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भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

खुले बाजार के परिचालन बाजार के वे परिचालन हैं जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बाजार से/को सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री के लिए आयोजित किए जाते हैं ताकि लम्बी अवधि के लिए बाजार में रुपये की तरलता स्थितियों को समायोजित किया जा सके । जब भारतीय रिज़र्व बैंक यह महसूस करता है कि बाजार में अधिक चलनिधि है तो यह प्रतिभूतियों की बिक्री दर्ज करता है तथा रुपये की चलनिधि को खींच लेता है । इसी प्रकार जब चलनिधि की स्थिति कठोर है, भारतीय रिज़र्व बैंक बाजार से प्रतिभूतियाँ खरीद लेता है तथा बाजार में चलनिधि भेज देता है ।

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

उत्तर: टीएलटीआरओ योजना के तहत अधिग्रहीत निर्दिष्ट प्रतिभूतियों को एचटीएम श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा। हालाँकि, यदि कोई बैंक अधिग्रहण के समय ऐसी प्रतिभूतियों को एएफ़एस / एचएफ़टी श्रेणी के तहत वर्गीकृत करने का निर्णय लेता है, तो बाद में ऐसी प्रतिभूतियों को एचटीएम श्रेणी में परिवर्तित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और बैंको द्वारा एएफ़एस/एचएफ़टी पोर्टफोलियो में टीएलटीआरओ योजना के तहत खरीदी गई प्रतिभूतियों को प्रदर्शित करने और अलग से चिन्हित करने के लिए पर्याप्त रिकॉर्ड बनाए रखना आवश्यक होगा। इसके अलावा, ऐसी निर्दिष्ट प्रतिभूतियों पर एएफएस / एचएफटी के तहत वर्गीकृत प्रतिभूतियों पर मूल्यांकन सहित लागू सभी नियम लागू होंगे।

आवास ऋण

बैंक द्वारा आम तौर पर निम्नलिखित ऋण विकल्पों में से किसी एक की पेशकश की जा सकती हैं: फ्लोटिंग रेट (अस्थायी दर) होम लोन और फिक्स्ड रेट (निश्चित दर) आवास ऋण। फिक्स्ड रेट लोन के लिए, ब्याज की दर या तो ऋण की पूरी अवधि के लिए या ऋण की अवधि के एक निश्चित हिस्से के लिए तय होती है। शुद्ध निश्चित ऋण के मामले में, बैंक की ईएमआई स्थिर रहती है। यदि कोई बैंक ऋण की पेशकश करता है जो केवल ऋण की अवधि की एक निश्चित अवधि के लिए निर्धारित है, तो कृपया बैंक से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें कि क्या अवधि के बाद दरें बढ़ाई जा सकती हैं (पुनर्स्थापना खंड)। आप एक लॉक-इन पर बातचीत करने का प्रयास कर सकते हैं जिसमें वह दर शामिल होनी चाहिए जिस पर आपने शुरुआत में सहमति दी थी और लॉक-इन की अवधि भी शामिल होनी चाहिए।

इसलिए फिक्स्ड रेट वाले लोन की ईएमआई पहले से पता होती है। यह वह नकद बहिर्प्रवाह है जिसकी योजना ऋण की शुरुआत में बनाई जा सकती है। यदि मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था में ब्याज दर वर्षों में बढ़ती है, तो एक निश्चित ईएमआई आकर्षक रूप से स्थिर होती है और इसकी योजना बनाना आसान होता है। हालांकि, अगर आपने ईएमआई तय कर रखी है तो बाजार में ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती से आपको कोई फायदा नहीं होगा।

फ्लोटिंग रेट के निर्धारक:

फ्लोटिंग रेट लोन की ईएमआई बाजार की ब्याज दरों में बदलाव के साथ बदलती है। यदि बाजार दर बढ़ती है, तो आपकी चुकौती (पुनर्भुगतान) बढ़ जाती है। जब दरें गिरती हैं, तो आपकी बकाया राशि भी गिर जाती है। फ्लोटिंग ब्याज दर दो भागों से बनी होती है: इंडेक्स और स्प्रेड (सूचकांक और फैलाव)। सूचकांक आम तौर पर ब्याज दरों का एक उपाय है (सरकारी प्रतिभूतियों की कीमतों के आधार पर), और प्रसार एक अतिरिक्त राशि है जिसे बैंकर क्रेडिट जोखिम, लाभ मार्क-अप आदि को कवर करने के लिए जोड़ता है। प्रसार की राशि एक ऋणदाता से दूसरे में भिन्न हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर ऋण के जीवन पर स्थिर होती है। अगर सूचकांक दर ऊपर जाती है, तो अधिकांश परिस्थितियों में आपकी ब्याज दर भी बढ़ती है और आपको अधिक ईएमआई का भुगतान करना होगा। इसके विपरीत, अगर ब्याज दर घटती है, तो आपकी ईएमआई राशि कम होनी चाहिए।

साथ ही, कभी-कभी बैंक कुछ समायोजन (एडजस्टमेंट) करते हैं ताकि आपकी ईएमआई स्थिर रहे। ऐसे मामलों में, जब कोई ऋणदाता फ्लोटिंग ब्याज दर बढ़ाता है, तो ऋण की अवधि बढ़ जाती है (और ईएमआई स्थिर रहती है)।

कुछ ऋणदाता अपनी फ्लोटिंग दरें अपने बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट्स (बीपीएलआर) पर भी आधारित करते हैं। आपको पूछना चाहिए कि फ्लोटिंग रेट को सेट करने के लिए किस इंडेक्स का उपयोग किया जाएगा, यह आमतौर पर अतीत में कैसे उतार-चढ़ाव करता है, और यह कहां प्रकाशित/खुलासा होता है। हालांकि, किसी भी इंडेक्स का पिछला उतार-चढ़ाव उसके भविष्य के व्यवहार की गारंटी नहीं है।

ईएमआई में लचीलापन:

कुछ बैंक अपने ग्राहकों को लचीले पुनर्भुगतान विकल्प भी प्रदान करते हैं। यहां ईएमआई असमान हैं। स्टेप-अप लोन में, शुरुआत में ईएमआई कम होती है और जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं (बैलून रीपेमेंट) बढ़ती जाती है। स्टेप-डाउन लोन में, ईएमआई शुरू में अधिक होती है और जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं, घटती जाती है।

स्टेप-अप विकल्प उन उधारकर्ताओं के लिए सुविधाजनक है जो अपने करियर की शुरुआत में हैं। स्टेप-डाउन ऋण विकल्प उन उधारकर्ताओं के लिए उपयोगी है जो अपनी सेवानिवृत्ति के वर्षों के करीब हैं और वर्तमान में अच्छा पैसा कमा रहे हैं।

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ङ) निर्यात ऋण

उत्तर: कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों के तहत निर्यात ऋण के लिए बैंक ऋण को संबंधित श्रेणियों अर्थात कृषि और एमएसएमई के तहत पीएसएल के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसके लिए ऋण पर कोई उच्चतम सीमा नहीं है। निर्यात ऋण (कृषि और एमएसएमई के अलावा) को निम्न तालिका के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है:

घरेलू बैंक/विदेशी बैंकों के डब्लूओएस/एसएफबी/यूसीबी 20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंक 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंक
प्रति उधारकर्ता स्‍वीकृत सीमा 40 करोड़ की शर्त के अधीन, गत वर्ष की समान तारीख की तुलना में वृद्धिशील निर्यात ऋण, एएनबीसी या सीईओबीई, जो भी अधिक हो, के 2 प्रतिशत तक। गत वर्ष की समान तारीख की तुलना में वृद्धिशील निर्यात ऋण, एएनबीसी या सीईओबीई, जो भी अधिक हो, के 2 प्रतिशत तक। एएनबीसी अथवा सीईओबीई, इनमें से जो भी अधिक हो, के 32 प्रतिशत तक का निर्यात ऋण।
उत्तर: वित्त वर्ष 2020-21 से सभी बैंकों को निर्यात ऋण के तहत पात्र पोर्टफोलियो की गणना चार तिमाहियों के औसत से करने की अनुमति है, ताकि 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों के लिए 32 प्रतिशत और अन्य के लिए 2 प्रतिशत से संबंधित निर्धारित उच्चतम सीमा का पालन किया जा सके। निर्यात की उच्चतम सीमा चालू वित्त वर्ष के एएनबीसी/सीईओबीई पर आधारित है।च) शिक्षा

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) को और प्राथमिक व्यापारियों को दी जाने वाली एक ऐसी सुविधा है जिसमें वे आवश्यकता पड़ने पर चलनिधि का उपयोग कर सकते हैं अथवा अधिक चलनिधि होने पर भारतीय रिज़र्व बैंक के पास राज्य सरकार की प्रतिभूतियों सहित सरकारी प्रतिभूतियों को संपाश्दिवक के रूप में एक दिन के लिए रख सकते हैं । मूल रूप से चलनिधि समायोजन सुविधा दैनंदिन आधार पर चलनिधि प्रबंधन उपलब्ध कराता है । एलएएफ का परिचालन बैंक के साथ पुनर्खरीद (रिपो और रिवर्स रिपो - कृपया प्रश्न सं.30 के अंतर्गत ब्योरे के लिए 30.4 से 30.8 देखें) करके, सभी लेन-देनों में भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ प्रति-पार्टी बन कर किए जा सकते हैं । एलएएफ के अंतर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरें समय-समय पर निर्धारित की जाती हैं । वर्तमान में, एलएएफ के अंतर्गत रिपो पर ब्याज दर (भागीदारों द्वारा उधार लिए जाने पर) 4.75% है और रिवर्स रिपो (भारतीय रिज़र्व बैंक के पास निधि रखने के लिए) 3.25% है । एलएएफ मौद्रिक नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण है तथा बाजार को ब्याज दर संकेत भेजने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को समर्थ बनाता है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: समूह कंपनियों में सभी प्रत्यक्ष निवेश, जैसा कि सीआईसी के तुलनपत्र में दिखाया गया है, इस उद्देश्य के लिए ध्यान में रखा जाएगा। सहायक कंपनियों द्वारा स्टेप डाउन सहायक कंपनियों या अन्य संस्थाओं में किए गए निवेश को निवल आस्ति के 90 प्रतिशत की गणना के लिए ध्यान में नहीं रखा जाएगा।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

A. परिभाषाएं

आवेदक कंपनी के लिये यह जरूरी है कि ऑनलाइन आवेदन करे और भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन की एक भौतिक प्रतिलिपि प्रस्तुत करे। आवेदन को रिजर्व बैंक की सुरक्षित वेबसाइट https://cosmos.rbi.org.in के द्वारा ऑनलाइन प्रस्तुत किया जा सकता। इस स्तर पर, आवेदक कंपनी को कॉसमॉस application पर लॉग ऑन करने की जरूरत नहीं और अत: इसके यूजर आईडी की आवश्यकता नहीं होगी। कंपनी कॉसमॉस अनुप्रयोग के लॉगिन पृष्ठ पर कंपनी पंजीकरण के लिए "क्लिक" पर क्लिक कर सकते हैं। एक्सेल आवेदन फार्म डाउनलोड के लिए उपलब्ध "दर्शाने वाला एक विंडो प्रदर्शित किया जाएगा इस प्रकार कंपनी, उपरोक्त वेबसाइट से उपयुक्त आवेदन फार्म (अर्थात एनबीएफसी या एससी / आरसी), डाउनलोड करके, डेटा दर्ज और आवेदन फार्म अपलोड कर सकती हैं। कंपनी को, एक्सेल आवेदन पत्र में "ब्यौरे अनुबंध-पहचान" में क्षेत्र "सी-8" में क्षेत्रीय कार्यालय का सही नाम इंगित करने के लिए नोट करना है। उसके बाद कंपनी को पंजीकरण प्रमाणपत्र आवेदन ऑन लाइन करने के लिए एक आवेदन संदर्भ संख्या मिलेगी। इसके बाद कंपनी को, संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को आवेदन पत्र की हार्ड कॉपी (कंपनी का ऑनलाइन आवेदन संदर्भ संख्या दर्शाते हुए पुष्टिकारक दस्तावेजों के साथ) प्रस्तुत करना होगी। बाद में कंपनी, ऊपर उल्लेखित सुरक्षित वेबसाइट से, पावती संख्या दर्ज कर के, आवेदन की स्थिति की जाँच कर सकती है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: “विदेशी निवेश” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा भारतीय कंपनियों की पूंजीगत लिखतों में तथा किसी एलएलपी की पूंजी में प्रत्यावर्तनीय आधार पर किया गया निवेश ।

“प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई)” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों की पूंजीगत लिखतों के माध्यम से किया गया निवेश; अथवा सूचीबद्ध भारतीय कंपनी की पूर्णतः डाइल्यूटेड आधार पर जारी प्रदत्त इक्विटि के 10 प्रतिशत तक अथवा उससे अधिक किया गया निवेश;

“विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों की पूर्णतः डाइल्यूटेड आधार पर जारी प्रदत्त इक्विटि के जरिए पूंजीगत लिखतों में 10 प्रतिशत से अनधिक किया गया निवेश अथवा किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी द्वारा जारी पूंजीगत लिखतों की प्रत्येक शृंखला में 10 प्रतिशत से अनधिक मात्रा तक किया गया निवेश ।

देशी जमा

I . देशी जमा

मीयादी जमाराशि, बैंक और ग्राहक के बीच एक निश्चित अवधि की संविदा है तथा बैंक अपनी इच्छा से इसका समयपूर्व भुगतान नहीं कर सकते। मीयादी जमाराशियों का समयपूर्व भुगतान ग्राहक के अनुरोध पर किया जा सकता है ।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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