RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S2

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

FAQ DetailPage Breadcrumb

RbiFaqsSearchFilter

सामग्री प्रकार:

खोज परिणाम

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: एफएलए रिटर्न के तहत गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए इक्विटी पूंजी के बाजार मूल्य की गणना किसी देश के सीडीआईएस डेटा के संकलन के तहत आईएमएफ के दिशानिर्देशों के अनुसार बुक वैल्यू पर ओन फंड्स (ओएफवीबी) पद्धति का उपयोग करके की जाती है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है:

चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए ओएफवीबी में अनिवासी द्वारा धारित इक्विटी पूंजी का बाजार मूल्य

= (चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए कंपनी का निवल मूल्य) * (चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए अनिवासी इक्विटी होल्डिंग %)

जहां, कंपनी की कुल संपत्ति

= (कंपनी की चुकता इक्विटी और सहभागी वरीयता शेयर पूंजी + आरक्षित और अधिशेष - संचित हानि)

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

क्र.सं. सरकारी प्रतिभूति न्यूनतम निवेश राशि/मात्रा (12 नवंबर 2021 को)
1 सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) 10,000
2 सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) 10,000
3 राज्य विकास ऋण (एसडीएल) 10,000
4 राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) एक ग्राम स्वर्ण

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

जमा राशि की निकासी पर रोक, ग्रहणाधिकार अंकित (मार्क) खाते आदि।

बैंक को निदेश दिया गया है कि वह ग्राहक के खाते/वॉलेट में उपलब्ध शेष राशि तक निकासी या किसी अन्य बैंक खाते में ट्रान्सफर की अनुमति दे।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

सामान्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों को जोखिम रहित लिखतें माना जाता है क्योंकि सरकार से अपने भुगतान में चूक अपेक्षित नहीं हैं । तथापि, जैसा कि किसी भी वित्तीय लिखत के मामले में होता है वैसा ही जोखिम सरकारी प्रतिभूतियों के साथ भी होता है । अत: इस प्रकार के जोखिमों की पहचान करना और उन्हें समझना और उनको दूर करने के लिए उचित उपाय करना आवश्यक है । सरकारी प्रतिभूतियों की धारिता के साथ निम्नलिखित प्रमुख जोखिम जुड़े होते हैं -29.1. बाजार जोखिम - ब्याज दरों में परिवर्तन होने के कारण किसी निवेशक द्वारा धारित प्रतिभूतियों के मूल्यों में विपरीत परिचालन होने से बाजार जोखिम उत्पन्न होता है । इसके परिणाम स्वरूप बाजार मूल्यों पर इसे बही में अंकित करने पर हानि उठानी पड़ेगी या प्रतिभूतियों को विपरीत मूल्या पर बेचने से घाटा उठाना पड़ सकता है । कुछ हद तक छोटे निवेशक बाण्ड की परिपक्वता तक उसे धारण कर बाजार जोखिम को कम कर सकते हैं ताकि वे वह प्रतिफल प्राप्त कर सकें जिस पर उन्होनें प्रतिभूतियां वास्तव में खरीदी थी ।29.2. पुनर्निवेश जोखिम - सरकारी प्रतिभूति के नकदी-प्रवाह में प्रत्येक छमाही में मीयादी कूपन और परिपक्वता पर मूलधन की वापसी शामिल होती है । इन नकदी प्रवाहों को नकद प्राप्ति के पश्चात पुनर्निवेश करना होता है । अत: यह जोखिम होता है ब्याज दर परिदृश्यों में बदलाव के कारण निवेशक इन प्राप्त राशियों को लाभकारी दरों पर पुनर्निवेश न कर पाए ।29.3. चलनिधि जोखिम : चलनिधि जोखिम का आशय होता है कि जब निवेशक किसी प्रतिभूति के लिए खरीददार की अनुपलब्धता के कारण अपनी प्रतिभूति को बेच नहीं पाता है, अर्थात् उस विशेष प्रतिभूति में किसी भी प्रकार की खरीद बिक्री का न होना । सामान्यत:, जब नियत परिपक्वता का अर्थसुलभ बांड खरीदा जाता है, तो समय के साथ इसके परिपक्वता की अवधि में कमी आती है । उदाहरण के लिए, 10 वर्षीय एक प्रतिभूति 2 वर्षो के बाद 8 वर्ष क ा प्रतिभूति रह जाती है जिसके कारण उसे उस समय विशेष पर तरलता में कमी हो सकती है । उस समय विशेष पर तरलता में कमी के कारण, निवेशक को निधियों की तत्काल आवश्यकता होने पर कम मूल्य पर प्रतिभूतियों बेचना पड़ सकता है । हालांकि, ऐसे मामलों में, पात्र निवेशक बाजार रेपो में भाग ले सकता है और प्रतिभूतियों को संपार्श्विक के रूप में रखकर नकदी उधार ले सकता है ।29.4. जोखिम कम करना : परिपक्वता तक प्रतिभूति को नहीं बेचना एक रणनीति हो सकती है जिसके द्वारा बाज़ार जोखिम से बचा जा सकता है । जब प्रतिभूतियां अल्पावधि हो जाती हैं तो उन्हें बेच कर और दीर्घावधि की नई प्रतिभूतियां खरीद कर पोर्टफोलियो जोखिम को कम करने के लिए पोर्टफोलियो को पुन:प्रबंधित कर सकते हैं । हालांकि पुन:प्रबंधन में लेन-देन से संबंधित तथा अन्य लागत शामिल होती हैं अत: विवेकपूर्ण ढंग से इसका प्रयोग किया जाना चाहिए। बाज़ार जोखिम और पुनर्निवेश जोखिम को नकदी प्रवाहों के साथ देयताओं का मिलान कर परिसंपत्ति और देयता प्रबंधन (एएलएम) के माध्यम से कम किया जा सकता है । एएलएम को नकदी प्रवाह के अंतराल का मिलान कर भी किया जा सकता है ।उन्नत जोखिम प्रबंधन तकनीकों में ब्याज दर स्वॉप (आइआरएस) जैसे व्युत्पन्नियों का प्रयोग शामिल है जहाँ नकदी प्रवाह की प्रकृति में बदलाव किया जा सकता है । हालांकि, ये जटिल साधन हैं जिसे समझने के लिए उच्च स्तर की विशेषज्ञता की आवश्यकता पड़ती है । अत: व्युत्पन्नी लेन-देन के वक्त पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए और ऐसे लेन-देन इससे संबंधित जोखिमों और जटिलताओं की पूरी जानकारी के बाद ही किया जाना चाहिए ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जी. अंतिम उपयोग

उत्तर: हां।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार 1,000 करोड़ रुपये तथा उससे अधिक राशि की आस्तियों वाले एनबीएफसी को आईआरएफ में ट्रेडिंग सदस्य के रूप में सहभागी होने की अनुमति है। जहां स्टॉक एक्सचेंजेस के ट्रेडिंग सदस्यों को उनके अपने खाते तथा उनके ग्राहकों के खातों पर क्रय-विक्रय निष्पादित करने की अनुमति दी गई है, वहीं बैंकों तथा प्रायमरी डीलर्स को हेजिंग तथा क्रय-विक्रय, दोनों के लिए केवल अपने खाते पर आईआरएफ में लेन-देन करने के लिए अनुमति दी गई है। उन्हें ग्राहक के खाते से ऐसा करने की अनुमति नहीं है। उसी तरह एनबीएफसी को ट्रेडिंग सदस्य के रूप में केवल अपने स्वामित्व वाले व्यापार को निष्पादित करने की अनुमति है। वे अपने ग्राहकों की ओर से ऐसे लेन-देन नहीं कर सकते।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: डाउन स्ट्रीम निवेश का अर्थ है किसी भारतीय कंपनी जिसमें पूर्ण विदेशी निवेश है अथवा किसी निवेश माध्यम द्वारा किसी अन्य भारतीय संस्था के पूंजीगत लिखतों अथवा पूंजी, जैसी स्थिति हो में किया गया निवेश।

यदि निवेशक कंपनी में कुल विदेशी निवेश है तथा निवासी भारतीय नागरिकों के पास जिसका स्वामित्व तथा नियंत्रण नहीं है अथवा उसका स्वामित्व तथा नियंत्रण भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों के पास है तो, निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के लिए ऐसे निवेश “अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश” होंगे।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफ़ायर (मणि) भारतीय बैंकनोट्स के मूल्यवर्ग की पहचान करने में दृष्टिबाधित व्यक्तियों की सहायता हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किया गया एक मोबाइल एप्लीकेशन है । इस नि:शुल्क एप्लीकेशन को एक बार इंस्टॉल करने के बाद इन्‍टरनेट की आवश्यकता नहीं होती है । यह एप्‍लीकेशन नोट के अग्र अथवा पश्च - भाग/हिस्से की जांच करके महात्मा गांधी शृंखला तथा महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंक नोटों के मूल्यवर्ग की पहचान करने में सक्षम है । इससे प्रकाश की विभिन्‍न परिस्थितियों (सामान्य प्रकाश/दिन का प्रकाश/कम प्रकाश आदि) के अंतर्गत अलग-अलग कोणों से पकड़े गए आधे मुड़े हुए नोटों की पहचान भी की जा सकती है ।

नोट: यह मोबाइल एप्लीकेशन किसी नोट के असली अथवा जाली होने को प्रमाणित नहीं करता है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: कंपनी को एक वर्ष की निर्धारित समयावधि के भीतर एक व्यवसाय योजना देते हुए आरबीआई को सीओआर के लिए आवेदन करना होगा जिसमें वह सीआईसी-एनडी-एसआई का दर्जा हासिल करेगी। यदि कंपनी ऐसा करने में असमर्थ है, तो छूट लागू नहीं होगी और कंपनी को एनबीएफसी पूंजी पर्याप्तता और एक्सपोजर मानदंडों का पालन करना होगा।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

An NBFC that has been rated by two agencies, is free to use the rating beneficial to it. In case of wide variation between the two Ratings, RBI can take up the matter with both the Credit Rating Agencies to review and rationalise their opinion about the company’s Rating.

देशी जमा

III. अग्रिम

बैंकों को यह स्वतंत्रता है कि वे सभी ऋण निर्धारित अथवा अस्थायी दरों पर दें बशर्ते वे परिसंपत्ति देयता प्रबंधन (एएलएम) दिशानिर्देशों के अनुरूप हों।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: यदि भारतीय रिपोर्टिंग इकाई सूचीबद्ध है, तो संदर्भ अवधि अर्थात पिछले और चालू वर्ष के मार्च अंत में उनके समापन शेयर मूल्य का उपयोग अनिवासी इक्विटी निवेश के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल हेतु – निम्न सीमाएं लागू होती है यदि आपने प्राथमिक नीलामियों के माध्यम से इन प्रतिभूतियों को खरीदा है:

क्र.सं. सरकारी प्रतिभूति अधिकतम निवेश राशि/मात्र (12 नवंबर 2021 को)
1 सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) सभी गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों का कुल आवंटन भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिसूचित राशि के अंतर्गत निर्गम की कुल नाममात्र राशि के अधिकतम 5% या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी अन्य प्रतिशत तक सीमित होगा।
2 सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) 2 करोड़ (अंकित मूल्य) प्रति प्रतिभूति प्रति नीलामी
3 राज्य विकास ऋण (एसडीएल) प्रति नीलामी में अधिसूचित राशि (अंकित मूल्य) का 1%

राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) के लिए - एक व्यक्ति प्रति वित्तीय वर्ष 4 किलोग्राम से अधिक एसजीबी की सदस्यता नहीं ले सकता है। वार्षिक सीमा में सरकार द्वारा प्रारंभिक निर्गम दौरान विभिन्न किस्तों के तहत सब्सक्राइब किए गए बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे गए बांड शामिल होंगे।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

नए ग्राहकों को जोड़ना

11 मार्च, 2022 का व्यावसायिक प्रतिबंध, जो पेटीएम पेमेंट्स बैंक को अपनी किसी भी सेवा के लिए किसी भी नए ग्राहक को शामिल करने से रोकता है, लागू रहेगा। इसलिए, पेटीएम पेमेंट्स बैंक 11 मार्च, 2022 के बाद किसी भी नए ग्राहक को अपने साथ नहीं जोड़ सकता है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

30.1. यद्यपि सरकारी प्रतिभूति बाज़ार सामान्यत: दीर्घावधि निवेश करनेवाले निवेशकों के लिए है, परन्तु मुद्रा बाज़ार अल्पावधि के लिए निवेश का विकल्प उपलब्ध करता है । मुद्रा बाज़ार लेन-देन सामान्यत: सरकारी प्रतिभूति बाज़ार और अल्पावधि चलनिधि असंतुलन को ठीक करने सहित अन्य बाजारों में लेन-देनों के निधीयन के लिए प्रयुक्त होता है । परिभाषा के अनुसार, मुद्रा बाज़ार अधिकतम एक वर्ष की अवधि के लिए होता है । एक वर्ष के भीतर अवधि के आधार पर मुद्रा बाज़ार को निम्नलिखित रुप से वर्गीकृत किया जा सकता है ।(i) एक दिवसीय बाज़ार : लेन-देन की अवधि एक कार्य-दिवस होता है ।(ii) नोटिस मुद्रा बाज़ार: लेन-देन की अवधि 2 दिन से 14 दिन तक होती है ।(iii) मीयादी मुद्रा बाज़ार - लेन-देन की अवधि 15 दिन से एक वर्ष तक होती है ।विभिन्न मुद्रा बाज़ार लिखत कौन-कौन से हैं ?30.2. मुद्रा बाज़ार लिखतों में, मांग-मुद्रा, रेपो, खजाना बिल, वाणिज्यिक पत्र, जमा-प्रमाणपत्र और संपार्श्विकृत उधार और ऋणदायी बाध्यत (सीबीएलओ) शामिल है ।मांग-मुद्रा बाज़ार : 30.3. मांग-मुद्रा बाज़ार निधियों के असंपार्श्विकृत उधार देने और उधार लेने के लिए बाज़ार है । यह बाज़ार मुख्यत: एक दिवसीय होता है ओर इसमें केवल अनुसूचित बैंक और प्राथमिक व्यापारी भाग लेते हैं ।रेपो या तैयार वायदा संविदा :30.4. रेपो, निधियों की प्राप्ति के लिए प्रतिभूतियों को इस करार के साथ बेचने के लिए एक प्रकार का लिखत है, जिसमें उक्त प्रतिभूतियों को आपस में सहमत तारीख और मूल्य पर पुनर्खरीद करनी पड़ती है जिसमें उधार ली गई निधियों पर ब्याज शामिल है ।30.5. रेपो (पुन: खरीद) लेनदेन का विपरीत लेनदेन ‘रिवर्ज़ रेपो’ (प्रति पुनर्खरीद) कहलाता है जिसमें प्रतिभूतियों की खरीदारी करके उधार दिया जाता है, जिसके लिए तय मूल्य पर पारस्परिक रूप से निर्धारित भावी तारीख को उक्त प्रतिभूतियों की पुन:बेचने का करार किया जाता है ।30.6.उक्त परिभाषा से यह मालूम पड़ता है कि रेपो/रिवर्ज़ रेपो के एक ही लेनदेन में दो चरण होते हैं । दोनों चरणों के बीच की अवधि को ‘रेपो अवधि’ कही जाती है । मोटे तौर पर रेपो को ओवर नाइट आधार पर अंजाम दिया जाता है अर्थात् एक दिवसीय आधार पर। रेपो लेनदेनों का निपटान सरकारी प्रतिभूतियों में एकमुश्त सौदा के साथ किया जाता है ।30.7. प्रतिभूति के विक्रेता द्वारा उधार ली गई राशि रेपो लेनदेनों के पहले चरण में प्रतिफल राशि होती है । तयशुदा ‘रेपो दर’ पर ब्याज का परिकलन किया जाता है तथा उधारकर्ता द्वारा प्रतिभूति वापस खरीदते समय उसे लेनदेन के दूसरे चरण की प्रतिफल राशि के साथ-साथ लौटाया जाता है । रेपो लेनदेन की समग्र परिणति सरकारी प्रतिभूतियों के समर्थन में उधारस्वरूप प्राप्त निधि में होती है ।30.8. मुद्रा बाज़ार को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है । मुद्रा बाज़ार संबंधी उपर्युक्त लेनदेनों की रिपोर्ट इलक्ट्रॉनिक व्यवस्था, जिसे तयशुदा लेनदेन प्रणाली (एनडीएस) के नाम से जाना जाता है, के माध्यम से भेजनी चाहिए ।संपार्श्वीकृत उधार और ऋणदायी बाध्यता (सीबीएलओ)30.9. सीबीएलओ ऐसी संस्थाओं के लाभार्थ भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) द्वारा संचालित एक अन्य मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिनकी अंतर बैंक-मांग-मुद्रा-बाज़ार तक कोई पहुंच नहीं हो या जिनकी पहुंच मांग उधार लेने और देने से संबंधित लेनदेनों पर उच्चतम सीमा के चलते अवरुद्ध हुई हो । सीबीएलओ इलक्ट्रॉनिक बही प्रविष्टि रूप में उपलब्ध एक बट्टागत लिखत है जिसकी परिपक्वता अवधि एक दिन से नब्बे दिनों (रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार एक वर्ष तक) तक होती है । बाज़ार के सहभागियों को निधि के उधार लेने और देने में सक्षम बनाने की दृष्टि से सीसीआईएल भारतीय वित्तीय नेटवर्क (आईएनएफआईएनईटी), जोकि सीमित उपयोगकर्ता समूह है, के माध्यम से रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता रखने वाले तयशुदा लेनदेन प्रणाली (एनडीएस) के सदस्यों को तयशुदा प्रणाली उपलब्ध कराता है जबकि जिन सदस्यों का रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता न हो उन्हें इंटरनेट के माध्यम से उक्त प्रणाली मुहैया कराता है ।30.10. रिज़र्व बैंक-एनडीएस सदस्यों, यथा- राष्ट्रीयकृत बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंडों, प्राथमिक व्यापारियों आदि को सीबीएलओ खंड की सदस्यता उपलब्ध कराई जाती है । जो संस्थाएं रिज़र्व बैंक-एनडीएस की सदस्य नहीं हैं, यथा- सहकारी बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, एनबीएफसी, कार्पोरेट, भविष्य/पेंशन निधि आदि, उन्हें सीबीएलओ खंड की सह-सदस्यता उपलब्ध कराई जाती है । 30.11. सीसीआईएल सदस्य सीबीएलओ बाज़ार में शामिल होकर पात्र प्रतिभूतियों की संपार्श्विकता पर निधि उधारस्वरूप ले सकते हैं या दे सकते हैं । पात्र प्रतिभूतियों के अंतर्गत खज़ाना बिल सहित केंद्र सरकारी प्रतिभूतियां तथा समय-समय पर सीसीआईएल द्वारा विनिर्दिष्ट अन्य प्रतिभूतियां शामिल हैं । सीबीएलओ में उधारकर्ताओं को सीसीआईएल के पास पात्र प्रतिभूतियों की अपेक्षित राशि जमा करनी होती है जिसके आधार पर सीसीआईएल उधार की सीमा का निर्धारण करता है । सीसीआईएल सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले उधार देने व लेने के आदेशों का मिलान करता है और उन्हें अधिसूचित करता है । संपार्श्विक रूप से धारित प्रतिभूतियों को सीसीआईएल की अभिरक्षा में रखा जाता है तथा प्रतिभूतियों पर उधार देने वाले के लाभकारी हित की मान्यता समुचित प्रलेखन के माध्यम से दी जाती है ।वाणिज्यिक पत्र (सीपी)30.12. वाणिज्यिक पत्र (सीपी) एक प्रतिभूति-रहित मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिसे प्रामिसरी नोट के रूप में जारी किया जाता है । भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अंब्रेला सीमा के अंतर्गत अल्पावधिक संसाधनों को जुटाने हेतु अनुमति प्राप्त कार्पोरेट, प्राथमिक व्यापार (पीडी) तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं (एफआई) वाणिज्यिक पत्र जारी करने की पात्रता रखती हैं । वाणिज्यिक पत्रों को उसकी निर्गम-तारीख से न्यूनतम 7 दिनों से अधिकतम एक वर्ष तक की अवधि के लिए जारी किया जा सकता है ।जमा प्रमाण-पत्र30.13. जमा प्रमाण-पत्र (सीडी) एक परक्राम्य मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिसे किसी बैंक में या अन्य पात्र वित्तीय संस्था में जमा की गई निधियों के लिए इलेक्ट्रानिक रूप में या मीयादी वचन-पत्र के रूप में निश्चित अवधि के लिए जारी किया जाता है । बैंक 7 दिनों से एक वर्ष की परिपक्वता अवधि के लिए जमा प्रमाण-पत्र जारी कर सकते हैं, जबकि पात्र वित्तीय संस्थाएं 1 वर्ष से 3 वर्ष की परिपक्वता अवधि के लिए इसे जारी कर सकती हैं ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

एच. ईसीबी का पुनर्वित्त

उत्तर: हां, बशर्ते उधारकर्ता का विद्यमान ईसीबी ढांचे के अंतर्गत ईसीबी जुटाने के लिए पात्र होना जारी रहता है, समग्र लागत विद्यमान ईसीबी की समग्र लागत से कम है, अवशिष्ट परिपक्वता को घटाया नहीं गया है, तथा नई ईसीबी विद्यमान ईसीबी ढांचे का भी अनुपालन करती है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)

अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी एनबीएफसी की एक श्रेणी है जो एक कंपनी है तथा इसका 'प्रमुख व्यवसाय' किसी भी योजना, व्यवस्था या किसी अन्य तरीके से जमा राशियाँ प्राप्त करना है तथा ये कंपनियाँ निवेश, आस्ति वित्तपोषण या ऋण देने का कार्य नहीं करती। इन कंपनियों को भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशानुसार, तरल आस्तियों के अलावा निवेश को बनाये रखने की आवश्यकता होती है। निदेशों के अनुसार जमाराशियों के संग्रहण की पद्धति और जमाकर्ताओं की निधि के विनियोजन के मामले में इन कंपनियों की कार्य प्रणाली एनबीएफसी से भिन्न है। इसके अलावा, इन कंपनियों पर भी विवेकपूर्ण मानदंड निदेश लागू होते है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: नहीं।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

भारतीय बैंकनोटों के उत्पादन के लिए अपनाई गई प्रक्रियाएँ तथा प्रणालियाँ वैश्विक स्तर पर अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं । इसी के अनुरूप, बैंकनोट की गुणवत्ता को आकार, रूपरेखा (डिजाइन) के निर्धारण, मुद्रण विशेषताओं आदि के लिए मानदंडों की छूट सीमा के भीतर रखा जाता है । इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति इस लिंक से देखी जा सकती है:

https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/rbi-clarifies-on-quality-control-measures-in-currency-note-printing-41364

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: सीआईसी जिनके पास (क) की आस्ति का आकार 100 करोड़ रुपये से कम है, भले ही वे सार्वजनिक धन का उपयोग कर रहे हों या नहीं और (ख) जिनकी आस्ति का आकार दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.पीडी.221/सीजीएम(यूएस) 2011 के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45आईए के तहत रु 100 करोड़ और उससे अधिक है और सार्वजनिक निधि का उपयोग नहीं कर रहे हैं, को बैंक के साथ पंजीकरण से छूट दी गई है। इस प्रकार, उन्हें बैंक के साथ पंजीकरण करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। चूंकि यह आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45एनसी के तहत दी गई छूट है, इसलिए उन्हें बैंक से संपर्क करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।

श्रेणी पहलू

केटेगरी

कस्टम पहलू

ddm__keyword__19506552__FaqDetailPage1Title_en_US

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

क्या यह पेज उपयोगी था?