अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: हां। समुद्रपारीय निवेश संबंधी दिशानिर्देशों में अनुमत किए गए अनुसार ईसीबी की आगम राशि को समुद्रपारीय निवेश के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
27.1. किसी बाण्ड की समयावधि (जिसे मैकाले समयावधि भी कहा जात है) वर्तमान कीमत के रूप में प्रारंभिक निवेश की वसूली में लगने वाले समय को नापने का पैमाना है । सरल शब्दों में समयावधि का तात्पर्य किसी बाण्ड के ब्रेक इवेन पर पहूंचने में लगने वाली चुकौती समयावधि होती है अर्थात् किसी बाण्ड द्वारा अपना खरीद मूल्य अदा करने में लगने वाला समय होता है । समयावधि को वर्षों की संख्या के रूप में निरूपित किया जाता है । समयावधि निकालने के लिए अपनायी जाने वाली क्रमिक प्रक्रिया नीचे बॉक्स IV में दी गयी है ।
बॉक्स IV
समयावधि के लिए गणना करना
सर्वप्रथम - प्रत्येक समयावधि के लिए भविष्य के प्रत्येक नकद प्रवाह को इसकी तत्संबंधी वर्तमान कीमत से घटाना होगा । चूंकि कूपन प्रत्येक छह माह की समयावधि में दिए जाते हैं अत: एक चक्र छह माह के बराबर होगा और दो वर्ष की परिपक्वता वाले बाण्ड में 4 चक्र होंगे ।
दूसरे - भविष्य के नकद प्रवाहों की वर्तमान कीमतों को उनकी संगत समयावधियों (इन्हें भार कहा जाता है) से गुणा करना होगा । अर्थात्, पहले कूपन की वर्तमान कीमत (पीवी) को 1 से गुणा करना होगा और दूसरे कूपन की पीवी को 2 से और इसी प्रकार आगे भी ।
तीसरे - अभी नकद प्रवाहों की उक्त भारित पीवी (वर्तमान कीमतो) को जोड़ा जाता है और प्राप्त जोड़ को बाण्ड की वर्तमान कीमत (पहले चरण में दर्शायी गयी वर्तमान कीमतों को जोड़) से भाग दिया जाता है । परिणामी कीमत चक्रों की संख्या में समयावधि होती है ।चूंकि एक चक्र छह माह के बराबर होता है अत: वर्षो की संख्या में समयावधि प्राप्त करने के लिए इसे दो से भाग दिया जाता है । यह वह समयावधि होती है जिसके भीतर, ऐसी आशा की जाती है कि बाण्ड अपनी मूल कीमत लौटा देगा, यदि इसे परिपक्वता तक रखा जाए ।
उदाहरण -
10% कूपन दर पर 2 वर्ष की परिपक्वता वाला बाण्ड लेने पर और जिसकी वर्तमान कीमत 103/- रु. है, उसका नकद प्रवाह निम्नानुसार होगा (मौजूदा 2 वर्ष की प्रतिफल दर 9% पर -
समय समयावधि (वर्ष में) | 1 | 2 | 3 | 4 | जोड़ |
अंतर्वाह (करोड़ रु. में) | 5 | 5 | 5 | 105 |
|
9% के प्रतिफल पर पीवी | 4.78 | 4.58 | 4.38 | 88.05 | 101.79 |
पीवी* समय | 4.78 | 9.16 | 13.14 | 352.20 | 379.28 |
चक्रों की संख्या में समयावधि = 379.28/101.79=3.73 | |||||
वर्षों में समयावधि = 3.73/2=1.86 वर्ष |
औपचारिक रूप में, समयावधि का तात्पर्य है -
(क) किसी बाण्ड के नकद प्रवाहों की भारित औसत समयावधि (इस समय से भुगतान तक की समयावधि) या संपृक्त नकद प्रवाहों की कोई श्रृंखला ।
(ख) बाण्ड की कूपन दर जितनी उच्चतर होगा, समयावधि उतनी ही कम होग (यदि बाण्ड का टर्म एक समान रखा जाये तो) ।
(ग) समयावधि बाण्ड की समग्र परिपक्वता से हमेशा कम या उसके समतुल्य होती है ।
(घ) केवल शून्य कूपन (कूपन रहित बाण्ड) बाण्ड की समयावधि उसकी परिपक्वता के बराबर होती है ।
(ङ) बाण्ड की कीमत ब्याज दर (अर्थात् प्रतिफल के प्रति संवेदनशील है ।
समयावधि, ब्याज दर परिचालनों (अर्थात् प्रतिफल) के प्रति बाण्ड की बाजार कीमत की संवेदनशीलता नापने के रूप में प्राथमिक रूप से उपयोगी होती है । यह प्रतिफल में आए किसी परिवर्तन हेतु कीमत में आए प्रतिशत परिवर्तन के लगभग समतुल्य होती है । उदाहरण के लिए ब्याज दरों में हुए छोटे परिवर्तनों के लिए समयावधि लगभग वह प्रतिशत है जिससे बाण्ड की कीमत बाजार ब्याज दर में 1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के लिए गिर जाएगी । अत: ब्याज दरों में 1% वार्षिक की वृद्धि होने पर 7 वर्ष की समयवावधि वाले 15 वर्षीय बाण्ड की कीमत लगभग 7% गिर जाएगी । दूसरे अर्थों में ब्याज दरों के संबंध में समयावधि बाण्ड की कीमत का लचीलापन है ।
संशोधित समयावधि क्या है ?
27.2. संशोधित समयावधि मैकाले समयावधि का संशोधित रूप है । यह ब्याज दर (प्रतिफल) में हुए एक प्रतिशत परिवर्तन के प्रति प्रतिभूति की कीमत में आए अंतर को प्रदर्शित करती है । इसका सूत्र इस प्रकार है -
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उदाहरण -
बॉक्स IV में दिए गए उदाहरण में, संशोधित समयावधि = 1.86/(1+0.09/2)=1.78
पीवी 01 क्या है ?
27.3. पीवी 01 प्रतिफल में आए एक आधार बिंदु (एक प्रतिशत बिंदु के एक सौवें भाग के समतुल्या) के परिवर्तन के कारण बाण्ड की कीमत में हुआ वास्तविक परिवर्तन दर्शाता है । यह ब्याज दर में हुए 1 आधार बिंदु (0.01%) के परिचालन के कारण कीमत पर पडने वाले वर्तमान प्रभाव को दर्शाता है । इसे अक्सर समयावधि (समय मापन) के बजाय मूल्य विकल्प के रूप में प्रयुक्त किया जाता है । पीवी 01 जितनी अधिक होगी उतार-चढ़ाव भी उतना ही अधिक होगा (प्रतिफल में परिवर्तन होने पर कीमत में संवेदनशीलता) ।
उदाहरण -
संशोधित समयावधि से (जो उदाहरण 27.2 में दिया गया है) हम यह जानते हैं कि प्रतिफल में 100 आधार बिंदुओं (1%) के परिवर्तन से प्रतिभूति की कीमत में 1.78 प्रतिशत का परिवर्तन होगा । कीमत के रूप में जो 1.78*(102/100)=1.81 रु. है ।
अत: पीवी 01=1.81/100=0.018 रु. होगी जो 1.8 पैसे है । इस प्रकार 1.78 वर्षों की संशोधित समयावधि वाले किसी बाण्ड का प्रतिफल 9% से 9.05% (5 आधार बिंदुओं) में परिवर्तित होता है तो बाण्ड की कीमत 102 रु. से 101.91 रु. में परिवर्तित होती है (9 पैसे की गिरावट अर्थात् 5 X 1.8 पैसे) ।
कन्वेक्सिटी क्या है ?
27.4. समयावधि के आधार पर प्रतिफल में परिवर्तन के लिए कीमत में परिवर्तन की गणना केवल कीमत में आए छोटे परिवर्तनों के लिए कारगर होती है । क्योंकि बाण्ड मूल्य और प्रतिफल के आपसी संबंध निश्चित रूप से सरल रेखीय नहीं हैं अर्थात् बाण्ड की कीमत में हुआ एक यूनिट का परिवर्तन प्रतिफल में हुए एक यूनिट परिवर्तन के समानुपातिक नहीं है । कीमत में हुए भारी उतार-चढ़ाव का संबंध वक्ररेखीय है अर्थात् बाण्ड की कीमत में परिवर्तन, प्रतिफल में हुए परिवर्तन के समानुपात की तुलना में या तो कम होगा अथवा अधिक होगा । इसे कान्वेक्सिटी नामक विचार से नापा जाता है जो बाण्ड के प्रतिफल में प्रति यूनिट परिवर्तन के लिए बाण्ड की समयावधि में परिवर्तन होता है ।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: किसी निवासी क्रेता तथा अनिवासी विक्रेता अथवा इसके विपरीत, के बीच शेयरों के अंतरण के मामले में क्रेता द्वारा अंतरण करार की तारीख से अठारह महीने से अनधिक अवधि के भीतर कुल प्रतिफल के पचीस प्रतिशत से अनधिक राशि का भुगतान आस्थगित आधार पर किया जा सकता है। आस्थगित राशि या तो हर्जाने अथवा एस्क्रो के स्वरूप की हो सकती है। सभी मामलों में मूल्यनिर्धारण दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाए।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
ऊपर सूचीबद्ध सुरक्षा विशेषताओं के अतिरिक्त, एमजी शृंखला-2005 की शुरूआत के पश्चात जारी किए गए बैंकनोटों के पश्चभाग में मुद्रण वर्ष मुद्रित है जबकि 2005 से पहले की शृंखला में यह मौजूद नहीं होता है।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: एक होल्डिंग कंपनी जो दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस (पीडी) 219/सीजीएम(यूएस)-2011 के पैरा 2 में निर्धारित सीआईसी के मानदंडों को पूरा नहीं करती है, को एनबीएफसी के रूप में पंजीकरण करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, अगर ऐसी कंपनी सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में पंजीकरण करना चाहती है/सीआईसी के रूप में छूट प्राप्त करना चाहती है, तो उसे सीआईसी के रूप में अपने व्यवसाय को पुनर्रचित करने के लिए विशिष्ट अवधि के भीतर प्राप्त करने योग्य कार्य योजना के साथ आरबीआई को आवेदन करना होगा। यदि वह ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो उसे एनबीएफसी की आवश्यकताओं और विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता होगी।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023
बैंकों के लिए विशेष निर्देश
उत्तर: नहीं, इसे शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसे निवासी से निवासी लेनदेन माना जाएगा।
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: यदि भारतीय इकाई ने भारत में एफडीआई योजना के तहत अनिवासी संस्थाओं को शेयर जारी किए हैं तो यह एक एफडीआई है और इसे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (देयता) के तहत रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
- The NBFCs in the category of equipment leasing and hire purchase finance companies having Rating of less than the Investment Grade as mentioned below are no longer entitled to accept fresh public deposits :
Name of rating agencies | Level of minimum investment |
EL/HP Cos. | LC/ICs |
CRISIL | A- (A MINUS) |
ICRA | A- (A MINUS) |
CARE | BBB (FD) |
DCR India | BBB- (BBB minus) |
The Loan and Investment Companies having Rating of less than `A are no longer entitled to accept fresh deposits.
It may be added that A- is not equivalent to A; AA- is not equivalent to AA and AAA- is not equivalent to AAA.
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022