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कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: समूह की सभी कंपनियां जो सीआईसी हैं, उन्हें सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में माना जाएगा (बशर्ते उन्होंने सार्वजनिक निधि का उपयोग किया हो) और उन्हें बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

A. परिभाषाएं

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झ(क) के अनुसार कोई भी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी रू 25 लाख निवल स्वाधिकृत निधि के बिना (अप्रैल 1999 से रू 2 करोड़) तथा रिज़र्व बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त किए बगैर गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान का कारोबार नहीं कर सकती अथवा जारी नहीं रख सकती। तथापि, दोहरा विनियम टालने के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के कुछ वर्गों जैसे सेबी से पंजीकृत वेंचर कैपिटल फंड/मर्चेंट बैंकिंग कंपनियों/ स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियों, बीमा विनियामक एंव विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) द्वारा जारी किया गया वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र धारण करने वाली बीमा कंपनियों, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 620ए के तहत अधिसूचित निधि कंपनियों, चिट फंड अधिनियम, 1982 की धारा 2 के खंड (ख) के अंतर्गत परिभाषित चिट कंपनियों और राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा विनियमित आवास वित्त कंपनियों, स्टॉक एक्सचेंज़ अथवा म्युचुअल बेनिफिट कंपनी को, भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण कराने से छूट दी गई है।

भारत में विदेशी निवेश

किसी स्टार्टअप कंपनी द्वारा जारी एक ऐसी लिखत, जो प्रारम्भिक तौर पर कर्ज़ के रूप में प्राप्त धनराशि को इंगित करती है और वह उसके धारक को उसके विकल्प पर पुनर्भुगतान योग्य होगी अथवा इस नोट को जारी करने की तारीख से पाँच वर्षों से अनधिक अवधि के भीतर उस संख्या में स्टार्टअप कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय होगी, साथ ही यह उक्त लिखत में उल्लिखित और स्वीकार किए गए नियमों और शर्तों के अनुरूप विशिष्ट स्थितियों में परिवर्तनीय होगी।

देशी जमा

I . देशी जमा

15 लाख रुपये और उससे अधिक की एकल मीयादी जमाराशि पर भिन्न ब्याज दर दी जा सकती है, लेकिन यदि अलग-अलग जमाराशियों को मिलाकर कुल राशि 15 लाख रुपये से अधिक हो, तो उस स्थिति में भिन्न ब्याज दर नहीं दी जा सकती ।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: इकाईयों को नियत तारीख के भीतर अनिवार्य रूप से एफएलए रिटर्न भरना चाहिए। यदि इकाईयों के पास अपनी लेखापरीक्षित तुलन पत्र तैयार नहीं है, तो वे अनंतिम/अनअंकेक्षित संख्याओं के साथ रिटर्न भर सकते हैं। इसके बाद, जब अंकेक्षित संख्याएं तैयार हो जाए तो, आरबीआई को पहले से दाखिल रिटर्न में संशोधन के लिए अनुरोध किया जाना चाहिए। एक बार आरबीआई द्वारा अनुरोध अनुमोदित होने के बाद, आप पहले से दाखिल रिटर्न को लेखापरीक्षित किए गए नंबरों के साथ संशोधित कर सकते हैं और इसे आरबीआई को फिर से जमा कर सकते हैं।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

ए. कुछ बुनियादी प्रश्न

उत्तर: जो उधार लिया गया है उसे यथालागू ईसीबी दिशानिर्देशों के अनुपालन में लिया गया है इसे सुनिश्चित करने का प्राथमिक दायित्व संबंधित उधारकर्ता का है। ऐसे ढांचे, जो किसी भी प्रकार से ईसीबी दिशानिर्देशों को बाइपास करते हों अथवा उससे बच कर निकलते हो तथा / अथवा किसी ऐसी अन्य पद्धति से उधार जुटाना जो कि अनुमत नहीं है/ उधार को किसी अन्य प्रकार के लेनदेन की ओढ़ में छिपाना तथा/ अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधर लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2018 के प्रावधानों का उल्लंघन करना फेमा के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई के लिए पात्र हैं।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Registration

Yes. To the extent provisions have not been made against any asset, as required under the Prudential Norms Directions or assessed by the Management, Auditor of the Company or an Inspecting Officer of the Reserve Bank of India, the asset can be considered to be intangible asset. Although the entire asset against which the provisions have not been made does not become intangible asset, the amount of provision required to be made as per the Prudential Norms Directions should be deducted from the Owned Fund of the Company to determine the Net Owned Fund of Rs. 25.00 lakhs required for Registration under the RBI Act.

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते

साझेदार बैंकों में रखी पेटीएम पेमेंट्स बैंक के ग्राहकों की मौजूदा जमाराशि को पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खातों में वापस (स्वीप-इन) किया जा सकता है, जो कि पेमेंट्स बैंक के लिए निर्धारित शेष राशि की अधिकतम सीमा (अर्थात प्रति ग्राहक ₹2 लाख प्रतिदिन) के अधीन है। ग्राहक द्वारा उपयोग या आहरण के लिए शेष राशि उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ऐसे स्वीप-इन की अनुमति जारी रहेगी। हालाँकि, 15 मार्च 2024 के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक के माध्यम से साझेदार बैंकों के साथ किसी नई जमा की अनुमति नहीं दी जाएगी।

भारतीय मुद्रा

क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें

बैंक नोटों तथा रुपये के सिक्कों के वितरण को सुगम बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने चयनित अनुसूचित बैंकों को मुद्रा तिजोरी की स्थापना करने हेतु प्राधिकृत किया है । ये ऐसे भण्डारगृह हैं जहां बैंक नोटों तथा सिक्कों को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली बैंक शाखाओं में वितरित करने के लिए भंडारण किया जाता है । 31 मार्च 2021 को 3054 मुद्रा तिजोरियाँ थीं ।

[मुद्रा तिजोरियों से अपेक्षित है कि वे उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली अन्य बैंक शाखाओं को बैंक नोट तथा सिक्कों का वितरण करें]

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा

ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान

उधारकर्ताओं के लिए समझौता निपटान किसी अधिकार के रूप में उपलब्ध नहीं है; बल्कि यह एक विवेकाधिकार है जिसका प्रयोग ऋणदाताओं द्वारा अपने वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर किया जाना चाहिए।

विवेकपूर्ण दिशानिर्देश ऋणदाताओं द्वारा विचार किए गए ऐसे निपटानों के संबंध में पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करते हैं:

  • ऐसे सभी निर्णय ऋणदाताओं द्वारा प्रत्येक मामले में तदर्थ दृष्टिकोण अपनाने के बजाय, अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार लिए जाने की आवश्यकता है;

  • परिपत्र के अनुसार यह अनिवार्य है कि धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूक करने वाले के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं से जुड़े समझौता निपटान के ऐसे सभी मामलों को बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया जाए। ऐसा करके परिपत्र विनियामक मार्गदर्शन को और अधिक मजबूत करता है।;

  • यदि ऐसे उधारकर्ताओं के साथ सम्झौता निपटान ऋणदाताओं के विचाराधीन है तो, तो ऐसे निपटान चालू अथवा प्रारम्भ की जाने वाली आपराधिक कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होंगे;

  • जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, ऐसे मामलों में मौजूदा दंडात्मक प्रावधान लागू रहेंगे।

  • जहां कहीं भी वसूली की कार्यवाही न्यायिक मंच के समक्ष लंबित हो, उधारकर्ता के साथ किया गया कोई भी समझौता संबंधित न्यायिक अधिकारियों से सहमति डिक्री प्राप्त करने के अधीन होगा।

  • ऋणदाताओं के बोर्डों को सभी समझौता निपटानों के अनुमोदन में समग्र रुझानों की निगरानी का काम सौंपा गया है। जिसमें विशेष रूप से धोखाधड़ी, रेड-फ्लैग्ड, इरादतन चूककर्ता और त्वरित मर्त्यता वाले खातों के रूप में वर्गीकृत खातों का विवरण शामिल है।

ये दिशानिर्देश पूरी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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