अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
E. जमाकर्ता संरक्षण संबंधी मामले
F. सामूहिक निवेश योजनाएं (सीआईएस) और चिट फंड
नहीं, मल्टी-लेवल मार्केटिंग कंपनियाँ, डायरेक्ट सेलिंग कंपनियाँ, ऑनलाइन सेलिंग कंपनियाँ आरबीआई के दायरे में नहीं आती हैं। इन कंपनियों की गतिविधियाँ संबंधित राज्य सरकारों के विनियामक/प्रशासनिक दायरे में आती हैं। विनियामकों एवं उनके द्वारा विनियामित इकाइयों की सूची अनुबंध-। में दी गई है।
अनिगमित निकायों (UIBs) में व्यक्ति, फर्म या व्यक्तियों के अनिगमित एसोशिएशन शामिल होते हैं। आरबीआई अधिनियम की धारा 45एस के प्रावधान के अनुसार, इन इकाइयों को जमाराशि लेने से निषिद्ध किया गया है। अधिनियम ऐसे UIBs द्वारा जमा लेने को कारावास या जुर्माना अथवा दोनों के साथ दंडनीय बनाता है। राज्य सरकार को जमाकर्ताओं/निवेशकों के हितों की रक्षा हेतु ऐसी इकाइयों की अवैध गतिविधियों को रोकने में सक्रिय भूमिका निभानी है।
UIBs आरबीआई के विनियामक दायरे में नहीं आती हैं। जब भी आरबीआई को UIBs के विरूद्ध शिकायत मिलती है, यह इसे तत्काल राज्य सरकार की पुलिस एजेंसी (आर्थिक अपराध विंग/(EOW)) को भेज देता है। शिकायतकर्ताओं को सूचित किया जाता है कि वे अपनी शिकायत राज्य सरकार की पुलिस एजेंसी (EOW) के पास सीधे दर्ज कराएं ताकि दोषियों के खिलाफ तुरंत समुचित कार्रवाई शुरू की जाए और प्रक्रिया में तेजी आए।
आरबीआई अधिनियम की धारा 45टी के अनुसार, आरबीआई एवं राज्य सरकार दोनों को समवर्ती अधिकार दिए गए हैं। तथापि दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई हेतु संबंधित राज्य सरकार की पुलिस एजेंसी या आर्थिक अपराध विंग को तुरंत जानकारी दी जाए, जो तत्काल और समुचित कार्रवाई कर सकते हैं। चूंकि राज्य सरकार की मशीनरी बहुत विस्तृत है और आरबीआई अधिनियम, 1934 के अंतर्गत राज्य सरकार को भी अधिकार प्राप्त हैं, जमा लेने वाली ऐसी इकाइयों की सूचना तत्काल संबंधित राज्य सरकार की पुलिस विभाग/EOW को दी जाए।
कई राज्य सरकारों ने वित्तीय स्थापनाओं में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा अधिनियम को लागू किया है, जो राज्य सरकार को समय पर और समुचित कार्रवाई करने की शक्ति प्रदान करता है।
आरबीआई ने UIBs की गतिविधियों को रोकने के लिए अपनी तरफ से कई कदम उठाए हैं, जिसमें अग्रणी समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर जनता में जागरूकता पैलाना, देश के विभिन्न जिलों में निवेशक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों (EOW) के साथ संपर्क में रहना है।
अनुलग्नक I एवं II के रूप में दिए गये दो चार्ट यह दर्शाते हैं कि कौन सा विनियामक कौन सी गतिविधि देख रहा है। तदनुसार शिकायत को संबद्ध विनियामक को संबोधित किया जाए। यदि गतिविधि वर्जित कार्य के अंतर्गत आती है तो भुक्तभोगी राज्य पुलिस/ राज्य पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के पास समुचित शिकायत दर्ज करा सकता है।
किसी एक्सपोजर को CRE के रूप में वर्गीकृत करने के लिए अनिवार्य लक्षण यह है कि फंडिंग के परिणाम स्वरूप रियल स्टेट (यथा, किराया हेतु कार्यालय भवन, खुदरा दुकान के लिए स्थान, मल्टीफैमिली रिहायशी बिल्डिंग, औद्योगिक या भंडारन स्थान और होटल) का सृजन होगा, जहाँ पुनर्भुगतान की संभावना प्राथमिक तौर पर अस्तियों से सृजित नकदी प्रवाह पर निर्भर करेगी। साथ ही, चूक की स्थिति में वसूली की संभावना भी प्राथमिक तौर पर ऐसी निवेशित आस्तियों से सृजित नकदी प्रवाहों पर निर्भर करेगी जिन्हें जमानत के रूप में लिया गया है, जैसा कि समान्यत: ऐसा मामला होता है। पुनर्भुगतान के लिए नकदी प्रवाह का प्राथमिक स्रोत (अर्थात नकदी प्रवाह 50% से अधिक) सामान्य तौर पर पट्टा अथवा किराया भुगतान अथवा चूक की स्थिति में जमानत के तौर पर रखी गई आस्तियों के वसूली के लिए आस्तियों की बिक्री भी की जाती है।
ये दिशानिर्देश उन मामलों पर भी लागू होंगे जहाँ एक्सपोजर CRE के सृजन या अधिग्रहण से सीधे नहीं भी जुड़ा हो लेकिन पुनर्भुगतान CRE द्वारा सृजित नकदी प्रवाह से आएगा। उदाहरण के लिए, मौजूदा कमर्शियल रियल स्टेट पर लिए गए एक्सपोजर को भी CRE के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, जहाँ पुनर्भुगतान की संभावना प्राथिमक तौर पर रियल स्टेट के किराए/बिक्री से प्राप्त राशि पर निर्भर करेगा। ऐसे अन्य मामलों में ये भी शामिल हैं: कमर्शियल रियल स्टेट गतिविधियाँ करने वाली कंपनियों की तरफ से गारंटी का विस्तारण, रियल स्टेट कंपनियों के साथ किए गए डेरिवेटिव लेनदेनों के कारण उत्पन्न एक्सपोजर, रियल स्टेट कंपनियों को दिए गए कार्पोरेट ऋण और रियल स्टेट कंपनियों की कर्ज लिखतों एवं इक्विटी में किए गए निवेश।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022