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भारतीय मुद्रा

च) सिक्के

50 पैसे, एक रुपये, दो रुपये, पांच रुपये, दस रुपये और बीस रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के वैध मुद्रा हैं । भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता को सलाह देता रहा है कि वे अपने सभी लेन-देन में सिक्कों को वैध मुद्रा के रूप में बिना किसी झिझक के स्वीकार करें। ये प्रेस विज्ञप्तियाँ हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर मुद्रा प्रबंधन > प्रेस विज्ञप्ति के अंतर्गत निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध हैं:

https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/public-can-continue-to-accept-%E2%82%B9-10-coins-as-legal-tender-rbi-38636

https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/rbi-reiterates-legal-tender-status-of-%E2%82%B9-10-coins-of-different-designs-42887

https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/public-can-continue-to-accept-all-the-coins-as-legal-tender-rbi-47414

इसके अलावा, आरबीआई प्रिंट, एसएमएस और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाता है और समय-समय पर "RBI says" और "आरबीआई कहता है" के माध्यम से सिक्कों के बारे में जागरूकता फैलाता है। इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपनी सभी शाखाओं में लेनदेन और विनिमय के लिए सिक्के स्वीकार करें।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Depositor Awareness

A. The NBFC has been in existence for at least two years. (New NBFCs are not permitted to mobilise public deposits during first two years of existence) The NBFC has a minimum credit rating of A- (CRISIL AND ICRA),BBB(CARE), BBB- (DCR India) if it is an Equipment Leasing/Hire Purchase Company and a minimum rating of A if it is a Loan/Investment Company. The NBFC does not have overdue deposits, except unclaimed deposits, while soliciting fresh deposits. The NBFC is a profit making company. The NBFC has declared that it has complied with the RBI Directions.

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

E. जमाकर्ता संरक्षण संबंधी मामले

परिसमापन याचिका में कंपनी को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देने के पश्चात न्यायालय द्वारा शासकीय परिसमापक की नियुक्ति की जाती है। परिसमापक, परिसमापन की कार्यवाही करता है और इस संबंध में न्यायालय द्वारा सौंपी गयी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करता है। जब न्यायालय द्वारा शासकीय परिसमापक अथवा अनंतिम परिसमापक की नियुक्ति की जाती है तो परिसमापक कंपनी की संपत्तियों का अभिरक्षक हो जाता है तथा वह कंपनी के दैनिक कारोबार का संचालन करता है। उसे निर्धारित फार्म में कंपनी की वस्तु-स्थिति विवरण तैयार करना होता है, जिसमें कंपनी की परिसंपत्तियों का विवरण, उसके ऋणों और देयताओं व उसके ऋण्दाताओं (लेनदारों) के नाम/निवास/व्यवसाय, कंपनी की लेनदारियां और इस प्रकार की अन्य सूचनाओं का, जो निर्धारित की जाएं, का वर्णन होता है। परिसमापक द्वारा योजना बनाई जाती है और इसे न्यायालय के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाता है। परिसमापक कंपनी की परिसंपत्तियों की उगाही करता है और न्यायालय द्वारा अनुमोदित योजना के अनुसार लेनदारों को चुकौती की व्यवस्था करता है। परिसमापक सामान्यतया न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी कर, जमाकर्ताओं/निवेशकों के दावे आमंत्रित करता है। अत: निवेशकों/जमाकर्ताओं को, परिसमापक की इस प्रकार की सूचनाओं के अनुसार नियत समय में अपने दावे प्रस्तुत करने चाहिए। भारतीय रिज़र्व बैंक जमाकर्ताओं को शासकीय समापक के पते उपलब्ध करने में सहायता प्रदान करता है।

भारतीय मुद्रा

च) सिक्के

स्मारक सिक्कों हेतु एसपीएमसीआईएल की वेबसाइट http://www.spmcil.com देखें अथवा एसपीएमसीआईएल से संपर्क कर सकते हैं ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Depositor Awareness

A This information is required to be printed in the Application Form issued by the company soliciting deposits.

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

E. जमाकर्ता संरक्षण संबंधी मामले

हां, जमाकर्ता किसी एक अथवा सभी निवारण प्राधिकरणों यथा उपभोक्ता मंच न्यायालय अथवा कंपनी ला बोर्ड से संपर्क कर सकता है।

भारतीय मुद्रा

च) सिक्के

बैंक द्वारा प्रदान की गई सेवाओं से असंतुष्ट होने पर और संबंधित शिकायत का ग्राहक की संतुष्टि के अनुरूप समाधान न होने या 30 दिनों की अवधि के भीतर बैंक द्वारा जवाब न दिए जाने पर रिजर्व बैंक-एकीकृत ओम्बड्समैन योजना, 2021 के अंतर्गत वे आरबीआई ओम्बड्समैन से संपर्क कर सकते हैं। शिकायतें https://cms.rbi.org.in पर ऑनलाइन के साथ-साथ इस कार्य के लिए बनाए गए ईमेल (crpc@rbi.org.in) के माध्यम से भी दर्ज की जा सकती हैं या आवश्यक कार्रवाई के लिए सबूत के संलग्नक के साथ बैंक/डाक रसीदों के साथ भारतीय रिजर्व बैंक, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़ - 160017 में स्थापित 'केन्द्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र' को भौतिक रूप से भेजी जा सकती हैं।।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Depositor Awareness

A Please note that: The NBFCs are allowed to accept public deposits in any form only for periods ranging between 12 months and 60 months. NBFCs cannot offer interest rates higher than the ceiling rate prescribed by RBI from time to time. The present ceiling is 16 per cent per annum. The interest may be paid or compounded at rests not shorter than monthly rests. NBFCs cannot offer gifts/incentives or any other additional benefit to the depositors.

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

E. जमाकर्ता संरक्षण संबंधी मामले

एनबीएफसीज के विरुद्ध शिकायतों की सुनवाई के लिए कोई ओम्बड्समैन
 नहीं है। तथापि किसी ऐसी एनबीएफसी, जो कि किसी बैंक की सहायक कंपनी है, के क्रेडिट कार्ड परिचालनों के संबंध में किसी शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज करने की तारीख से तीस (30) दिन की अधिकतम् अवधि के भीतर यदि एनबीएफसी से कोई संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो ग्राहक के पास अपनी शिकायत/शिकायतों के निवारण के लिए संबंधित बैंकिंग ओम्बड्समैन के कार्यालय से संपर्क करने का विकल्प होगा।

यदि एनबीएफसीज के विरुद्ध शिकायतें भारतीय रिज़र्व बैंक के निकटतम कार्यालय को प्रस्तुत की जाती हैं तो शिकायतों के समाधान के लिए उन्हें संबंधित एनबीएफसीज के साथ लिया जाएगा। इसके अलावा सभी एनबीएफसीज में एक शिकायत निवारण अधिकारी तैनात होता है जिसके नाम तथा संपर्क संबंधी ब्यौंरों को एनबीएफसीज के परिसर में अनिवार्यत: प्रदर्शित किया जाना अपेक्षित है। शिकायत को शिकायत निवारण अधिकारी के समक्ष रखा जा सकता है। यदि शिकायतकर्ता एनबीएफसी के शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा किए गए शिकायत के समाधान से संतुष्ट नहीं है तो वे शिकायत को लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक के निकटतम कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। रिज़र्व बैंक के कार्यालय संबंधी ब्यौरों को भी एनबीएफसी के परिसर में अनिवार्यत: दर्शाया जाना अपेक्षित है।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Depositor Awareness

A It should be noted that higher the interest, the higher is the risk. Particularly, the NBFCs offering interest or incentives (which are not permitted under the regulations) should be viewed with caution.

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

E. जमाकर्ता संरक्षण संबंधी मामले

एमसीए के साथ रजिस्टर की गई लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक के पास एनबीएफसीज के रूप में रजिस्टर होने की आवश्यकता न होनेवाली कंपनियां भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियामक क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आती हैं। जब कभी भारतीय रिज़र्व बैंक के पास एमसीए के साथ रजिस्टर की गई लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक के पास एनबीएफसीज के रूप में रजिस्टर न की गई कंपनियों के बारे में ऐसी शिकायतें प्राप्त होती हैं तो भारतीय रिज़र्व बैंक उन्हें किसी प्रकार की कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनिज(आरओसी) को अग्रेषित करता है। शिकायतकर्ताओं को सूचित किया जाता है कि ऐसी कंपनियों की अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों को त्वरित संबंधित आरओसी के पास दर्ज किया जाना चाहिए ताकि वे सुधारात्मक कार्रवाई प्रारंभ कर सकें। तथापि यदि भारतीय रिज़र्व बैंक के ध्यान में यह बात आती है कि उन कंपनियों का भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रजिस्टर किया जाना आवश्यक था परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया है और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अंतर्गत परिभाषित जमाराशियां भी स्वीकार की है तो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत आवश्यक समझी गई कार्रवाई की जाएगी।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Depositor Awareness

A While making deposits with an NBFC the following aspects should also be borne in mind. Note that all public deposits are unsecured. Insist on a proper deposit receipt which should, besides the name of the depositor/s state the date of deposit, the amount in words and figures, rate of interest payable and the date of maturity. Amounts taken under any other nomenclature may not be treated as public deposits and may not be governed by RBI regulations.

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

E. जमाकर्ता संरक्षण संबंधी मामले

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रिज़र्व बैंक के निर्देशों के अनुसार जमाकर्ताओं को अतिदेय ब्याज उस स्थिति में देय है जब कि कंपनी ने परिपक्व जमाराशियों की चुकोती में विलंब किया हो और ऐसा ब्याज, कंपनी द्वारा ऐसे दावा प्राप्त करने की तारीख अथवा जमाराशि की परिपक्वता की तारीख, इनमें से जो भी बाद मे हो, से वास्तविक भुगतान की तारीख तक देय होगा। यदि जमाकर्ता ने अपना दावा परिपक्वता की तारीख के बाद दर्ज किया है तो कंपनी को दावे की तारीख से चुकौती की तारीख तक की अवधि के लिए ब्याज का भुगतान करना होगा। परिपक्वता की अवधि तथा दावे की अवधि के बीच की अवधि के लिए ब्याज का भुगतान कंपनी के विवेकानुसार किया जाएगा। ऐसे मामलों में जहां एनबीएफसीज को प्रवर्तन प्राधिकारियों के आदेशों के आधार पर ग्राहकों की मीयादी जमाराशियों की निकासी पर रोक लगाना पड़ता है अथवा प्रवर्तन प्राधिकारियों द्वारा जमा रसीदों को जब्त किया जाता है तो वे नीचे दी गई क्रियाविधि का पालन करेगे:

  1. परिपक्वता पर ग्राहक से एक अनुरोध पत्र प्राप्त करेंगे। जमाकर्ता से नवीकरण के लिए अनुरोध पत्र प्राप्त करते समय एनबीएफसीज उसे यह भी सूचित करें कि वे जमाराशि के नवीकरण की अवधि को भी दर्शाएं। यदि जमाकर्ता नवीकरण की अवधि निर्धारित करने का विकल्प निष्पादित नहीं करता है तो एनबीएफसीज उस जमाराशि की मूल अवधि से समतुल्य अवधि के लिए नवीकरण करें।

  2. कोई नई रसीद जारी करने की आवश्यकता नहीं है। तथापि जमाराशि के लेजर में नवीकरण से संबंधित उपयुक्त टिप्पणी की जाए।

  3. जमाराशि के नवीकरण की सूचना संबंधित सरकारी विभाग को रजिस्टर्ड पत्र/स्पीड पोस्ट/कुरियर सेवा द्वारा दी जाए तथा जमाकर्ता को भी सूचित किया जाए। जमाकर्ता को दी गई सूचना में जमाराशि के नवीकरण पर उसपर देय ब्याज दर का भी उल्लेख किया जाए।

  4. यदि अनुरोध पत्र की प्राप्ति की तारीख को अतिदेय अवधि 14 दिन से अधिक नहीं है तो नवीकरण, परिपक्वता की अवधि से किया जाए। यदि वह 14 दिन से अधिक है तो एनबीएफसीज उनके द्वारा अपनाई गई नीति के अनुसार अतिदेय अवधि के लिए ब्याज का भुगतान करें और उसे अलग ब्याज मुक्त उप-खाते में रखें और मूल मीयादी जमाराशि के विमोचन के साथ उसका विमोचन किया जाए।

तथापि मूलधन तथा इस प्रकार उपचित ब्याज का अंतिम भुगतान, एनबीएफसीज द्वारा संबंधित सरकारी एजेंसियों से उसके भुगतान संबंधी अनापत्ति प्राप्त करने के बाद ही किया जाए।

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FAQs on Non-Banking Financial Companies

RNBCs

A. The deposit acceptance activities of the class of NBFCs, popularly known as RNBCs, are governed by the provisions of Residuary Non- Banking Companies (Reserve Bank) Directions, 1987. That the functioning of these companies (which are very few in number) is entirely different from those of the NBFCs in terms of method of mobilisation of deposits and requirement of deployment of depositors’ funds. These companies are required to invest not less than 80 per cent of their aggregate deposit liabilities according to the prescribed investment pattern. Only 20 per cent of the deposits or ten times the NOF, whichever is lower, can be deployed in other assets. These companies are characterised by poor NOF and as such they are obliged to invest the entire deposit funds as directed by RBI. Serious action has been taken against the erring RNBCs and more than 200 such companies have so far been prohibited from acceptance of deposits.

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

E. जमाकर्ता संरक्षण संबंधी मामले

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एक एनबीएफसी अपने जमाकर्ताओं के साथ आपसी संविदा के अंतर्गत जमाराशि स्वीकार करती है। यदि कोई जमाकर्ता परिपक्वता-पूर्व भुगतान के लिए अनुरोध करता है तो भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस प्रकार की संभावना के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी एक्सेप्टन्स ऑफ पब्लिक डिपॉजिट्स (रिज़र्व बैंक) डायरेक्शन्स, 1998 में विनियम निर्धारित किए हैं; इन विनियमों में यह निर्दिष्ट किया गया है कि एनबीएफसीज जमाराशि को स्वीकार करने की तारीख से तीन महीने (लॉक-इन अवधि) की अवधि के भीतर जनता की जमाराशियों की जमानत पर कोई ऋण प्रदान नहीं कर सकती हैं और न ही जनता की जमाराशि का समय-पूर्व भुगतान कर सकती है। तथापि जमाकर्ता की मृत्यू हो जाने की स्थिति में कंपनी उसकी अपेक्षानुसार संबंधित साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने के पश्चात ही उत्तरजीवीता की शर्त वाले संयुक्त धारकों/नामिनी/विधिक वारिस को लॉक-इन अवधि के दौरान भी जमाराशि का भुगतान कर सकती है।

कोई भी एनबीएफसी (जो कि समस्यामूलक कंपनी नहीं है) उपर्युक्त प्रावधानों के अधीन लॉक-इन अवधी के बाद अपने एकल विवेक के आधार पर बैंक द्वारा निर्धारित ब्याज दर पर जनता की जमाराशि का परिपक्वतापूर्व भुगतान कर सकती है।

कोई भी समस्यामूलक कंपनी को किसी भी जमारशि का परिपक्वतापूर्व भुगतान अथवा जनता की जमाराशि की जमानत पर कोई ऋण प्रदान करना, जैसी स्थिति हो, निषिद्ध है। तथापि यह निषिद्धता जमाकर्ता की मृत्यु होने पर अथवा छोटी जमाराशियों अर्थात् 10000/- रुपये तक की जमाराशियों के संबंध में लॉक-इन अवधि के अधीन की गई चुकौती के मामले में लागू नहीं होगी।

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FAQs on Non-Banking Financial Companies

Nomination facility

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

E. जमाकर्ता संरक्षण संबंधी मामले

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-आईबी के अनुसार किसी एनबीएफसी द्वारा चल आस्तयों का जो न्यूनतम स्तर बनाए रखना है वह है दूसरी पूर्ववर्ती तिमाही के अंतिम कार्य दिन को जनता की बकाया जमाराशियों का 15 प्रतिशत। इस 15% में से एनबीएफसी को अनुमोदित प्रतिभूतियों में इतना प्रतिशत निवेश करना है जो कि 10% से कम नहीं है और शेष 5% किसी भी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में भार-रहित मीयादी जमाराशियों में रखा जा सकता है। अत: चल आस्तियों में सरकारी प्रतिभूतियां, सरकार द्वारा गारंटीकृत बॉण्ड्स तथा किसी भी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में मीयादी जमाराशियां शामिल हो सकती हैं।

सरकारी प्रतिभूतियों में किया गया निवेश अमूर्त रूप में होना चाहिए जिसे किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक(एससीबी)/ स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. में ग्राहकों की सहायक सामान्य खाता बही (सीएसजीएल) खाते में रखा जा सकता हे। सरकार द्वारा गारंटीकृत बॉण्ड्स के मामले उन्हें अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक(एससीबी)/ स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. में अमूर्त रूप में रखा जा सकता हे अथवा भारतीय प्रतिभूति तथा विनिमय बोर्ड में रजिस्टर किए गए डिपॉजिटरी सहभागी के माध्यम से निक्षेपागारों में {नैशनल सेक्युरिटीज डिपॉजिटरी लि.(एनएसडीएल)/ सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (सीएसडीएल)} अमूर्त खाते में। तथापि मूर्त रूप में सरकारी बॉण्ड होने की स्थिति में उन्हें एससीबी/ एसएचसीआईएल की सुरक्षित अभिरक्षा में रखा जाए।

एनबीएफसीज को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपनी कंपनी के रजिस्टर्ड कार्यालय के स्थान पर उपर्युक्त उल्लिखित कंपनियों में इन अनिवार्य चल आस्ति प्रतिभूतियों को अमूर्त फॉर्म में रखें। तथापि यदि कोई एनबीएफसी को इन प्रतिभूतियों को अपनी कंपनी के रजिस्टर्ड कार्यालय के स्थान से अन्य स्थान पर सौंपना है तो वे भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित अनुमति प्राप्त करने के पश्चात ऐसा कर सकती है। यह नोट किया जाए कि अनुमोदित प्रतिभूतियो में चल आस्तियों को अमूर्त रूप में ही रखा जाना है। उपर्युक्त के अनुसार बनाए रखी गई चल आस्तियों को जमाकर्ताओं के दावों का भुगतान करने के लिए उपयोग में लाना है। तथापि चूंकि जमाराशियां असुरक्षित स्वरूप की होने के कारण जमाकर्ताओं का चल आस्तियों पर कोई प्रत्यक्ष दावा नहीं है।

एनबीएफसीज ठोस मानकों पर काम करें, इसके लिए रिज़र्व बैंक ने जमा ग्रहण करने के संबंध में विस्तृत विनियम जारी किए हैं जिसमें ग्रहण की जाने वाली जमाराशि का परिमाण, अनिवार्य क्रेडिट रेटिंग, जमाकर्ताओं के धन की अदायगी हेतु पर्याप्त तरलता की व्यवस्था, जमा-बहियों के रखरखाव का तरीका, पर्याप्त पूँजी की व्यवस्था सहित अन्य विवेकपूर्ण मानदण्ड, निवेश की सीमाएं और एनबीएफसी का निरीक्षण आदि शामिल है। यदि बैंक को अपने निरीक्षणों या लेखा परीक्षा अथवा शिकायत या मार्केट इंटेलीजेंस के जरिए यह पता चलता है कि कोई एनबीएफसी रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं कर रही है तो वह एनबीएफसी को आगे जमाराशियाँ ग्रहण करने से रोक कर सकता है और उसे परिसंपतियाँ बेचने से निषिद्ध कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि जमाकर्ता ने कंपनी लॉ बोर्ड के समक्ष शिकायत की है और कंपनी लॉ बोर्ड ने संबंधित एनबीएफसी को धन चुकाने का आदेश दिया है, ऐसे में एनबीएफसी द्वारा धन चुकाने संबंधी कंपनी लॉ बोर्ड के आदेश का अनुपालन न करने पर रिज़र्व बैंक एनबीएफसी पर अभियोग चला सकता है और दण्डात्मक कार्रवाही सहित कंपनी का समापन भी कर सकता है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि रिज़र्व बैंक को मार्केट इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स, शिकायतों, कंपनी के सांविधिक लेखापरीक्षकों की अपवादात्मक रिपोर्टों, एसएलसीसी की बैठकों आदि के जरिए जैसे ही यह खबर लगती है कि कंपनी रिज़र्व बैंक के अनुदेशों/मानकों का उल्लंघन कर रही है, तो वह जुर्माना लगाने और कानूनी कार्रवाई जैसे कई त्वरित कदम उठाता है। इसके अतिरिक्त रिज़र्व बैंक राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठकों में ऐसी जानकारी को वित्तीय क्षेत्र के सभी नियामकों एवं प्रवर्तन एजेंसियों के मध्य बांटता है।

एक प्रमुख नीति-निर्माता संस्थान के तौर पर एवं अपने जनोपयोगी नीतिगत उपायों के अंग के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर ऐसे कई उपाय करने में आगे रहा है जिससे कि आम जनता को अपनी गाढ़ी कमाई निवेश करते समय सतर्कता बरतने की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया जा सके। इन उपायों में प्रिंट मीडिया में चेतावनी सूचना जारी करना और सूचनापरक एवं शिक्षाप्रद ब्रोशर्स/पैम्पलेट्स का वितरण, जागरूकता/आउटरीच एवं टाउन हाल कार्यक्रमों में जनता से सीधे संपर्क, राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित व्यापार मेलों में सहभागिता एवं प्रदर्शनियाँ शामिल हैं। कई बार वह व्यापक सर्कूलेशन वाले समाचार पत्रों (अंग्रेजी और स्थानीय भाषा) से यह अनुरोध भी करता है कि वे जमा ग्रहण करने वाले अनिगमित निकायों से विज्ञापन लेने में परहेज करें।

एनबीएफसी छ: रेटिंग एजेंसी यथा क्रिसिल, इकरा, केअर, फिच रेटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, स्मीरा और ब्रिकवर्क रेटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से स्वयं की रेटिंग करा सकती है।

रेटिंग एजेंसियों की न्यूनतम निवेश श्रेणी स्तर इस प्रकार है:

रेटिंग एजेंसियों के नाम न्यूनतम निवेश ग्रेड साख रेटिंग का नामकरण
क्रिसील   एफए- (एफए- माइनस)
इकरा एमए- (एमए माइनस)
केअर केअर बीबीबी (एफडी)
फिच रेटिंग इंडिया प्राइवेट लिइटेड
स्मीरा
टीए- (इंड)(एफडी)
एसएमईआरए ए
ब्रिकवर्क रेटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बीडब्ल्यूआर बीबीबी

यहां यह उल्लेख किया जाता है कि ए-; ए के समकक्ष नहीं है, एए-; एए के समकक्ष नहीं है और एएए-; एएए के समकक्ष नहीं है।

तथापि, यदि किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के साख निर्धारण का स्तर न्यूनतम निवेश स्तर से घटाया जाता है तो उसे जनता से जमाराशियां स्वीकार करना रोकना होगा और पंद्रह कार्य दिवस में भारतीय रिजर्व बैंक को स्थिति की सूचना देनी होगी और जनता की जमराशियों की उक्त अधिक हुई राशि को उक्त साख निर्धारण का स्तर कम किए जाने से तीन वर्षों के भीतर शून्य स्तर पर लाना होगा। नवम्बर 2014 में संशोधित विनियामक संरचना का परिचालन में आने परम जमाराशि स्वीकार करने वाले एनबीएफसी को सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार अरने वाली कंपनी बने रहने के लिए रेटिंग एजेंसियों से निवेश ग्रेड क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करना अनिवार्य है।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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