाब में अपना पक्ष लिखित में उन दस्तावेजों की प्रतियों, जिनको जवाब देते समय आधार बनाया गया है, संलग्न करते हुए 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करेगी ।
      तथापि विनियमित संस्था के लिखित अनुरोध द्वारा संतुष्ट होने पर उसे अपना लिखित प्रतिवेदन और दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए प्रदत्त अवधि को लोकपाल बढ़ा सकता है।
    • (4) अगर विनियमित संस्था द्वारा उप-खंड (3) में निर्धारित समय-सीमा के भीतर लिखित जवाब और दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करने में चूक हुई या विफल हुई तो, अभिलेख में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर लोकपाल एकपक्षीय कार्यवाही कर सकता है और उचित आदेश जारी कर सकता है या अधिनिर्णय पारित कर सकता है। निर्धारित समय-सीमा के भीतर जानकारी या जवाब न देने के कारण जारी किए गए अधिनिर्णय के संबंध में विनियमित संस्था को अपील करने का अधिकार नहीं होगा।
    • (5) लोकपाल / उप लोकपाल किसी एक पक्ष द्वारा दायर किए गए लिखित संस्करण या उत्तर या दस्तावेज, जिस सीमा तक प्रासंगिक और शिकायत से संबंधित हैं, दूसरे पक्ष को प्रस्तुत करेगा और यथोचित प्रक्रिया का पालन करेगा और यथोचित अतिरिक्त समय प्रदान करेगा।
    • (6) यदि शिकायत का समाधान सुविधा के माध्यम से नहीं होता है तो, सुलह या मध्यस्था द्वारा शिकायत निवारण के लिए विनियमित संस्था के अधिकारियों के साथ शिकायतकर्ता की बैठक सहित यथोचित कार्रवाई की जा सकती है।
    • (7) शिकायत के पक्षकार लोकपाल / उप लोकपाल के साथ विवाद के समाधान के लिए सद्भाव से सहयोग करेंगे, तथा साक्ष्य और अन्य संबंधित दस्तावेजों को प्रदत्त समय सीमा के भीतर लोकपाल के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
    • (8) यदि पक्षकार एक सौहार्दपूर्ण समझौता द्वारा शिकायत के समाधान पर राजी हो जाते हैं तो वह राजीनामा लिपिबद्ध किया जाएगा व पक्षकारों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा। तत्पश्चात इस समझौते का तथ्य रिकार्ड किया जाएगा तथा निपटारे की शर्तों का अनुपालन निर्धारित अवधि के दौरान करने के लिए पक्षकारों को निदेशित किया जाएगा।
    • (9) शिकायत का समाधान तब माना जाएगा जब:when:
      • (क) लोकपाल के हस्तक्षेप पर शिकायतकर्ता के साथ विनियमित संस्था द्वारा इसका निपटान किया गया है; या
      • (ख) शिकायतकर्ता ने लिखित रूप में या अन्यथा (जिसे रिकॉर्ड किया जा सकता है) सहमति व्यक्त की है कि शिकायत के समाधान का तरीका और स्तर संतोषजनक है; या
      • (c) शिकायतकर्ता ने स्वेच्छा से शिकायत वापस ले ली है।
     

    15. लोकपाल द्वारा अधिनिर्णय

    • (1) यदि खंड 16 के तहत शिकायत को खारिज नहीं किया जाता है तो, लोकपाल निम्नलिखित स्थिति में अधिनिर्णय पारित कर सकता है:
      • (क) खंड 14(4) में निर्धारित किए गए अनुसार दस्तावेज़ों / सूचनाओं को प्रस्तुत न किया हो; या
      • (ख) मामले के संबंध में प्रस्तुत अभिलेखों के आधार पर और दोनों पक्षों को सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करने के बाद खंड 14(9) के तहत मामला हल नहीं हो रहा है।
    • (2) तर्कयुक्त अधिनिर्णय पारित करने से पूर्व लोकपाल बैंकिंग विधि और कार्यप्रणाली, रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों, अनुदेशों और दिशानिर्देशों एवं प्रासंगिक अन्य कारकों को भी ध्यान में रखेगा।
    • (3) अधिनिर्णय में अन्य बातों के साथ-साथ, विनियमित संस्था को दिए गए निदेश में, यदि कोई हो, उसके उत्तर दायित्वों के विशिष्ट निष्पादन के लिए तथा उसके अतिरिक्त या अन्यथा शिकायतकर्ता को हुई हानि के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में विनियमित संस्था द्वारा दी जाने वाली राशि भी शामिल होगी।
    • (4) उप-खंड (3) में किसी भी प्रकार का उल्लेख होने के बावजूद, लोकपाल के पास परिणाम स्वरूप शिकायतकर्ता को हुई वास्तविक हानि या 20 लाख रुपए, जो भी कम हो, से अधिक क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए निदेश देते हुए अधिनिर्णय पारित करने की शक्ति नहीं होगी। लोकपाल द्वारा अधिनिर्णय में दी गई क्षतिपूर्ति, विवादित राशि से अतिरिक्त होगी।
    • (5) लोकपाल शिकायतकर्ता के समय के नुकसान, खर्च, उत्पीड़न और शिकायतकर्ता को होने वाली मानसिक पीड़ा को ध्यान में रखते हुए शिकायतकर्ता को अधिकतम एक लाख रुपए तक की क्षतिपूर्ति के लिए अधिनिर्णय पारित कर सकता है।
    • (6) अधिनिर्णय की एक-एक प्रति शिकायतकर्ता और विनियमित संस्था को प्रेषित की जाएगी।
    • (7) अधिनिर्णय की प्रति प्राप्त होने के 30 दिन की अवधि के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा मामले के पूर्ण और अंतिम निपटान के दावे के संबंध में अधिनिर्णय का स्वीकृति पत्र संबंधित विनियमित संस्था को नहीं दिया जाता है तो, उप-खंड (1) के तहत पारित अधिनिर्णय समाप्त तथा प्रभाव रहित होगा ।

      बशर्ते कि शिकायतकर्ता ने खंड 17 के उप-खंड (3) के तहत अपील की हो, तो उसे ऐसी कोई स्वीकृति प्रस्तुत नहीं करनी होगी।

    • (8) यदि उसने खंड 17 के उप-खंड (2) के तहत अपील नहीं की है तो शिकायतकर्ता से स्वीकृति पत्र प्राप्त होने की तारीख से 30 दिन के भीतर विनियमित संस्था अधिनिर्णय का अनुपालन करेगी और लोकपाल को अनुपालन की सूचना देगी ।
     

    16. शिकायत अस्वीकार करना

    • (1) उप लोकपाल या लोकपाल शिकायत को किसी भी चरण में अस्वीकार कर सकता है, यदि उसे ऐसा प्रतीत होता है कि शिकायत:
      • (क) खंड 10 के तहत अस्वीकार्य है; या
      • (ख) शिकायत, सुझाव देने या मार्गदर्शन या स्पष्टीकरण मांगने की प्रकृति की है
    • (2) लोकपाल शिकायत को किसी भी चरण में अस्वीकार कर सकता है, यदिः
      • (क) उसकी राय में सेवा में कोई कमी नहीं है; या
      • (ख) खंड 8(2) दर्शाए गए के अनुसार परिणाम स्वरूपी हानी के लिए मांगी गई क्षतिपूर्ति, लोकपाल की क्षतिपूर्ति देने के अधिकार से परे हैं; या
      • (ग) शिकायतकर्ता द्वारा उचित तत्परता के साथ आगे की कार्रवाई नहीं की है; या
      • (घ) शिकायत उचित कारण के बिना हो; या
      • (ङ) शिकायत के लिए विस्तृत दस्तावेज़ी और मौखिक साक्ष्य पर विचार करने की आवश्यकता है और लोकपाल के समक्ष की कार्यवाही ऐसी शिकायत के न्यायनिर्णयन के लिए उपयुक्त नहीं है; या
      • (च) लोकपाल की राय में, शिकायतकर्ता को कोई वित्तीय हानि या क्षति, या असुविधा नहीं हुई है।
     

    17. अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील

    • (1) खंड 15 (1) (क) के तहत दस्तावेज़ / सूचना प्रस्तुत न करने के कारण जारी किए गए अधिनिर्णय के विरुद्ध अपील करने का अधिकार विनियमित संस्था को नहीं होगा।
    • (2) खंड 15(1)(ख) के तहत जारी अधिनिर्णय या खंड 16 (2)(ग) से 16(2)(च) के तहत बंद की गई शिकायतों से व्यथित विनियमित संस्था, अधिनिर्णय या समाप्ति की सूचना प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर, अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील कर सकती है।
      • (क) विनियमित संस्था के मामले में, अपील दर्ज करने के लिए 30 दिन की अवधि उस तारीख से शुरू होगी जिस दिन शिकायतकर्ता द्वारा अधिनिर्णय का स्वीकृति पत्र, विनियमित संस्था को प्राप्त होता है; :
      • (ख) विनियमित संस्था द्वारा यह अपील, केवल अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी या उनकी अनुपस्थिति में, कार्यपालक निदेशक / समतुल्य स्तर के किसी अन्य अधिकारी की पूर्व मंजूरी से ही दर्ज की जा सकती है।
      • (ग) अपील प्राधिकारी, यदि वह संतुष्ट है कि विनियमित संस्था के पास समय के भीतर अपील नहीं करने के लिए पर्याप्त कारण था, तो अपील करने हेतु निर्धारित अवधि अधिकतम 30 दिन तक बढ़ा सकता है।
    • (3) खंड 15 (1) के तहत जारी अधिनिर्णय या खंड 16(2)(ग) से 16(2) (च) के तहत अस्वीकार की गई शिकायतों से व्यथित शिकायतकर्ता, अधिनिर्णय या शिकायत के खारिज होने की सूचना प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर, अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील कर सकता है।

      बशर्ते कि अपीलीय प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट हो कि शिकायतकर्ता के पास समय के भीतर अपील न करने का पर्याप्त कारण है तो वह 30 दिन से अनधिक की अवधि की अनुमति दे सकता है।

    • (4) अपीलीय प्राधिकारी का सचिवालय अपील की जांच करेगा और उसका प्रसंस्करण करेगा।
    • (5) अपीलीय प्राधिकारी पक्षों को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात:-
      • (क) अपील को खारिज कर सकता है; या
      • (ख) अपील की अनुमति देते हुए लोकपाल के अधिनिर्णय या आदेश को रद्द कर सकता है; या
      • (ग) लोकपाल को मामला नए सिरे से निपटान हेतु इन निदेशों के साथ, जो अपीलीय प्राधिकारी आवश्यक या उचित समझे, वापस भेजा जा सकता है; या
      • (घ) लोकपाल के अधिनिर्णय या आदेश को संशोधित कर ऐसे संशोधित आदेश या अधिनिर्णय को प्रभावी करने के लिए आवश्यक निदेश दे सकता है; या
      • (ङ) कोई अन्य आदेश, जो उसे उचित लगे, पारित कर सकता है।
    • (6) अपीलीय प्राधिकारी के आदेश का प्रभाव उसी तरह होगा, जैसा खंड 15 के अंतर्गत लोकपाल द्वारा पारित अधिनिर्णय या खंड 16 के अंतर्गत शिकायत को अस्वीकार करना, जैसा भी मामला हो।
     

    18.विनियमित संस्था द्वारा जनता की सामान्य जानकारी के लिए योजना की मुख्य बातें प्रदर्शित करना

    • (1) विनियमित संस्था जिस पर यह योजना लागू है, योजना के तहत आवश्यकताओं का सावधानीपूर्वक पालन सुनिश्चित करके योजना को सुचारु संचालन की सुविधा प्रदान करेगी, जिसके विफल होने पर, रिज़र्व बैंक ऐसी कार्रवाई कर सकता है जो वह उचित समझे।
    • (2) विनियमित संस्था अपने प्रधान कार्यालय में प्रधान नोडल अधिकारी की नियुक्ति करेगी जो महाप्रबंधक या समकक्ष स्तर के अधिकारी से कम स्तर का नहीं होगा और जिस विनियमित संस्था के विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई है, उन शिकायतों के संबंध में विनियमित संस्था का प्रतिनिधित्व करने और सूचना प्रस्तुत करने लिए वह जिम्मेदार होगा। परिचालनात्मक कार्य क्षमता के लिए विनियमित संस्था प्रधान नोडल अधिकारी की सहायता के लिए ऐसे अन्य नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है जो वह उचित समझे।
    • (3) विनियमित संस्था को, अपने ग्राहकों के हितार्थ अपनी शाखाओं/ व्यावसायिक लेन-देन वाले स्थानों पर, प्रधान नोडल अधिकारी के नाम और संपर्क विवरण (टेलीफोन/मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी) के साथ-साथ, लोकपाल का शिकायत दर्ज कराने के लिए निर्धारित पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) का प्रदर्शन प्रमुख रूप से करना होगा।
    • (4) इस योजना के अधीन आने वाली विनियमित संस्था यह सुनिश्चित करें कि वे अपने सभी कार्यालयों, शाखाओं और व्यावसायिक लेन-देन होने वाले स्थान पर, योजना के संबंध में मुख्य जानकारी अंग्रेज़ी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषा में इस तरह प्रदर्शित किया जाए कि कार्यालय या शाखा में आने वाले व्यक्ति को योजना के बारे में पर्याप्त जानकारी मिल सके।
    • (5) विनियमित संस्था यह सुनिश्चित करेगी कि योजना की प्रति उसकी सभी शाखाओं में उपलब्ध है जिसे ग्राहक के अनुरोध पर संदर्भ के लिए प्रदान किया जा सके।
    • (6) योजना की मुख्य विशेषताओं के साथ योजना की प्रति और प्रधान नोडल अधिकारी के संपर्क विवरण को विनियमित संस्था की वेबसाइट पर प्रदर्शित और अद्यतन किया जाएगा।
     

    8 अधिसूचना उशिसंवि. निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा सम्मिलित
    9 अधिसूचना उशिसंवि. निअप्र.सं.एस544/13.01.001/2022-23 दिनांक 5 अगस्त 2022 द्वारा सम्मिलित

एकीकृत लोकपाल योजना - अध्याय V

अध्याय V

विविध

19. कठिनाइयों को दूर करना

यदि इस योजना के प्रावधानों को लागू करने में कोई कठिनाई आती है, तो ऐसी कठिनाई को दूर करने के लिए रिज़र्व बैंक आवश्यक एवं समीचीन प्रावधान बना सकता है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 या बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 या भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 या इस योजना, से असंगत न हो।

20. विद्यमान योजनाओं का निरसन और लंबित मामलों पर प्रभाव

  • (1) बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना, 2018 और डिजिटल लेनदेनों के लिए लोकपाल योजना, 2019 एतद्वारा निरस्त की जाती हैं।
  • (2) रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना, 2021 के प्रभावी होने से पूर्व तक लंबित शिकायतें, अपील और पारित की जा चुके अधिनिर्णयों का निष्पादन, संबंधित योजनाओं के प्रावधानों तथा उसके अंतर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों के अनुसार होता रहेगा।

एकीकृत लोकपाल योजना - अनुबंध

अनुबंध

लोकपाल के पास शिकायत (दर्ज करने के लिए) का फॉर्म

[ योजना का खंड 11 (2)]

(शिकायतकर्ता द्वारा भरा जाए)

जहां अन्यथा इंगित किया गया हो, उसे छोड़कर सभी फ़ील्ड अनिवार्य हैं

सेवा में

लोकपाल

महोदया महोदय,

विषय: .................................................. (विनियमित संस्था का नाम) के ................................ (विनियमित संस्था की शाखा या कार्यालय का स्थान) के विरुद्ध शिकायत

शिकायतकर्ता का विवरण:

  • 1. शिकायतकर्ता का नाम ...............................................................
  • 2. आयु (साल) .........................
  • 3. लिंग ..................
  • 4. शिकायतकर्ता का पूरा पता............................................................................................................................................................

    पिन कोड ................................

    फोन नंबर (अगर उपलब्ध है तो) ..........................

    मोबाइल संख्या .........................................

    ई-मेल (अगर उपलब्ध है तो) .........................................

  • 5. विनियमित संस्था जिसके विरुद्ध शिकायत है (विनियमित संस्था की शाखा या कार्यालय का नाम और पूरा पता) ..............................................................................................................................

    पिन कोड ..........................

  • 6. विनियमित संस्था के साथ संबंध की प्रकृति / खाता संख्या (अगर कोई हो तो)

    ...........................................................................................

  • 7. लेनदेन (ट्रांजेक्शन) की तारीख और विवरण, अगर कोई हो तो

    ...........................................................................................

    • (क) विनियमित संस्था को शिकायत प्रस्तुत करने की तारीख (कृपया शिकायत की प्रति संलग्न करें)

      ...........................................................................................

    • (ख) क्या शिकायतकर्ता द्वारा कोई अनुस्मारक प्रेषित किया गया है? हां नहीं (कृपया अनुस्मारक की प्रति संलग्न करें)

      ...........................................................................................

  • 8. कृपया संबंधित बॉक्स को टिक करें (हां/नहीं) -

क्या आपकी उक्त शिकायत:

(i) अन्य मंच के पास विचाराधीन है/ माध्यस्थम के तहत है 10? हां नहीं
(ii) एक अधिवक्ता के द्वारा दर्ज की गई है, जिसमें शिकायतकर्ता स्वयं एक अधिवक्ता होने के अलावा? हां नहीं
(iii) इसी आधार पर लोकपाल द्वारा पहले ही निपटाया है/ कार्रवाई की जा रही है? हां नहीं
(iv) किसी विनियमित संस्था के प्रबंधन या कार्यपालक के विरुद्ध सामान्य प्रकृति की है? हां नहीं
(v) विनियमित संस्थाओं के बीच विवाद के संबंध में है? हां नहीं
(vi) नियोक्ता कर्मचारी संबंध से संबंधित है? हां नहीं

 

  • 9. शिकायत की विषय-वस्तु

    .....................................................................................

  • 10. शिकायत के विवरण: (अगर जगह कम है तो, कृपया अलग शीट जोडें)

    ...........................................................................................................................................................................................................................................................................................................

  • 11. क्या विनियामित संस्था द्वारा शिकायत प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर उनसे कोई उत्तर प्राप्त हुआ है? हां/ नहीं (अगर हां, तो कृपया उत्तर की प्रति संलग्न करें)
  • 12. लोकपाल से मांगी गई राहत

    ...............................................................................................................................................................

    (आपके दावे के लिए अगर कोई दस्तावेज़ी सबूत उपलब्ध है तो उसकी प्रति संलग्न करें)

  • 13. शिकायतकर्ता द्वारा दावा की गई क्षतिपूर्ति अगर कोई हो तो, उसकी मौद्रिक हानि की प्रकृति और सीमा (कृपया योजना के खंड 15 (4) और 15(5) देखें)

    ₹..............................................................................................................

  • 14. संलग्न दस्तावेज़ों की सूची:

    ..........................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................

10 शिकायत किसी अन्य मंच के पास विचाराधीन है/ माध्यस्थम के तहत है, अगर शिकायत उसी कारण के संबंध में किसी न्यायालय/ अधिकरण/ मध्यस्थ / प्राधिकरण के पास उसके गुणागुण के तहत कार्रवाई की जा चुकी है/ लंबित है, चाहे वह व्यक्ति से या संयुक्त रूप से प्राप्त हुई है।

घोषणा

  • (i) मैं/ हम, शिकायतकर्ता एतद्वारा घोषित करते/करती हूँ/ हैं कि:
    • क) उक्त दी गई सूचना सत्य और सही है; और
    • ख) मैंने/ हमने उक्त कथित तथ्य और प्रस्तुत दस्तावेज़ों में कोई भी जानकारी छिपायी या गलत रूप से पेश नहीं की है।
  • (ii) योजना के 10(2) के प्रावधानों में निर्धारित किए गए अनुसार यह शिकायत एक साल की अवधि से पहले दर्ज की गई है।

भवदीय/ भवदीया

(शिकायतकर्ता / प्राधिकृत प्रतिनिधि का हस्ताक्षर )

प्राधिकरण

यदि शिकायतकर्ता लोकपाल के समक्ष अपनी ओर से उपस्थित होने और प्रस्तुतियां देने के लिए अपने प्रतिनिधि को प्राधिकृत करना चाहता है, तो वे निम्नलिखित घोषणा प्रस्तुत करें।

मैं/ हम, .................... श्री / श्रीमती ............................ को, मेरे/ हमारे प्राधिकृत प्रतिनिधि के रूप में एतद्वारा नामित करते/ करती हैं, जिनका संपर्क विवरण निम्नलिखित है:

पूरा पता.

................................................................................................................................................................................................................................

पिन कोड....................

फोन सं............................

मोबाइल संख्या .............................

ई-मेल ...........................

 

(शिकायतकर्ता का हस्ताक्षर )

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: मार्च 22, 2023

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