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देशी जमा

III. अग्रिम

बैंकों को यह स्वतंत्रता है कि वे सभी ऋण निर्धारित अथवा अस्थायी दरों पर दें बशर्ते वे परिसंपत्ति देयता प्रबंधन (एएलएम) दिशानिर्देशों के अनुरूप हों।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: यदि भारतीय रिपोर्टिंग इकाई सूचीबद्ध है, तो संदर्भ अवधि अर्थात पिछले और चालू वर्ष के मार्च अंत में उनके समापन शेयर मूल्य का उपयोग अनिवासी इक्विटी निवेश के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल हेतु – निम्न सीमाएं लागू होती है यदि आपने प्राथमिक नीलामियों के माध्यम से इन प्रतिभूतियों को खरीदा है:

क्र.सं. सरकारी प्रतिभूति अधिकतम निवेश राशि/मात्र (12 नवंबर 2021 को)
1 सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) सभी गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों का कुल आवंटन भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिसूचित राशि के अंतर्गत निर्गम की कुल नाममात्र राशि के अधिकतम 5% या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी अन्य प्रतिशत तक सीमित होगा।
2 सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) 2 करोड़ (अंकित मूल्य) प्रति प्रतिभूति प्रति नीलामी
3 राज्य विकास ऋण (एसडीएल) प्रति नीलामी में अधिसूचित राशि (अंकित मूल्य) का 1%

राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) के लिए - एक व्यक्ति प्रति वित्तीय वर्ष 4 किलोग्राम से अधिक एसजीबी की सदस्यता नहीं ले सकता है। वार्षिक सीमा में सरकार द्वारा प्रारंभिक निर्गम दौरान विभिन्न किस्तों के तहत सब्सक्राइब किए गए बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे गए बांड शामिल होंगे।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

नए ग्राहकों को जोड़ना

11 मार्च, 2022 का व्यावसायिक प्रतिबंध, जो पेटीएम पेमेंट्स बैंक को अपनी किसी भी सेवा के लिए किसी भी नए ग्राहक को शामिल करने से रोकता है, लागू रहेगा। इसलिए, पेटीएम पेमेंट्स बैंक 11 मार्च, 2022 के बाद किसी भी नए ग्राहक को अपने साथ नहीं जोड़ सकता है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

30.1. यद्यपि सरकारी प्रतिभूति बाज़ार सामान्यत: दीर्घावधि निवेश करनेवाले निवेशकों के लिए है, परन्तु मुद्रा बाज़ार अल्पावधि के लिए निवेश का विकल्प उपलब्ध करता है । मुद्रा बाज़ार लेन-देन सामान्यत: सरकारी प्रतिभूति बाज़ार और अल्पावधि चलनिधि असंतुलन को ठीक करने सहित अन्य बाजारों में लेन-देनों के निधीयन के लिए प्रयुक्त होता है । परिभाषा के अनुसार, मुद्रा बाज़ार अधिकतम एक वर्ष की अवधि के लिए होता है । एक वर्ष के भीतर अवधि के आधार पर मुद्रा बाज़ार को निम्नलिखित रुप से वर्गीकृत किया जा सकता है ।(i) एक दिवसीय बाज़ार : लेन-देन की अवधि एक कार्य-दिवस होता है ।(ii) नोटिस मुद्रा बाज़ार: लेन-देन की अवधि 2 दिन से 14 दिन तक होती है ।(iii) मीयादी मुद्रा बाज़ार - लेन-देन की अवधि 15 दिन से एक वर्ष तक होती है ।विभिन्न मुद्रा बाज़ार लिखत कौन-कौन से हैं ?30.2. मुद्रा बाज़ार लिखतों में, मांग-मुद्रा, रेपो, खजाना बिल, वाणिज्यिक पत्र, जमा-प्रमाणपत्र और संपार्श्विकृत उधार और ऋणदायी बाध्यत (सीबीएलओ) शामिल है ।मांग-मुद्रा बाज़ार : 30.3. मांग-मुद्रा बाज़ार निधियों के असंपार्श्विकृत उधार देने और उधार लेने के लिए बाज़ार है । यह बाज़ार मुख्यत: एक दिवसीय होता है ओर इसमें केवल अनुसूचित बैंक और प्राथमिक व्यापारी भाग लेते हैं ।रेपो या तैयार वायदा संविदा :30.4. रेपो, निधियों की प्राप्ति के लिए प्रतिभूतियों को इस करार के साथ बेचने के लिए एक प्रकार का लिखत है, जिसमें उक्त प्रतिभूतियों को आपस में सहमत तारीख और मूल्य पर पुनर्खरीद करनी पड़ती है जिसमें उधार ली गई निधियों पर ब्याज शामिल है ।30.5. रेपो (पुन: खरीद) लेनदेन का विपरीत लेनदेन ‘रिवर्ज़ रेपो’ (प्रति पुनर्खरीद) कहलाता है जिसमें प्रतिभूतियों की खरीदारी करके उधार दिया जाता है, जिसके लिए तय मूल्य पर पारस्परिक रूप से निर्धारित भावी तारीख को उक्त प्रतिभूतियों की पुन:बेचने का करार किया जाता है ।30.6.उक्त परिभाषा से यह मालूम पड़ता है कि रेपो/रिवर्ज़ रेपो के एक ही लेनदेन में दो चरण होते हैं । दोनों चरणों के बीच की अवधि को ‘रेपो अवधि’ कही जाती है । मोटे तौर पर रेपो को ओवर नाइट आधार पर अंजाम दिया जाता है अर्थात् एक दिवसीय आधार पर। रेपो लेनदेनों का निपटान सरकारी प्रतिभूतियों में एकमुश्त सौदा के साथ किया जाता है ।30.7. प्रतिभूति के विक्रेता द्वारा उधार ली गई राशि रेपो लेनदेनों के पहले चरण में प्रतिफल राशि होती है । तयशुदा ‘रेपो दर’ पर ब्याज का परिकलन किया जाता है तथा उधारकर्ता द्वारा प्रतिभूति वापस खरीदते समय उसे लेनदेन के दूसरे चरण की प्रतिफल राशि के साथ-साथ लौटाया जाता है । रेपो लेनदेन की समग्र परिणति सरकारी प्रतिभूतियों के समर्थन में उधारस्वरूप प्राप्त निधि में होती है ।30.8. मुद्रा बाज़ार को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है । मुद्रा बाज़ार संबंधी उपर्युक्त लेनदेनों की रिपोर्ट इलक्ट्रॉनिक व्यवस्था, जिसे तयशुदा लेनदेन प्रणाली (एनडीएस) के नाम से जाना जाता है, के माध्यम से भेजनी चाहिए ।संपार्श्वीकृत उधार और ऋणदायी बाध्यता (सीबीएलओ)30.9. सीबीएलओ ऐसी संस्थाओं के लाभार्थ भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) द्वारा संचालित एक अन्य मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिनकी अंतर बैंक-मांग-मुद्रा-बाज़ार तक कोई पहुंच नहीं हो या जिनकी पहुंच मांग उधार लेने और देने से संबंधित लेनदेनों पर उच्चतम सीमा के चलते अवरुद्ध हुई हो । सीबीएलओ इलक्ट्रॉनिक बही प्रविष्टि रूप में उपलब्ध एक बट्टागत लिखत है जिसकी परिपक्वता अवधि एक दिन से नब्बे दिनों (रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार एक वर्ष तक) तक होती है । बाज़ार के सहभागियों को निधि के उधार लेने और देने में सक्षम बनाने की दृष्टि से सीसीआईएल भारतीय वित्तीय नेटवर्क (आईएनएफआईएनईटी), जोकि सीमित उपयोगकर्ता समूह है, के माध्यम से रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता रखने वाले तयशुदा लेनदेन प्रणाली (एनडीएस) के सदस्यों को तयशुदा प्रणाली उपलब्ध कराता है जबकि जिन सदस्यों का रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता न हो उन्हें इंटरनेट के माध्यम से उक्त प्रणाली मुहैया कराता है ।30.10. रिज़र्व बैंक-एनडीएस सदस्यों, यथा- राष्ट्रीयकृत बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंडों, प्राथमिक व्यापारियों आदि को सीबीएलओ खंड की सदस्यता उपलब्ध कराई जाती है । जो संस्थाएं रिज़र्व बैंक-एनडीएस की सदस्य नहीं हैं, यथा- सहकारी बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, एनबीएफसी, कार्पोरेट, भविष्य/पेंशन निधि आदि, उन्हें सीबीएलओ खंड की सह-सदस्यता उपलब्ध कराई जाती है । 30.11. सीसीआईएल सदस्य सीबीएलओ बाज़ार में शामिल होकर पात्र प्रतिभूतियों की संपार्श्विकता पर निधि उधारस्वरूप ले सकते हैं या दे सकते हैं । पात्र प्रतिभूतियों के अंतर्गत खज़ाना बिल सहित केंद्र सरकारी प्रतिभूतियां तथा समय-समय पर सीसीआईएल द्वारा विनिर्दिष्ट अन्य प्रतिभूतियां शामिल हैं । सीबीएलओ में उधारकर्ताओं को सीसीआईएल के पास पात्र प्रतिभूतियों की अपेक्षित राशि जमा करनी होती है जिसके आधार पर सीसीआईएल उधार की सीमा का निर्धारण करता है । सीसीआईएल सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले उधार देने व लेने के आदेशों का मिलान करता है और उन्हें अधिसूचित करता है । संपार्श्विक रूप से धारित प्रतिभूतियों को सीसीआईएल की अभिरक्षा में रखा जाता है तथा प्रतिभूतियों पर उधार देने वाले के लाभकारी हित की मान्यता समुचित प्रलेखन के माध्यम से दी जाती है ।वाणिज्यिक पत्र (सीपी)30.12. वाणिज्यिक पत्र (सीपी) एक प्रतिभूति-रहित मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिसे प्रामिसरी नोट के रूप में जारी किया जाता है । भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अंब्रेला सीमा के अंतर्गत अल्पावधिक संसाधनों को जुटाने हेतु अनुमति प्राप्त कार्पोरेट, प्राथमिक व्यापार (पीडी) तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं (एफआई) वाणिज्यिक पत्र जारी करने की पात्रता रखती हैं । वाणिज्यिक पत्रों को उसकी निर्गम-तारीख से न्यूनतम 7 दिनों से अधिकतम एक वर्ष तक की अवधि के लिए जारी किया जा सकता है ।जमा प्रमाण-पत्र30.13. जमा प्रमाण-पत्र (सीडी) एक परक्राम्य मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिसे किसी बैंक में या अन्य पात्र वित्तीय संस्था में जमा की गई निधियों के लिए इलेक्ट्रानिक रूप में या मीयादी वचन-पत्र के रूप में निश्चित अवधि के लिए जारी किया जाता है । बैंक 7 दिनों से एक वर्ष की परिपक्वता अवधि के लिए जमा प्रमाण-पत्र जारी कर सकते हैं, जबकि पात्र वित्तीय संस्थाएं 1 वर्ष से 3 वर्ष की परिपक्वता अवधि के लिए इसे जारी कर सकती हैं ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

एच. ईसीबी का पुनर्वित्त

उत्तर: हां, बशर्ते उधारकर्ता का विद्यमान ईसीबी ढांचे के अंतर्गत ईसीबी जुटाने के लिए पात्र होना जारी रहता है, समग्र लागत विद्यमान ईसीबी की समग्र लागत से कम है, अवशिष्ट परिपक्वता को घटाया नहीं गया है, तथा नई ईसीबी विद्यमान ईसीबी ढांचे का भी अनुपालन करती है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)

अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी एनबीएफसी की एक श्रेणी है जो एक कंपनी है तथा इसका 'प्रमुख व्यवसाय' किसी भी योजना, व्यवस्था या किसी अन्य तरीके से जमा राशियाँ प्राप्त करना है तथा ये कंपनियाँ निवेश, आस्ति वित्तपोषण या ऋण देने का कार्य नहीं करती। इन कंपनियों को भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशानुसार, तरल आस्तियों के अलावा निवेश को बनाये रखने की आवश्यकता होती है। निदेशों के अनुसार जमाराशियों के संग्रहण की पद्धति और जमाकर्ताओं की निधि के विनियोजन के मामले में इन कंपनियों की कार्य प्रणाली एनबीएफसी से भिन्न है। इसके अलावा, इन कंपनियों पर भी विवेकपूर्ण मानदंड निदेश लागू होते है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: नहीं।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

भारतीय बैंकनोटों के उत्पादन के लिए अपनाई गई प्रक्रियाएँ तथा प्रणालियाँ वैश्विक स्तर पर अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं । इसी के अनुरूप, बैंकनोट की गुणवत्ता को आकार, रूपरेखा (डिजाइन) के निर्धारण, मुद्रण विशेषताओं आदि के लिए मानदंडों की छूट सीमा के भीतर रखा जाता है । इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति इस लिंक से देखी जा सकती है:

https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/rbi-clarifies-on-quality-control-measures-in-currency-note-printing-41364

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: सीआईसी जिनके पास (क) की आस्ति का आकार 100 करोड़ रुपये से कम है, भले ही वे सार्वजनिक धन का उपयोग कर रहे हों या नहीं और (ख) जिनकी आस्ति का आकार दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.पीडी.221/सीजीएम(यूएस) 2011 के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45आईए के तहत रु 100 करोड़ और उससे अधिक है और सार्वजनिक निधि का उपयोग नहीं कर रहे हैं, को बैंक के साथ पंजीकरण से छूट दी गई है। इस प्रकार, उन्हें बैंक के साथ पंजीकरण करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। चूंकि यह आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45एनसी के तहत दी गई छूट है, इसलिए उन्हें बैंक से संपर्क करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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