RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

FAQ DetailPage Breadcrumb

RbiFaqsSearchFilter

सामग्री प्रकार:

खोज परिणाम

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ञ) पीएसएलसी

उत्तर: 'निर्यात ऋण' पीएसएलसी - सामान्य के प्रति अंतर्निहित आस्तियों का एक भाग बन सकता है। हालाँकि, 'निर्यात ऋण' के बदले पीएसएलसी-सामान्य जारी करने वाला कोई भी बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अंतर्निहित 'निर्यात ऋण' पोर्टफोलियो घरेलू बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए भी पात्र है।
उत्तर: 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को निर्यात के अलावा अन्य क्षेत्रों को उधार देने के अपने 8% लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएसएलसी सामान्य को खरीदने की अनुमति नहीं है। हालांकि, ऐसे बैंकों को उक्त हेतु पीएसएलसी कृषि, पीएसएलसी सूक्ष्म उद्यम और पीएसएलसी लघु और सीमांत किसान को खरीदने की अनुमति है।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

सीपीआईएस के तहत क्या रिपोर्ट करें?

उत्तर: सर्वेक्षण असंबद्ध अनिवासियों द्वारा जारी प्रतिभूतियों अर्थात असंबंधित अनिवासियों द्वारा जारी और निवासियों के स्वामित्व वाली प्रतिभूतियां, में किए गए घरेलू निवासियों के संविभागीय निवेश परिसंपत्तियों का विवरण एकत्र करता है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

11.1. कारोबारी डेस्क द्वारा किए गए प्रत्येक लेन-देन के लिए एक "डील स्लिप" का सृजन किया जाना चाहिए जिसमें डील के स्वरूप, प्रतिपक्ष का नाम, क्या ये सीधे डील की गई अथवा ब्रोकर द्वारा (ब्रोकर द्वारा होने पर ब्रोकर का नाम), प्रतिभूति का ब्योरा, राशि, मूल्य, संविदा की तारीख और समय तथा समायोजन की तारीख दी जाए । डील स्लिपों को क्रम सं. दी जाए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन किया जाए कि प्रत्येक डील स्लिप की गणना की गई है । एक बार डील हो जाने पर डील स्लिप तुरंत ही बैक आफिस को (यह प्रंट ऑफिस से अलग होना चाहिए) रिकार्ड और प्रक्रिया के लिए भेज देनी चाहिए । प्रत्येक डील के लिए प्रति पक्ष को पुष्टि करनी चाहिए । प्रति पक्ष द्वारा अपेक्षित लिखित पुष्टि की रसीद की, जिसमें संविदा का आवश्यक ब्योरा दिया हो, बैक ऑफिस द्वारा निगरानी की जाए । एनडीएस-ओएम पर मैच की गई डील की प्रति पक्ष पुष्टि की आवश्यकता नहीं है क्योंकि एनडीएस-ओएम बेनाम स्वचलित ऑर्डर मैचिंग प्रक्रिया है । तथापि, जिन कारोबारों को ओटीसी बाज़ार में अंतिम रूप दिया जाता है और एनडीएस पर रिपोर्ट किया जाता है, सिस्टम अर्थात एनडीएस में प्रतिपक्षों द्वारा पुष्टि भेजी जानी होती है । कृपया प्रश्न सं.15 भी देखें ।11.2. यदि कोई डील ब्रोकर के माध्यम से होती है, ब्रोकर द्वारा काउंटर पार्टी का स्थानापन्न नहीं होना चाहिए । इसी प्रकार, किसी भी स्थिति में किसी डील में बेची/खरीदी गई प्रतिभूति को किसी अन्य प्रतिभूति से बदलना नहीं चाहिए । किसी व्यक्ति द्वारा अपराध रोकने के लिए एक "मेकर-चैकर" ढाँचा लागू किया जाना चाहिए । यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रणाली में मेकर (जो डेटा निविष्टियाँ करता है) और चैकर (जो सत्यापित करके आँकड़े प्राधिकृत करता है) का काम एक ही व्यक्ति न करे ।11.3 बैक ऑफिस द्वारा पारित वाउचरों के आधार पर (जो ब्रोकर/प्रतिपक्ष से प्राप्त वास्तविक संविदा नोट के सत्यापन और प्रतिपक्ष द्वारा डील की पुष्टि के बाद करना चाहिए) लेखा बहियाँ स्वतंत्र रूप से बनानी चाहिए ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

भारतीय रिज़र्व बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अंतर्गत ऐसी कंपनियों के बारे में जो मुख्य व्यवसाय के 50-50 मानदंडों को पूरा करती हैं, को पंजीकृत करने, नीति-निर्धारण करने, निर्देश देने, निरीक्षण करने, विनियमित करने, पर्यवेक्षण करने तथा उन पर निगरानी रखने की शक्तियां प्रदान की गई हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों, एवं अधिनियम के अंतर्गत जारी निदेशों अथवा आदेशों का उल्लंघन करने पर दंडित कर सकता है। दंड के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र निरस्त कर सकता है, उसे जमाराशियां लेने से मना कर सकता है तथा उनकी आस्तियों के स्वत्वाधिकार का अंतरण कर सकता है अथवा उसे बंद करने के लिए याचिका दायर कर सकता है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: कृपया औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग, भारत सरकार द्वारा जारी किए गए “ एफ़डीआई प्रस्तावों पर कार्रवाई करने के लिए मानक परिचालन क्रियाविधि (एसओपी) देखें- http://fifp.gov.in/Forms/SOP.pdf

देशी जमा

I . देशी जमा

नहीं। चूँकि यह धनराशि अवयस्क बच्चे की संपत्ति है न कि बैंक के कर्मचारी की, अत: अतिरिक्त ब्याज नहीं दिया जा सकता।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: यदि किसी इकाई ने नवीनतम वित्तीय वर्ष में 'कोई नया एफडीआई और/या ओडीआई (समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश) प्राप्त नहीं किया है, लेकिन उस वित्तीय वर्ष के मार्च अंत में बकाया एफडीआई और/या ओडीआई है, तो उसे हर साल 15 जुलाई तक एफएलए रिटर्न में 31 मार्च की अपनी बकाया स्थिति जमा करना आवश्यक है।

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

भारतीय एजेंट को एमटीएसएस ढांचे के अंतर्गत परिचालन करने के लिए संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति आवश्यक है। साथ ही समुद्रपारीय प्रिन्सिपल को भुगतान प्रणाली प्रारम्भ/ परिचालित करने के लिए भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम (PSS एक्ट) 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से आवश्यक ऑथोराइजेशन प्राप्त करना होगा।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: नहीं, केवल कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 3 के तहत पंजीकृत कंपनियों में निवेश को समूह कंपनियों में 90% निवेश की गणना के उद्देश्य से समूह कंपनियों में निवेश के रूप में माना जाएगा। इसके अलावा, सीआईसी को किसी भी साझेदारी फर्म में पूंजी का योगदान करने या सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) या साझेदारी फर्मों के समान प्रकृति के किसी भी व्यक्ति के किसी भी संघ सहित साझेदारी फर्मों में भागीदार बनने से प्रतिबंधित किया गया है।

श्रेणी पहलू

केटेगरी

कस्टम पहलू

ddm__keyword__19506552__FaqDetailPage1Title_en_US

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

क्या यह पेज उपयोगी था?