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लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

उत्तर: बैंकों को पहले से ही टीएलटीआरओ योजना के तहत प्राप्त धन को अभिनियोजित करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। अब यह निर्णय लिया गया है कि निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में ऐसी बैंकों को धन अभियोजन के लिए 30 कार्य दिवसों तक की अनुमति दी जाए, जिन्होंने 27 मार्च 2020 को आयोजित टीएलटीआरओ की पहली किश्त के तहत धन प्राप्त किया है। हालांकि, यदि कोई बैंक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर धन अभिनियोजित करने में विफल रहता है, तो गैर-अभिनियोजित धन पर ब्याज दर प्रचलित नीति रेपो दर तक बढ़ जाएगी साथ ही 200 बीपीएस दिनों की संख्या के लिए इस तरह के फंड गैर-अभिनियोजित रहते हैं। इस वृद्धिशील ब्याज का भुगतान परिपक्वता के समय नियमित ब्याज के साथ करना होगा।

भारतीय मुद्रा

क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें

अधिनियम की धारा 22 के अनुसार, भारत में नोट निर्गमित करने का एकमात्र अधिकार रिज़र्व बैंक के पास है । धारा 25 में उल्‍लेख है कि बैंकनोट की रूपरेखा (डिजाइन), स्‍वरूप और सामग्री भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर विचार करने के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुरूप होगी ।

रिज़र्व बैंक, केंद्र सरकार तथा अन्य साझेदारों के परामर्श से, एक वर्ष में मूल्यवर्ग वार संभावित आवश्‍यक बैंक नोटों की मात्रा का आकलन करता है और बैंक नोटों की आपूर्ति हेतु विभिन्न करेंसी प्रिंटिंग प्रेसों को माँगपत्र (इंडेंट) सौंपता है । रिज़र्व बैंक अपनी स्वच्छ नोट नीति के अनुसार, आम जनता को अच्छी गुणवत्ता के बैंकनोट उपलब्ध कराता है । इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संचलन से वापस लिए गए बैंक नोटों की जांच की जाती है तथा जो संचलन के योग्य हैं उन्हें पुन: जारी किया जाता है, जबकि अन्य (गंदे तथा कटे-फटे) को नष्ट कर दिया जाता है ताकि संचलन में बैंक नोटों की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके ।

सिक्कों के संबंध में, भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका भारत सरकार द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले सिक्कों के वितरण करने तक सीमित है । सिक्‍का निर्माण अधिनियम, 2011 के अनुसार विभिन्न मूल्यवर्ग के सिक्कों की रूपरेखा तैयार करने (डिजाइनिंग) तथा ढलाई की जिम्‍मेदारी भारत सरकार की है ।

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

च) शिक्षा

उत्तर: केवल ऐसे ऋण जो ₹20 लाख की स्वीकृत सीमा के भीतर हैं, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।

उत्तर: 4 सितंबर 2020 से पहले स्वीकृत ऋणों के लिए, 10 लाख तक की बकाया राशि, चाहे स्वीकृत सीमा कुछ भी हो, परिपक्वता तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा। हालांकि, पीएसएल के तहत किसी ऐसे उधारकर्ता, जिसने 4 सितंबर 2020 से पहले ही बैंक से शिक्षा ऋण प्राप्त कर लिया था, के किसी भी नए ऋण की गणना करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पीएसएल के तहत ऋणों के वर्गीकरण के लिए कुल स्वीकृत सीमा 20 लाख से अधिक नहीं है।

उक्त स्थिति में, चूंकि संयुक्त स्वीकृत सीमा 30 लाख हो जाती है, अतः 4 सितंबर 2020 के बाद स्वीकृत 18 लाख का ऋण पीएसएल वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, 12 लाख के ऋण के संबंध में, जो पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार पहले से ही पीएसएल था, 10 लाख तक की बकाया राशि इस सुविधा के तहत परिपक्वता तक पीएसएल के अंतर्गत पात्र बने रहेंगे।

उत्तर: अध्ययन अवधि के दौरान चुकौती पर अधिस्थगन के परिणामस्वरूप उपचित ब्याज के कारण बकाया राशि ₹20 लाख से अधिक हो सकता है। तदनुसार, संपूर्ण बकाया राशि को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए गिना जाएगा बशर्ते कि स्वीकृत सीमा ₹20 लाख से अधिक न हो।
उत्तर: 4 सितंबर 2020 के बाद, यदि किसी बैंक या बैंकों द्वारा एकल उधारकर्ता को स्वीकृत कई शिक्षा ऋणों की कुल स्वीकृत सीमा ₹20 लाख से अधिक है, तो 4 सितंबर 2020 के बाद उधारकर्ता को स्वीकृत सभी ऋण पीएसएल वर्गीकरण के लिए अपात्र हो जाएंगे। इस संबंध में, बैंकों को किसी अन्य बैंक/बैंकों द्वारा स्वीकृत शिक्षा ऋण के संबंध में उधारकर्ता से घोषणा प्राप्त करनी चाहिए और उन बैंकों से स्वतंत्र रूप से पुष्टि की मांग करनी चाहिए।छ) सामाजिक बुनियादी संरचना

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण

उत्तर: सामान्य तौर पर, मार्च अंत और सितंबर अंत की स्थिति के लिए सीपीआईएस में भाग लेने की नियत तारीख क्रमशः उस वर्ष की 15 जुलाई और 31 दिसम्बर है

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

7.1. भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई का लोक ऋण कार्यालय सरकारी प्रतिभूतियों के लिए रजिस्ट्री और केद्रीय निक्षेपागार का कार्य करता है । निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियाँ या तो भौतिक रूप में अथवा डीमैट रूप में रखी जाती हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी संस्थाओं के लिए 20 मई 2002 से सरकारी प्रतिभूतियों को केवल डीमैट (एसजीएल) रूप में रखना आवश्यक हो गया है । तदनुसार, शहरी सरकारी बेंकों के लिए सरकारी प्रतिभूतियाँ डीमैट रूप में रखना आवश्यक हो गया है ।(क) भौतिक रूप में : सरकारी प्रतिभूतियों को स्टॉक प्रमाणपत्र के रूप में रखा जा सकता है । स्टॉक प्रमाणपत्र को लोक ऋण कार्यालय की बहियों में पंजीकृत किया जाता है । स्टॉक प्रमाणपत्रों में स्वामित्व का अंतरण परांकन और सुपुर्दगी के रूप में अंतरित नहीं किया जा सकता । उन्हें स्वामित्व के रूप में अंतरण फार्म निष्पादित करके अंतरित किया जा सकता है तथा अंतरण का ब्योरा लोक ऋण कार्यालय की बहियों में दर्ज किया जाता है । स्टॉक प्रमाणपत्र का अंतरण लोक ऋण कार्यालय की बहियों में पंजीकरण के बाद ही अंतिम और वैध होगा ।(ख) डीमैट रूप में : सरकारी प्रतिभूतियों को डीमैट रूप में अथवा क्रिप रहित रूप में रखना सबसे अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प है क्योंकि इससे सुरक्षित रूप से रखने की समस्याएँ यथा प्रतिभूति का गुम होना इत्यादि समाप्त हो जाती हैं । साथ ही, इलैक्ट्रॉनिक रूप में अंतरण और सर्विसिंग परेशानी रहित होती है । धारक अपनी प्रतिभूतियों को डीमैट रूप में दो प्रकार से रख सकता है :(i) एसजीएल खाता : भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सहायक सामान्य लेजर खाते की सुविधा कुछ चयनित संस्थाओं को उपलब्ध कराई जाती है जो अपनी प्रतिभूतियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक के लोक ऋण कार्यालय में एसजीएल खातों में अनुरक्षित कर सकते हैं ।(ii) गिल्ट खाता : चूंकि भारतीय रिज़र्व बैंक के पास एसजीएल खाता खोलने और उसे अनुरक्षित करने की सुविधा प्रतिबंधित है, किसी भी निवेशक के पास किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के पास गिल्ट खाता खोलने का विकल्प है जो भारतीय रिज़र्व बैंक के पास ग्राहक का सहायक सामान्य लेजर खाता (सीएसजीएल खाता) खोल सकता है । इस व्यवस्था में बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी, गिल्ट खाता धारक के अभिरक्षक के रूप में अपने ग्राहक की धारिताओं को भारतीय रिज़र्व बैंक के पास सीएसजीएल खाते में रखेगा (जो एसजीएल II खाते के नाम से भी जाना जाता है) । गिल्ट खाते में रखी प्रतिभूतियों की सर्विसिंग इलैक्टॉनिक रूप में की जाती है, बाधारहित व्यापार और प्रतिभूतियों का रखरखाव किया जाता है । परिपक्वता आय और आवधिक ब्याज भी तेजी से आता है तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के पास प्राथमिक व्यापारी/ अभिरक्षक (सीएसजीएल खाताधारक) के चालू खाते में जमा हो जाती है तथा तत्काल अभिरक्षक द्वारा गिल्ट खाता धारकों के खाते में जमा कर दी जाती है ।7.2. निवेशकों के पास सरकारी प्रतिभूतियाँ निक्षेपागार (एनएसडीएल/सीडीएसएल इत्यादि) के पास डीमैट खाते में रखने का विकल्प रहता है । इससे स्टॉक एक्सचेंजों में सरकारी प्रतिभूतियों का कारोबार सुविधाजनक होता है ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

A. परिभाषाएं

आवेदन पत्र के साथ प्रस्तुत की जाने वाले दस्तावेजों की निर्देशात्मक जांच सूची तथा आवेदन पत्र www.rbi.org.in → site map → NBFC List → Forms/Returns पर उपलब्ध है।

देशी जमा

I . देशी जमा

आम तौर पर बैंक व्यक्ति और संयुक्त हिंदू परिवार (एचयूएफ) की बड़ी या छोटी किसी भी मीयादी जमाराशि के समयपूर्व आहरण के लिए मना नहीं करेंगे। फिर भी, बैंक अपने विवेकानुसार से व्यक्ति या संयुक्त हिंदू परिवारों से इतर कंपनियों द्वारा धारित बड़ी जमाराशियों के समयपूर्व आहरण को अस्वीकृत कर सकते हैं । बैंकों को ऐसे जमाकर्ताओं को समयपूर्व आहरण की नीति के संबंध में पहले ही यानी जमा स्वीकार करते समय सूचित करना चाहिए ।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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